कुछ दिनों पहले यह खबर आई थी कि केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) आपातकालीन गर्भनिरोधक गोली (emergency contraceptive pill) (यानी ‘अगली-सुबह-की-गोली’) की ओव्हर दी काउंटर (over the counter) उपलब्धता पर रोक लगाने पर विचार कर रहा है। ओव्हर दी काउंटर (OTC) का मतलब होता है कि वह औषधि डॉक्टरी पर्ची (prescription) के बगैर मिल जाती है। इस प्रतिबंध की सिफारिश संभवत: एक छ:-सदस्यीय विशेषज्ञ उप समिति द्वारा की जाएगी। इस समिति में लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज के एक प्रसव व स्त्री रोग विशेषज्ञ (gynecologist) तथा भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (Indian Council of Medical Research) और डीजीसीए के प्रतिनिधि होंगे।
ओव्हर दी काउंटर बिक्री पर प्रतिबंध (ban on OTC sale) लगाने का कारण यह बताया जा रहा है कि इस अगली-सुबह-की-गोली (morning after pill) का बेतुका व अत्यधिक उपयोग हो रहा है, जिसकी वजह से महिलाओं को स्वास्थ्य सम्बंधी दिक्कतें हो सकती हैं। यह कहा जा रहा है कि इस गोली के लिए डॉक्टरी पर्ची (prescription) ज़रूरी बनाने से महिलाओं की सेहत की सुरक्षा होगी और आपातकालीन गर्भनिरोधकों (emergency contraceptives) के अनावश्यक उपयोग से होने वाली परेशानियों से बचा जा सकेगा।
इस संदर्भ के मद्देनज़र इस बात पर चर्चा की ज़रूरत है कि भारत में आपातकालीन गोली (emergency pill) की ओव्हर दी काउंटर उपलब्धता (over the counter availability) की सुरक्षा को लेकर वैज्ञानिक प्रमाण (scientific evidence) क्या कहते हैं। क्या इस तरह के प्रतिबंध (restriction) के लिए कोई वैज्ञानिक औचित्य है? साथ ही, इस बात पर भी विचार करना होगा कि इस तरह बिक्री पर प्रतिबंध की वजह से किस तरह की समस्याएं पैदा होंगी।
आपातकालीन गोली सुरक्षित है (Emergency Contraceptive Pill is Safe)
कई रासायनिक नुस्खों का उपयोग अगली-सुबह-की-गोली (morning after pill) के रूप में किया जा सकता है। जैसे मिफेप्रिस्टोन (Mifepristone), लेवोनॉरजेस्ट्रेल (Levonorgestrel) और उलीप्रिस्टाल (Ulipristal)। लेकिन भारत में ओव्हर दी काउंटर बिक्री (OTC sale) के लिए इनमें से एक को ही मंज़ूरी मिली है – लेवोनॉरजेस्ट्रेल (Levonorgestrel)। यह मशहूर ब्रांड नामों आईपिल (I-Pill) या अनवांटेड 72 (Unwanted 72) के नाम से बिकती है। इस गोली में 1.5 मि.ग्रा. लेवोनॉरजेस्ट्रेल होता है और यदि इसे संभोग के 72 घंटे के अंदर ले लिया जाए तो यह 89 प्रतिशत गर्भावस्था से बचाव करती है।
लेवोनॉरजेस्ट्रेल (Levonorgestrel) के साइड इफेक्ट्स में मितली (nausea), उल्टी (vomiting) के अलावा कुछ हल्का-सा खून आना हो सकता है। इस दवा का अर्ध-जीवन काल 20-60 घंटे है। इसका मतलब है कि इसे 5 दिन से 2 सप्ताह के बीच शरीर से पूरी तरह साफ कर दिया जाता है। फिलहाल इस बात के कोई प्रमाण नहीं हैं कि इस गोली का बार-बार सेवन करने से यह शरीर में जमा होती रहती है या इसके साइड इफेक्ट (side effects) बढ़ जाते हैं।
