ज़ुबैर सिद्दिकी
मनुष्य सहित अधिकांश स्तनधारी प्राणियों में उम्र बढ़ने के साथ सुनने की क्षमता (hearing ability) क्षीण पड़ जाती है। लेकिन बड़े-भूरे चमगादड़ (big brown bats) (एप्टेसिकस फ्यूस्कस) इस मामले में अपवाद हैं। बायोआर्काइव (bioRxiv) में प्रकाशित हालिया शोध से पता चलता है कि ये चमगादड़ जीवन भर अपनी सुनने की क्षमता बनाए रखते हैं। इसका कारण संभवत: इकोलोकेशन (echolocation) (प्रतिध्वनि की मदद से स्थान निर्धारण) पर उनकी निर्भरता है। यह शोध मनुष्यों में श्रवण क्षमता के ह्रास (hearing loss) के उपचार में मदद कर सकता है।
गौरतलब है कि चमगादड़ों में दो उल्लेखनीय गुण होते हैं: एक है इकोलोकेशन, जो वस्तुओं से टकराकर वापस आईं ध्वनि तरंगों के माध्यम से मार्ग निर्धारण (navigation) करने और शिकार (hunting) करने में मदद करता है। और दूसरा, वे अपने आकार के हिसाब से असाधारण रूप से लंबा जीते हैं। अधिकांश छोटे स्तनधारियों का जीवनकाल (lifespan) छोटा होता है, लेकिन बड़े-भूरे चमगादड़ 19 साल तक जीवित रह सकते हैं, जो लगभग बराबर डील-डौल के चूहों से पांच गुना अधिक है।
इसी गुण के कारण वैज्ञानिक बुढ़ाने (aging) और सुनने की क्षमता की तुलना के लिए इन्हें शक्तिशाली मॉडल-जंतु (model organisms) के तौर पर देख रहे हैं। गौरतलब है कि चमगादड़ों की श्रवण प्रणाली (auditory system) मूलत: अन्य स्तनधारियों के समान ही होती है।
बड़े-भूरे चमगादड़ों की उम्र के साथ सुनने की क्षमता का पता लगाने के लिए जॉन हॉपकिंस यूनिवर्सिटी (Johns Hopkins University) की शोधकर्ता ग्रेस कैपशॉ (Grace Capshaw) और उनकी टीम ने 23 जंगली चमगादड़ों को युवा और बूढ़े समूहों में विभाजित किया, जिसमें छह साल की उम्र को विभाजन रेखा के रूप में इस्तेमाल किया गया। अध्ययन में अधिकतम संभव उम्र के करीब वाले चमगादड़ शामिल नहीं थे। चमगादड़ों की उम्र जेनेटिक विधि (genetic method) से निर्धारित की गई और श्रवण परीक्षण (hearing tests) लगभग वैसे ही किए गए जैसे मानव शिशुओं (human infants) पर किए जाते हैं। चमगादड़ों के सिर पर लगे इलेक्ट्रोड्स (electrodes) से विभिन्न ध्वनियों के जवाब में श्रवण तंत्रिका द्वारा उत्पन्न विद्युत संकेतों को मापा।
परिणामों से पता चला कि युवा और बूढ़े दोनों चमगादड़ सबसे धीमी ध्वनियों (low-frequency sounds) को समान रूप से अच्छी तरह से सुन सकते हैं, विशेष रूप से उन आवृत्तियों को जो वे इकोलोकेशन और संवाद में उपयोग करते हैं। मनुष्यों में अक्सर आंतरिक कान (कॉक्लिया) में रोम कोशिकाओं की मृत्यु के कारण सुनने की क्षमता क्षीण पड़ जाती है, जबकि इस अध्ययन में पाया गया कि सबसे बूढ़े चमगादड़ों में भी रोम कोशिकाएं और कॉक्लिया (cochlea) सलामत थे।
लेकिन सभी चमगादड़ प्रजातियां इतनी सौभाग्यशाली नहीं हैं। मसलन, मिस्र के रूसेटस एजिप्टियाकस (Rousettus aegyptiacus) चमगादड़ उम्र के साथ सुनने की क्षमता खो देते हैं। संभवत: इसका कारण यह है कि वे शिकार के लिए ध्वनि की अपेक्षा देखने (vision) पर अधिक निर्भर होते हैं।
बहरहाल, इन चमगादड़ों की असाधारण श्रवण क्षमता को पूरी तरह समझने के लिए और अधिक शोध की ज़रूरत है।(स्रोत फीचर्स)
नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
Photo Credit : https://www.science.org/do/10.1126/science.z1evi4c/full/_20240730_on_brown_bat_hearing-1722374989587.jpg