भूमध्य सागर सूखने पर जीवन उथल-पुथल हुआ था

अपने सुंदर समुद्र तटों के लिए लोकप्रिय भूमध्य सागर (Mediterranean Sea) लगभग 60 लाख वर्ष पूर्व पूरी तरह से सूख गया था। ‘भूमध्यसागर लवणीयता संकट’ (Mediterranean salinity crisis) के रूप मशहूर इस घटना ने इस क्षेत्र में लगभग सभी समुद्री जीवन (marine life) को मिटा दिया और नमक की एक मोटी परत छोड़ दी। इसके परिणामस्वरूप क्षेत्र की जैव विविधता (biodiversity) गंभीर रूप से प्रभावित हुई। 

इस घटना के साक्ष्य पहली बार 1970 के दशक में उजागर हुए जब भूवैज्ञानिकों (geologists) ने समुद्र तल की खुदाई में बड़े पैमाने पर नमक जमा पाया। विशेषज्ञों के अनुसार, 60 लाख वर्ष पूर्व पृथ्वी की महाद्वीपीय प्लेटें खिसकने के कारण भूमध्य सागर अटलांटिक महासागर (Atlantic Ocean) से अलग हो गया, जिसके बाद लगभग 6 लाख वर्षों में समुद्र सूख गया। नतीजतन, कोरल रीफ (coral reef) और मछली प्रजातियों से संपन्न पारिस्थितिकी तंत्र (ecosystem) लगभग नमक का बंजर रेगिस्तान बन गया। इस संकट ने समुद्री जीवन को काफी प्रभावित किया, भूमध्य सागर की जैव विविधता को हमेशा के लिए बदल डाला। 

भूविज्ञानी कॉन्स्टेन्टिना अगियादी और उनकी टीम द्वारा हाल ही में किए गए अध्ययन ने इस विलुप्ति की घटना और उसके बाद की बहाली के बारे में नई जानकारी प्रदान की है। उन्होंने संग्रहालयों में उपलब्ध 1.2 करोड़ से 35 लाख वर्ष पुराने 23,000 से अधिक जीवाश्मों (fossils) का विश्लेषण किया, जिससे 1755 वंशों (genera) की 4903 प्रजातियों का पता चला जो कभी भूमध्य सागर में निवास करती थीं। इस शोध से एक गंभीर तस्वीर सामने आई है: जीवंत कोरल रीफ सहित लगभग 800 प्रजातियां (species) पूरी तरह से विलुप्त हो गईं। केवल सार्डीन और मैनेटिज़ (sardines and manatees) जैसी समुद्री स्तनधारियों (marine mammals) की केवल 86 प्रजातियां इस आपदा से बच पाईं। 

लगभग 50,000 वर्षों के बाद, टेक्टोनिक प्लेटों (tectonic plates) के विचरण ने भूमध्य सागर को अटलांटिक से फिर से जोड़ दिया और समुद्र का पानी सूखे हुए बेसिन में वापस बहने लगा। लगभग 2700 प्रजातियां इस क्षेत्र में पुनः आबाद हो गईं। हालांकि, वे सभी प्रजातियां वापस नहीं पनप सकीं जो पहले यहां रहा करती थीं। आजकल की प्रजातियों में नई प्रजातियां अधिक हैं, जैसे ग्रेट व्हाइट शार्क (great white shark), डॉल्फिन (dolphin) वगैरह। 

इस घटना ने जैव विविधता पैटर्न (biodiversity patterns) में भी दीर्घकालिक बदलाव किया। इस संकट से पहले, भूमध्य सागर के पूर्वी भाग में (आधुनिक लेबनान के पास) जैव विविधता सबसे अधिक थी। लेकिन पानी फिर से भर जाने के बाद जैव विविधता का केंद्र पश्चिमी छोर बन गया, जो आज भी कायम है। जैव विविधता के केंद्र में परिवर्तन के कारण अभी स्पष्ट नहीं हैं। 

बहरहाल, यह संकट एक केस स्टडी है जिससे यह समझा जा सकता है कि कैसे पारिस्थितिकी तंत्र चरम पर्यावरणीय परिवर्तनों (extreme environmental changes) के बाद ढहते और बहाल होते हैं। उम्मीद है कि यह अध्ययन दुनिया भर के ऐसे क्षेत्रों पर और अधिक अध्ययनों को प्रेरित करेगा। विशेष रूप से मध्य यूरोप और मेक्सिको की खाड़ी (Gulf of Mexico) में यह समझने में मदद मिलेगी कि पिछले पर्यावरणीय बदलावों ने वैश्विक स्तर पर जैव विविधता को कैसे प्रभावित किया था। (स्रोत फीचर्स) 

नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
Photo Credit : https://www.science.org/do/10.1126/science.zklyp9i/full/_20240924_nid_salinity-1727287207300.jpg

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