आपातकालीन गोली का सबसे बुरा ज्ञात असर एनाफायलेक्सिस (गंभीर एलर्जिक प्रतिक्रिया) है। यह तब होता है जब आपको किसी चीज़ से एलर्जी हो और आप उसका उपभोग कर लें। लेकिन यह सिर्फ उन लोगों के मामले में प्रासंगिक होगा जिन्हें आपातकालीन गर्भनिरोधक (emergency contraception) गोली से एलर्जी का इतिहास रहा है। देखा जाए तो यह खतरा तो दुनिया की लगभग किसी भी दवाई के साथ हो सकता है।
आज तक मात्र एक रिपोर्ट है कि किसी व्यक्ति को आपातकालीन गर्भनिरोधक गोली की वजह से आंख में खून का थक्का जम गया था, एक रिपोर्ट मस्तिष्क में खून के थक्के की है और एक रिपोर्ट ब्रेन स्ट्रोक की है। लेकिन मात्र प्रोजेस्टरॉन आधारित आपातकालीन गर्भनिरोधक गोली और खून के थक्कों के बीच सम्बंध की बात को मात्र इन तीन प्रकरणों के दम पर स्थापित नहीं किया जा सकता। और तो और, इस बात के काफी प्रमाण हैं कि मात्र प्रोजेस्टरॉन वाली आपातकालीन गर्भनिरोधक गोलियों से खून का थक्का नहीं बनता है। लेवोनॉरजेस्ट्रेल (Levonorgestrel) दरअसल प्रोजेस्टरॉन का संश्लेषित रूप है।
एक अन्य संभावित साइड इफेक्ट है माहवारी में अनियमितता, जो चिंता का सबब हो सकता है। हालांकि, यह साइड इफेक्ट काफी आम है (15 प्रतिशत) लेकिन यह अगले मासिक चक्र तक बगैर किसी उपचार के ठीक भी हो जाता है।
लेवोनॉरजेस्ट्रेल (Levonorgestrel) के उपयोग का एकमात्र पक्का निषेध लक्षण है पक्की गर्भावस्था। लेकिन जिन महिलाओं ने यह गोली ली और बाद में पता चला कि वे पहले से गर्भवती थीं, उनके मामले में भी गोली ने न तो मां के लिए और न ही शिशु के लिए गर्भावस्था के दौरान कोई दिक्कत पैदा की।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) ने इसे सबसे सुरक्षित गर्भनिरोधकों में शामिल किया है और स्तनपान कराती महिलाओं के लिए भी मंज़ूरी दी है।
हालांकि इसे मात्र आपातकालीन उपयोग के लिए मंज़ूरी दी गई है, लेकिन हो सकता है कि कुछ लोग अगली-सुबह-की-गोली (morning-after pill) का उपयोग नियमित गर्भनिरोधक के रूप में करते हों। तमिलनाडु सरकार द्वारा ड्रग कंसल्टेटिव कमिटी (Drug Consultative Committee) की सन 2023 की 62वीं बैठक में इसकी ओव्हर दी काउंटर बिक्री पर प्रतिबंध लगाने का जो सुझाव दिया गया था, उसके पीछे यही चिंता लगती है।
डीएमके के मीडिया शाखा के प्रांतीय उपसचिव डॉ. एस.ए.एस. हफीज़ुल्ला ने अपने ट्वीट में कहा था, “आपातकालीन गर्भनिरोधक (emergency contraception) गोली के गैर-तार्किक उपयोग से स्वास्थ्य सम्बंधी प्रतिकूल असर होते हैं और लगातार उपयोग की वजह से जानलेवा बीमारियों का जोखिम हो सकता है। ये गोलियां कुछ बीमारियों में पूर्णत: निषिद्ध हैं।” वैसे उनकी इस बात का कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।
