माइक्रोवेव ओवन में रखे जाने पर अंगूर से चिंगारियां निकलते हुए दिखाने वाले कई वीडियो इंटरनेट पर मौजूद हैं। इन वीडियो में एक अंगूर को दो हिस्सों में इस तरह काटते हैं कि अंगूर का छिलका दोनों टुकड़ों से जुड़ा रहे। फिर इसे माइक्रोवेव में रख दिया जाता है। ये टुकड़े आपस में जहां से जुड़े रहते हैं कुछ देर बाद वहां से चमक पैदा करती गैस निकलती है। ऐसा होने का कारण यह बताया जाता है कि अंगूर के दो टुकड़े माइक्रोवेव विकिरण के लिए एंटिना का काम करते हैं और अंगूर के छिलके की नमी इन दोनों टुकड़ों के बीच चालक का। दोनो एंटिना के बीच अंगूर के छिलके से होते हुए विद्युत बहती है और चमक पैदा होती है।
कनाडा स्थित ट्रेन्ट विश्वविद्यालय के आरोन स्लेपकोव का कहना है कि इंटरनेट पर बताया जा रहा यह कारण सही नहीं है। आरोन के अनुसार वास्तव में होता यह है कि अंगूर के दो टुकड़े दर्पणनुमा केविटी (गड्ढा) बनाते हैं जिनका केन्द्र दोनों टुकड़ों का जुड़ा हुआ हिस्सा (छिलका) होता है। ये केविटी माइक्रोवेव विकिरण को अवशोषित करती हैं और केंद्र पर फोकस कर देती हैं। इसके कारण केन्द्र बहुत गर्म हो जाता है। तब अंगूर के छिलके में मौजूद सोडियम और पोटेशियम के परमाणु आवेशित हो जाते हैं और आवेशित गैस (प्लाज़्मा) का निर्माण करते हैं। जिससे चमक पैदा होती है। इस निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए आरोन और उनके साथियों ने थर्मल इमेजिंग और कंप्यूटर सिमुलेशन की मदद ली। उन्होंने साबूत अंगूर, अंगूर के टुकड़ों और हाइड्रोजेल मोतियों को माइक्रोवेव में अलग-अलग स्थितियों में रखकर विद्युत-चुम्बकीय क्षेत्र की थर्मल इमेजिंग की। देखा गया कि प्लाज़्मा पैदा करने के पीछे दो टुकड़ों के बीच का छिलका मुख्य कारण नहीं है। वास्तव में अंगूर का साइज़ और पर्याप्त नमी विकिरण को अवशोषित करने में भूमिका निभाते हैं। अंगूर के अलावा ब्लैकबेरी, गूज़बेरी और हाइड्रोजेल मोती को माइक्रोवेव में आपस में सटाकर रखने पर भी यही प्रभाव होता है। (स्रोत फीचर्स)
नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
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