ज़ुबैर सिद्दिकी
वैश्विक आपदाओं से सुरक्षा के लिए लाखों किस्म के बीजों को नॉर्वे स्थित स्वालबर्ड ग्लोबल सीड वॉल्ट (Svalbard Global Seed Vault) में रखा गया है। इसे डूम्सडे वॉल्ट (Doomsday Vault) (कयामत की तिज़ोरी) कहा जाता है। इस तिज़ोरी को 100 देशों ने मिलकर स्वालबर्ड में इसलिए स्थापित किया था ताकि इसमें रखे गए बीज व अन्य जैविक सामग्री जलवायु परिवर्तन (climate change) से सुरक्षित रहे और भविष्य में ज़रूरत पड़ने पर काम आ सके। फिलहाल यहां 8 लाख 60 हज़ार बीज व अन्य सामग्री रखी गई है।
लेकिन 2017 में आर्कटिक ग्रीष्म लहर के कारण पर्माफ्रॉस्ट (permafrost) (बर्फ का स्थायी आवरण) पिघलने से वॉल्ट में पानी भर गया। इस घटना से संरक्षित बीजों को तो कोई हानि नहीं हुई लेकिन इसने स्मिथसोनियन नेशनल ज़ू एंड कंज़र्वेशन बायोलॉजी इंस्टीट्यूट (Smithsonian National Zoo and Conservation Biology Institute) की जीवविज्ञानी मैरी हेगडॉर्न को चिंता में डाल दिया। वे न सिर्फ बीज बल्कि जंतु कोशिकाओं को सहेजने के लिए एक अधिक सुरक्षित स्थान पर विचार करने लगीं – एक ऐसा स्थान जो जलवायु परिवर्तन और अन्य वैश्विक संघर्षों (global conflicts) से मुक्त हो। और उन्हें लगा कि चंद्रमा (moon) से बेहतर कोई स्थान नहीं है।
बायोसाइंस (Bioscience) में हाल ही में प्रकाशित एक लेख में, हेगडॉर्न और दस अन्य विशेषज्ञों ने चंद्रमा पर डूम्सडे वॉल्ट (Doomsday Vault) के लिए एक योजना का प्रस्ताव दिया है। इस योजना में चंद्रमा के ऐसे स्थान पर जैविक सामग्री (biological material) सहेजने की कल्पना है जहां हमेशा छाया बनी रहती हो, जहां का तापमान तरल नाइट्रोजन (liquid nitrogen) जितना ठंडा हो तथा परिरक्षण के लिए एक निष्क्रिय व स्थिर वातावरण मौजूद हो।
चंद्रमा पर तिज़ोरी बनाने का विचार हवाई स्थित कोरल रीफ (coral reef) के शीत संरक्षण (cryo-preservation) के दौरान आया जब तरल नाइट्रोजन की आपूर्ति में रुकावट के कारण बायोरिपॉज़िटरी (biorepository) नष्ट हो गई। इसके अलावा तूफान कैटरीना जैसी प्राकृतिक आपदाओं ने एक विश्वसनीय बैकअप स्टोरेज (backup storage) की आवश्यकता दर्शाई। अत्यधिक ठंडा और पर्यावरणीय खतरे कम होने के कारण चंद्रमा एक आदर्श स्थान प्रतीत होता है।
हालांकि यह अवधारणा दूर की कौड़ी लग सकती है, लेकिन ऐसे नमूनों को सहेजने के तरीके पहले से उपलब्ध हैं। इसकी मुख्य चुनौती यह सुनिश्चित करना है कि रोबोट (robots) या अंतरिक्ष यात्री (astronauts) चंद्रमा के कठिन वातावरण में काम कर पाएं।
चंद्रमा पर तिज़ोरी कई उद्देश्यों की पूर्ति कर सकती है। अंतरिक्ष मिशनों (space missions) के लिए, यह पौधे उगाने के एक संसाधन के रूप में कार्य कर सकती है, जो मंगल ग्रह (Mars) पर टेराफॉर्मिंग (terraforming) जैसे भविष्य के अंतरिक्ष प्रयासों के लिए आवश्यक है। यह क्षेत्रीय आपदाओं (regional disasters) से सुरक्षित रखते हुए पृथ्वी की जैव विविधता के एक आनुवंशिक संग्रह के रूप में भी कार्य कर सकती है।
लेकिन यह स्पष्ट रहे कि वैश्विक सर्वनाश (global apocalypse) की स्थिति में यह भंडार उपयोगी संसाधन साबित नहीं होगा। यह तो भीषण तूफान या खाद्य शृंखला के महत्वपूर्ण घटकों को खतरे में डालने वाली बीमारियों जैसी स्थानीय आपदाओं से बचाव के लिए है।
हेगडॉर्न ने यह भी स्पष्ट किया है कि चंद्रमा पर जैव विविधता परिरक्षण (biodiversity preservation) को पृथ्वी के पारिस्थितिकी तंत्र (ecosystem) की रक्षा/बहाली के विकल्प के तौर पर नहीं देखना चाहिए बल्कि इन प्रयासों के पूरक के तौर पर देखना चाहिए।
इसमें सबसे महत्वपूर्ण चुनौती प्रबंधन की होगी। पहले से ही चंद्रमा के संसाधनों के लिए होड़ कर रहे देशों के साथ, तिज़ोरी के प्रबंधन पर अंतर्राष्ट्रीय समझौता (international agreement) जटिलताओं से भरा होगा।
वर्तमान में टीम का प्रयास अंतरिक्ष यात्रा के दौरान कोशिकाओं को विकिरण (radiation) से बचाने पर केंद्रित है। वे नई हल्की सामग्रियों का परीक्षण करने और इन चुनौतियों से निपटने के लिए आवश्यक तकनीकी विशेषज्ञता जुटाने की योजना बना रहे हैं।
बहरहाल, चंद्रमा पर कयामत की तिज़ोरी (Doomsday Vault) का निर्माण एक महत्वाकांक्षी परियोजना है जो अत्याधुनिक विज्ञान (cutting-edge science) को दूरदर्शी सोच के साथ जोड़ती है। आज कदम उठाकर, हेगडॉर्न और उनकी टीम पृथ्वी की जैव विविधता (biodiversity) के लिए एक स्थायी सुरक्षा व्यवस्था बनाने की उम्मीद करती है, यह सुनिश्चित करते हुए कि भविष्य की पीढ़ियां अधिक लचीलेपन और उम्मीद के साथ चुनौतियों का सामना कर सकें।(स्रोत फीचर्स)
नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
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