गर्भनिरोध (contraception) की पात्रता के सम्बंध में विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) की फैक्ट शीट और दिशानिर्देशों में बताया गया है कि कौन-सी महिलाएं किसी खास किस्म के गर्भनिरोध के उपयोग के कारण दुष्प्रभाव के जोखिम में हो सकती हैं। इनको देखने पर स्पष्ट हो जाता है कि लेवोनॉरजेस्ट्रेल (levonorgestrel) का बारंबार उपयोग सभी महिलाओं के लिए सुरक्षित है, हालांकि आदर्श नहीं है। आदर्श स्थिति तो वह होगी जहां आपातकालीन गोली का उपयोग किसी नियमित अवरोधक विधि (कंडोम वगैरह), या नियमित गर्भनिरोधक गोली या आई.यू.डी. (IUD – intrauterine device) या नसबंदी के साथ-साथ किया जाए।
गलतफहमियां
आपातकालीन गोली के सुरक्षित होने की बात करते हुए यह ध्यान देना ज़रूरी है कि कई अध्ययनों से पता चला है कि इसके बारे में गलत जानकारी खूब फैली है। यहां तक कि, डॉक्टरों की भी यही स्थिति है।
उत्तर प्रदेश में किए गए एक अध्ययन में पता चला था कि 96 प्रतिशत डॉक्टरों को इस बारे में सही जानकारी नहीं थी कि आपातकालीन गोली काम कैसे करती है। पॉपुलेशन कौंसिल इंस्टीट्यूट (Population Council Institute) द्वारा स्त्री रोग विशेषज्ञों के एक अन्य अध्ययन का निष्कर्ष था कि 96 प्रतिशत विशेषज्ञों में भी इस गोली की क्रियाविधि की सही-सही जानकारी नहीं थी। इन विशेषज्ञों मानना था कि यह गोली भ्रूण को गर्भाशय में ठहरने से रोकती है जबकि इस बात के पर्याप्त वैश्विक प्रमाण हैं कि यह गोली अंडोत्सर्ग (ovulation) की क्रिया को ही रोक देती है।
यह आम गलतफहमी है कि आपातकालीन गर्भनिरोधक (emergency contraceptive) गर्भाशय में भ्रूण के ठहरने को रोकती है और इस गलतफहमी की वजह से यह गलत धारणा बनी है कि यह गोली अस्थानिक (ectopic pregnancy) गर्भावस्था का कारण बन जाती है। कई डॉक्टर तो यह गलत जानकारी मीडिया प्लोटफॉर्म्स (media platforms) पर भी फैलाते रहते हैं। एक शोध पत्र में 136 अध्ययनों का विश्लेषण किया गया था और इस बात का कोई प्रमाण नहीं मिला था कि आपातकालीन गर्भनिरोधक गोली अस्थानिक गर्भधारण का कारण बनती है। और तो और, यह कहने का कोई जीव वैज्ञानिक आधार भी नहीं है कि लेवोनॉरजेस्ट्रेल-आधारित गर्भनिरोधक अस्थानिक गर्भ का कारण बन सकता है।
सही जानकारी तक पहुंच के अभाव के चलते कई डॉक्टरों की यह धारणा बन गई है कि अगली-सुबह-की-गोली (morning-after pill) जानलेवा खून के थक्के (blood clots) पैदा कर सकती है। अलबत्ता, मात्र वही गोलियां ऐसे खून के थक्के पैदा कर सकती हैं जिनमें एस्ट्रोजेन (estrogen) हॉर्मोन होता है। एस्ट्रोजेन कई सारी मिश्रित गर्भनिरोधक गोलियों में पाया जाता है जिनकी रोज़ाना सेवन की सलाह दी जाती है। लेवोनॉरजेस्ट्रेल, जो प्रोजेस्टरॉन नामक हॉर्मोन का संश्लेषित रूप है जिसमें खून के थक्के बनने की कोई संभावना नहीं है।
