हाल ही में एक अध्ययन में दावा किया गया है कि होम्योपैथी उपचार से चूहों को दर्द से राहत मिलती है। यह अध्ययन साइंटिफिक रिपोर्टस नामक शोध पत्रिका में प्रकाशित हुआ है जो एक ऐसी पत्रिका है जिसमें समकक्ष समीक्षा की प्रक्रिया की जाती है। होम्योपैथी के कई समर्थक समूह इस अध्ययन को लेकर काफी उत्साहित हैं किंतु कई अन्य समूहों ने इन नतीजों पर शंका प्रकट की है।
उपरोक्त शोध पत्र के प्रमुख लेखक धुले के औषधि विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान के चंद्रगौड़ा पाटिल हैं। उनका कहना है कि उनके अध्ययन के नतीजे अत्यंत प्रारंभिक हैं और अभी यह स्पष्ट नहीं है कि इन्हें मनुष्यों पर लागू किया जा सकता है या नहीं।
चूहों पर किए गए इस अध्ययन में पाटिल व उनके साथियों ने बताया है कि टॉक्सिकोडेंड्रॉन प्यूबीसेंस (Toxicodendron pubescens) नामक एक पौधे का अत्यंत तनु काढ़ा 8 चूहों को पिलाया गया। यह देखा गया कि गर्म या ठंडे से संपर्क होने पर ये चूहे कितनी तेज़ी से अपना पंजा हटा लेते हैं। शोधकर्ताओं का कहना है कि यह औषधि सूजन व दर्द को कम करने में एक दर्द निवारक दवा गैबापेंटिन के बराबर कारगर साबित हुई थी।
अन्य वैज्ञानिकों का कहना है कि 8 चूहों का नमूना बहुत छोटा है। इसके अलावा अध्ययन के दौरान शोधकर्ता जानते थे कि किस चूहे को औषधि दी गई है और किसे नहीं। अत: चूहों की प्रतिक्रिया को रिकॉर्ड करने में उनके पूर्वाग्रहों की भूमिका हो सकती है। वैसे, इस शोध पत्र के एक विश्लेषण में यह भी पता चला कि इसमें दो अलग–अलग प्रयोगों के लिए जो चित्र दिए गए हैं, वह दरअसल एक ही चित्र है। इसके अलावा आंकड़ों में गफलत नज़र आई है। पाटिल का कहना है कि ये त्रुटियां भूलवश रह गई हैं और वे शोध पत्रिका से अनुरोध करेंगे कि इन्हें दुरुस्त करके शोध पत्र को अपडेट कर दे।
वैज्ञानिकों में असंतोष इस बात को लेकर है कि साइंटिफिक रिपोर्टस जैसी पत्रिका के प्रकाशन–पूर्व समीक्षकों ने इन बातों पर ध्यान नहीं दिया। पत्रिका के संपादकों का कहना है कि वे पूरे मामले की जांच करवा रहे हैं। (स्रोत फीचर्स)
नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
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