चींटियों ने कीटभक्षी पक्षियों को ऊपरी इलाकों में खदेड़ा

दक्षिण एशिया के निचले इलाकों में, फलभक्षी (fruit-eating birds) और मकरंदभक्षी पक्षी तो खूब दिखाई देते हैं, लेकिन कीटभक्षी पक्षी (insect-eating birds) यहां दुर्लभ हैं। इकोलॉजी लेटर्स (Ecology Letters) में प्रकाशित एक अध्ययन ने इस विषय पर प्रकाश डाला है और बताया है कि कीटभक्षी पक्षियों के नदारद होने के पीछे बुनकर चींटियों (weaver ants) का हाथ है। निचले जंगलों में रहने वाली बुनकर चींटियां गुबरैले और पतंगों जैसे जीवों को खा जाती हैं। दिक्कत यह है कि यही जीव कीटभक्षी पक्षियों के भी भोजन (insect prey) हैं। चूंकि चींटियां इन पक्षियों के भोजन को खत्म कर देती हैं, मजबूरन पक्षी ऊंचे इलाकों (higher elevations) पर चले जाते हैं, जहां ये चींटियां नहीं पाई जातीं। 

दरअसल, कई पर्वत शृंखलाओं में समुद्रतल से लगभग 1000 से 1500 मीटर की ऊंचाई को ‘एंट लाईन’ (ant line) या चींटी रेखा कहा जाता है। इस रेखा के ऊपर छोटे अकशेरुकी जीव (invertebrates) कम मिलने लगते हैं। वैसे तो बुनकर चींटियां उत्तरी ऑस्ट्रेलिया, दक्षिणपूर्वी एशिया से लेकर अफ्रीका तक व्यापक रूप से फैली हैं, लेकिन 2020 में, हिमालय क्षेत्र में किए गए एक अध्ययन ने ऐसा संकेत दिया था कि निचले इलाके के जंगलों में सात भाई (sibling species) और फुदकी जैसे कीटभक्षी पक्षियों के न होने का कारण संभवत: बुनकर चींटियां ही हैं। जब शोधकर्ताओं ने एशियाई बुनकर चींटियों (Oecophylla smaragdina) को अध्ययन क्षेत्र से हटाया और उन्हें पेड़ पर चढ़ने से रोक दिया, तो गुबरैले और पतंगों (beetles and moths) जैसे कीटों की संख्या बढ़ गई थी। ये कीट सॉन्गबर्ड्स (songbirds) जैसे कीटभक्षी पक्षियों के भोजन का मुख्य स्रोत हैं। 

इस आधार पर शोधकर्ताओं ने यह परिकल्पना (hypothesis) बुनी कि बुनकर चींटियों के साथ प्रतिस्पर्धा निचले इलाकों के जंगलों में कीटभक्षी पक्षियों की संख्या कम होने के लिए ज़िम्मेदार हो सकती है। 

इस परिकल्पना से प्रेरित होकर भारतीय विज्ञान संस्थान (Indian Institute of Science) के पारिस्थितिकीविद उमेश श्रीनिवासन और उनके दल ने यह देखने की कोशिश की कि क्या इसी तरह के पैटर्न अन्यत्र भी दिखते हैं। इसके लिए उन्होंने दुनिया भर के पहाड़ी पक्षियों (mountain birds) की ऊंचाई के मुताबिक उपस्थिति का विश्लेषण किया। इस विश्लेषण से पता चला कि जिन इलाकों में बुनकर चींटियां नदारद थीं, वहां कीटभक्षी पक्षियों की विविधता (bird diversity) कम ऊंचाई पर काफी अधिक होती है और ऊंचे इलाकों में कम होती जाती है। लेकिन बुनकर चींटियों की मौजूदगी वाले क्षेत्रों में, पक्षियों की विविधता 1000 मीटर से ऊंचे इलाकों में अत्यधिक थी। 

लेकिन फलभक्षी (fruit-eating birds) या अन्य भोजन पर आश्रित पक्षियों में ऐसा कोई पैटर्न नहीं दिखा। यह पैटर्न और नतीजे काफी दिलचस्प हैं, लेकिन वास्तविक परिस्थितियों में इस परिकल्पना को जांचकर देखने की ज़रूरत है कि क्या वास्तव में ऐसे नतीजे मिलते हैं। यदि यह पैटर्न सामान्य है, तो यह काफी रोचक है कि चींटियां जैव विविधता (biodiversity) को इस कदर प्रभावित करती हैं। (स्रोत फीचर्स)

नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
Photo Credit : https://upload.wikimedia.org/wikipedia/commons/5/55/Red_Weaver_Ant%2C_Oecophylla_smaragdina.jpg

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