उत्तर प्रदेश के अध्ययन में यह भी पता चला था कि लगभग 25 प्रतिशत डॉक्टरों में यह गलत धारणा व्याप्त है कि इस गोली के बारंबार उपयोग से स्वास्थ्य सम्बंधी जोखिम हो सकते हैं और बांझपन (infertility) तक पैदा हो सकता है। एक अन्य अध्ययन से पता चला था कि दो-तिहाई स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं को लगता है कि स्तनपान (breastfeeding) के दौरान आपातकालीन गोलियों का सेवन असुरक्षित है। यह धारणा भी गलत है।
स्वास्थ्य कर्मियों के बीच भी गलतफहमियों के इस अंबार के मद्देनज़र यदि इन गोलियों के लिए डॉक्टरी पर्ची अनिवार्य कर दी गई, तो उन लोगों के लिए भी गर्भनिरोधकों तक पहुंच असंभव हो जाएगी, जिन्हें सचमुच उनकी ज़रूरत है।
उपयोगकर्ताओं के प्रति पूर्वाग्रह
जब डॉक्टरों के बीच यह धारणा व्याप्त है कि आपातकालीन गोली भ्रूण को ठहरने से रोकती है, तो उनमें इसके उपयोग के खिलाफ यह पूर्वाग्रह पैदा हो सकता है कि यह गोली शायद गर्भपात (abortion) भी करवा सकती है। तो कुछ प्रो-लाइफ डॉक्टर इसके विरुद्ध नैतिक मुद्दा भी उठा सकते हैं। उत्तर प्रदेश के अध्ययन में पता चला था कि कुछ डॉक्टर इस गोली को गर्भपात-कारी मानते हैं। लेकिन जैसा कि पहले कहा गया था, इस गोली की क्रिया अंडोत्सर्ग को रोकने की है, अर्थात लेवोनॉरजेस्ट्रेल आधारित गोली गर्भपात नहीं करवा सकती।
उत्तर भारत में किए गए एक अध्ययन से पता चला था कि आधे से ज़्यादा डॉक्टर (53 प्रतिशत) यह भी मानते हैं कि आपातकालीन गोली चाहने वाले लोगों की विवाह-पूर्व यौन सम्बंधों (premarital sex) में लिप्त होने की ज़्यादा संभावना है और तीन-चौथाई का विश्वास था कि आपातकालीन गोली के उपयोग से यौन स्वच्छंदता (sexual freedom) को बढ़ावा मिलेगा। एक अन्य अध्ययन में पता चला था कि लगभग आधे डॉक्टर मानते हैं कि आपातकालीन गोली चाहने वाले लोग यौन सम्बंधों को लेकर स्वच्छंद होते हैं।
दी न्यूज़ मिनट (The News Minute) में एक खोजी पत्रकारिता रिपोर्ट में बताया गया था कि दो गुप्त रिपोर्टर्स चेन्नै के एक सरकारी अस्पताल से आपातकालीन गर्भनिरोधक के लिए पर्ची हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं। अपनी इस कोशिश में उन्हें अमानवीय व्यवहार का सामना करना पड़ा और नर्सों व डॉक्टरों की नैतिक निगरानी से गुज़रना पड़ा, तब जाकर उन्हें गोली दी गई। यदि ओव्हर दी काउंटर (over the counter) उपलब्धता प्रतिबंधित हुई तो यह नज़ारा सामान्य होने में देर नहीं लगेगी।
वैश्विक नज़रिया
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) आपातकालीन गर्भनिरोधक गोली की ओव्हर दी काउंटर उपलब्धता की ज़ोरदार सिफारिश करता है। इसके अलावा, 112 देश ओव्हर दी काउंटर बिक्री (OTC sale) की अनुमति देते हैं और अर्जेंटाइना व जापान भी 2023 में इन देशों में शामिल हो गए हैं। ज़ाहिर है, वैश्विक रुझान ओव्हर दी काउंटर बिक्री के पक्ष में है।
लेवोनॉरजेस्ट्रेल आधारित आपातकालीन गर्भनिरोधक यूएस के खाद्य व औषधि प्रशासन (FDA) की उस कसौटी पर भी खरी उतरती है जिन्हें ओव्हर दी काउंटर बिक्री की अनुमति दी जा सकती है। प्रशासन ने इसे 2013 में ओव्हर दी काउंटर बिक्री की अनुमति दे दी थी।
