हाल ही में नासा ने 3800 करोड़ रुपए के वाइपर मिशन (वोलेटाइल्स इन्वेस्टिगेटिंग पोलर एक्सप्लोरेशन रोवर) को रद्द कर दिया है। इस मिशन का उद्देश्य चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर बर्फ का मानचित्र तैयार करना और कुछ क्षेत्रों में बर्फ में ड्रिल करना था। मिशन को रद्द करने का कारण बजट की कमी, रोवर और उसके लैंडर के निर्माण में देरी व इसके चलते रोवर की बढ़ती लागत, और अतिरिक्त परीक्षण व्यय बताए गए हैं।
गौरतलब है कि वाइपर मिशन नासा के व्यावसायिक लूनर पेलोड सर्विसेज़ (सीएलपीएस) कार्यक्रम का हिस्सा था, जो चंद्रमा पर वैज्ञानिक उपकरण भेजने के लिए निजी एयरोस्पेस कंपनियों के साथ मिल-जुलकर काम कर रहा था। इसके लिए 3640 करोड़ रुपए का आवंटन हुआ था और 2023 में प्रक्षेपित करने की योजना थी। वाइपर को एक कंपनी एस्ट्रोबोटिक टेक्नॉलॉजी के ग्रिफिन यान की मदद से भेजा जाना था। उद्देश्य चंद्रमा की बर्फ में दबी रासायनिक जानकारी को उजागर करने व सौर मंडल की उत्पत्ति को समझने के अलावा भविष्य के चंद्रमा मिशनों के लिए संसाधनों की व्यवस्था के लिए चंद्रमा के ठंडे, अंधेरे क्षेत्रों से बर्फ का नमूना प्राप्त करना था।
अलबत्ता, निर्माण में देरी ने प्रक्षेपण को 2025 के अंत तक धकेल दिया, जिससे मिशन की लागत करीब 1500 करोड़ रुपए तक बढ़ गई। लागत में वृद्धि की आंतरिक समीक्षा के बाद मिशन को रद्द कर दिया गया।
एक कारण यह भी बताया जा रहा है कि 50 वर्षों के अंतराल के बाद पहले अमेरिकी चंद्रमा लैंडर वाइपर का निर्माण एस्ट्रोबोटिक टेक्नॉलॉजी नामक कंपनी को करना था। इस कंपनी का पेरेग्रीन अंतरिक्ष यान प्रोपेलर लीक होने के कारण अनियंत्रित हो गया था और चंद्रमा की धरती तक पहुंचने में विफल रहा था। इससे वाइपर को सुरक्षित रूप से चांद पर पहुंचाने की एस्ट्रोबोटिक की क्षमता पर संदेह पैदा हुआ।
इन असफलताओं के बावजूद, एस्ट्रोबोटिक अगले साल अपने ग्रिफिन चंद्रमा लैंडर को लॉन्च करने की तैयारी कर रहा है और वह कोशिश कर रहा है कि उसे चंद्रमा पर पहुंचाने हेतु अन्य उपकरण मिल जाएं। इसके लिए वह अन्य अन्वेषकों से प्रस्ताव आमंत्रित कर रहा है।
गौरतलब है कि मिशन रद्द करने की घोषणा ऐसे समय पर हुई जब वाइपर ने अंतरिक्ष की कठोर परिस्थितियों का सामना करने के लिए परीक्षण शुरू ही किया था। फिलहाल, नासा भविष्य के मिशनों के लिए रोवर या उसके पुर्ज़ों का उपयोग करने में रुचि रखने वाले भागीदारों की तलाश में है। यदि कोई उपयुक्त प्रस्ताव प्राप्त नहीं होता है तो रोवर को खोलकर उसके पुर्ज़ों का फिर से इस्तेमाल किया जाएगा। हालांकि, कई विशेषज्ञ रोवर को नष्ट करने के बजाय इसे सहेजने का सुझाव देते हैं।
वाइपर मिशन के रद्द होने के बावजूद, नासा चंद्रमा पर पानी और बर्फ की खोज के लिए प्रतिबद्ध है। पोलर रिसोर्सेज़ आइस माइनिंग एक्सपेरीमेंट-1 (प्राइम-1) को इस साल के अंत में इंट्यूटिव मशीन द्वारा निर्मित एक व्यावसायिक लैंडर पर चंद्रमा मिशन के लिए निर्धारित किया गया है। (स्रोत फीचर्स)
नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
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