प्रतिबंध के नकारात्मक असर
भारत में असुरक्षित गर्भपातों (unsafe abortions) की संख्या काफी अधिक है। 2019 में ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन के मुताबिक 2007 से 2011 के दरम्यान भारत में कुल गर्भपातों में से दो-तिहाई खतरनाक हालात में हुए थे और इनकी वजह से देश में प्रतिदिन औसतन 8 मौतें हुई थीं। अध्ययन में यह भी बताया गया था कि हाशिए की महिलाएं (marginalized women) ज़्यादा प्रभावित होती हैं। दी लैंसेट ग्लोबल हेल्थ रिपोर्ट (The Lancet Global Health Report) के मुताबिक भारत में 2015 में 8 लाख असुरक्षित गर्भपात हुए थे।
जो लोग गर्भपात सुविधा प्राप्त करने की कोशिश करते हैं उन्हें कलंकित (stigma) होने और अपमान का सामना करना पड़ता है। ऐसे हालात में आपातकालीन गर्भनिरोधक तक पहुंच से अनचाहे गर्भ (unwanted pregnancies) से बचा जा सकेगा और ऐसे गर्भ की वजह से किए जाने वाले असुरक्षित गर्भपातों से बचा जा सकेगा, जो कई बार महिला के लिए जानलेवा साबित होते हैं।
लिहाज़ा, ओव्हर दी काउंटर आपातकालीन गर्भनिरोधकों पर प्रतिबंध अनचाहे गर्भ और असुरक्षित गर्भपातों में वृद्धि करके भारत में मातृत्व मृत्यु (maternal mortality) की स्थिति को बदतर कर सकता है। प्रतिबंध लगने पर शायद आपातकालीन गर्भनिरोधकों का ब्लैक मार्केट (black market) पनपे। इसके चलते अमानक और नकली दवाइयों के बाज़ार को बढ़ावा मिलेगा।
इसके अलावा, देहरादून में किए गए एक एथ्नोग्राफिक अध्ययन में उजागर हुआ था कि ओव्हर दी काउंटर पहुंच विभिन्न सामाजिक-आर्थिक तबकों की महिलाओं को अपनी स्वायत्तता और निजता (privacy and autonomy) को सुरक्षित रखते हुए गर्भनिरोध हासिल करने में मददगार होती है। खास तौर से भारत में, जहां कंडोम का उपयोग बहुत कम (मात्र 9.5 प्रतिशत) है, वहां कई महिलाओं (जिनमें विवाहित महिलाएं भी शामिल हैं) के लिए अपने साथी को कंडोम (condom) का उपयोग करने के लिए राज़ी करना मुश्किल होता है। ऐसे में आपातकालीन गोली उन्हें अपनी सुरक्षा का एक विकल्प उपलब्ध कराती हैं जिसमें शर्मिंदगी और अपमान न हो और असुरक्षित गर्भपात का खतरा न हो।
ज़रा अलंकृता श्रीवास्तव की फिल्म लिपस्टिक अंडर माय बुर्का (Lipstick Under My Burkha) का वह दृश्य याद कीजिए जिसमें कोंकणा सेन शर्मा (Konkona Sen Sharma) द्वारा अभिनीत पात्र बार-बार एक स्थानीय स्वास्थ्य सेवा प्रदाता (healthcare provider) के पास गर्भपात (abortion) के लिए जाती है। कारण यह बताती है कि उसका पति कंडोम (condom) का उपयोग नहीं करता। दुनिया के सबसे सुरक्षित गर्भनिरोधकों (contraceptives) में शुमार लेवोनॉरजेस्ट्रेल आधारित गोली (Levonorgestrel pill) यकीनन एक बेहतर विकल्प लगती है।
अटकलों के आधार पर नीतियां न बनें
भारत वह देश है जहां तंबाकू (tobacco), अल्कोहल (alcohol), और यहां तक कि कीटनाशक (pesticides) जैसे जानलेवा पदार्थ आसानी से मिल जाते हैं जो 66 देशों में प्रतिबंधित हैं। दूसरी ओर, एक ऐसी अत्यंत सुरक्षित दवा के दुरुपयोग (misuse of drugs) को लेकर अटकलें (speculations) लगाई जा रही हैं जो यौन व प्रजनन स्वास्थ्य (sexual and reproductive health) में उपयोगी है और ऐसी अटकलों के आधार पर इसकी ओव्हर दी काउंटर बिक्री (over-the-counter sale) पर रोक लगाने की योजना बनाई जा रही है।
इतना तो स्पष्ट है कि प्रतिबंध (ban) की इस सिफारिश के समर्थन में कोई वैज्ञानिक प्रमाण (scientific evidence) नहीं है। इसके अलावा, जो चिकित्सक (doctors) इस दवा की पर्ची लिखने के लिए ज़िम्मेदार होंगे, उनके पास इन दवाइयों (medications) के बारे में ज़्यादा मालूमात नहीं हैं और उनकी धारणा है कि ये कई साइड इफेक्ट (side effects) उत्पन्न करती हैं। यह भी संभव है कि उन्हें समुचित जेंडर संवेदनशीलता प्रशिक्षण (gender sensitivity training) भी न मिला हो कि वे अपने पूर्वाग्रहों (bias) से ऊपर उठ सकें।
अभी तो यही लगता है कि नीतिगत परिवर्तन (policy change) के बारे में वैज्ञानिक प्रमाणों के आधार पर नहीं बल्कि अटकलों के आधार पर विचार किया जा रहा है। वैसे तो काफी प्रमाण (evidence) उपलब्ध हैं लेकिन यदि इनके बावजूद कुछ शंकाएं (doubts) हैं तो जनसंख्या आधारित अध्ययन (population-based studies) किए जाने चाहिए, ताकि यह पता चल सके कि क्या देश में आपातकालीन गोलियों (emergency contraceptive pills) का दुरुपयोग काफी अधिक हो रहा है, और साइड इफेक्ट (side effects) कितने आम हैं।
दरअसल, उपलब्धता व पहुंच (availability and access) पर रोक लगाने की बजाय बेहतर यह होगा कि आम लोगों व स्वास्थ्य पेशेवरों (healthcare professionals) दोनों को आपातकालीन गर्भनिरोधकों (emergency contraceptives) के सही व सुरक्षित उपयोग (safe use) के बारे में जागरूक किया जाए ताकि महिलाएं (women) अपने प्रजनन स्वास्थ्य (reproductive health) के बारे में निर्णय सोच-समझकर ले सकें।
डॉ. एस.ए.एस. हफीज़ुल्ला ने एक ट्वीट (tweet) में स्वयं को महिलाओं के पक्षधर (women’s advocate) के रूप में पेश किया है। वे कहते हैं कि आपातकालीन गर्भनिरोधकों (emergency contraceptives) पर प्रतिबंध (ban) लगना चाहिए ‘क्योंकि गर्भनिरोध की ज़िम्मेदारी (responsibility of contraception) मात्र महिला पर क्यों रहे?’ लेकिन यदि देश के लगभग 90 पुरुष (men) आगे आकर सुरक्षित बैरीयर विधियों (barrier methods) (जैसे कंडोम (condoms)) का उपयोग करना या नसबंदी (sterilization) करवाना नहीं चाहते तो क्या यह महिलाओं के हक में होगा कि उन्हें अपनी सुरक्षा (safety) के विकल्पों (options) से वंचित किया जाए? (स्रोत फीचर्स)
नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
Photo Credit : https://nivarana.org/article/Why-Over-The-Counter-Emergency-Contraceptives-Must-Stay-6704ef82e9e36