एक हालिया और दिलचस्प अध्ययन से पता चला है कि संभवत: कन्फ्यूशियसॉर्निस वंश के प्राचीन पक्षी आधुनिक चिड़ियाओं के सामान पंख छोड़ते थे। पक्षियों में उड़ान दक्षता बनाए रखने के लिए पंखों का निर्मोचन (यानी पुराने पंख झड़कर नए पंख आना) एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है जो बायोलॉजी लेटर्स में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार इन प्राचीन पक्षियों में मौजूद थी।
पंखों की उत्पत्ति संभवत: डायनासौर और टेरोसौर के साझा पूर्वजों में लगभग 25 करोड़ वर्ष पहले ट्राएसिक काल में हुई थी। इन पक्षियों के शुरुआती पंख हल्के रोएं से अधिक कुछ नहीं होते थे। समय के साथ, शिकारी पक्षियों (रैप्टर्स) और पक्षियों की पूर्ववर्ती प्रजातियों (जैसे मांसाहारी डायनासौर) में केरेटिन से बने जटिल पंख विकसित हुए। केरेटीन वही प्रोटीन है जिससे मनुष्यों में बाल और नाखून का निर्माण होता है। लेकिन नाखूनों के विपरीत पंख अपने आधार से निरंतर नहीं बढ़ते। परिपक्व होने के बाद ये मृत संरचना ही होते हैं। इसलिए पक्षियों को अपने पुराने पंखों को छोड़ना पड़ता है। विभिन्न पक्षियों में इसके तरीके अलग-अलग होते हैं।
उड़ने में असमर्थ पेंगुइन जैसे पक्षी एक बार में बहुत सारे पंख गिराते हैं, जबकि उड़ने वाले पक्षी अपनी उड़ने की क्षमता बनाए रखने के लिए एक बार में कुछ ही पंख गिराते हैं। इसे क्रमिक निर्मोचन कहते हैं। इस तरीके में उनके डैनों पर छोटी-छोटी रिक्तियां रह जाती हैं, जहां नए पंख उगते हैं।
इस अध्ययन के लिए फील्ड म्यूज़ियम ऑफ नेचुरल हिस्ट्री के जीव विज्ञानी योसेफ किआट और उनकी टीम ने चीन के एक म्यूज़ियम के 600 से अधिक पक्षी जीवाश्मों का अध्ययन किया। ये पक्षी शुरुआती क्रेटेशियस काल (लगभग 12.5 करोड़ साल पूर्व) के दौरान वर्तमान के पूर्वी चीन में रहते थे। इनमें कन्फ्यूशियसॉर्निस सबसे आम पक्षी था। कौवे की साइज़ के इस पक्षी की खोपड़ी सरीसृपों के समान, पंजे मुड़े हुए, घने पंख और दांत-विहीन चोंच होती थी। यह संरचना डायनासौर और पक्षी दोनों से मिलती-जुलती थी। टीम को कन्फ्यूशियसॉर्निस के दो ऐसे जीवाश्म भी मिले जो निर्मोचन प्रक्रिया के दौरान ही अश्मीभूत हुए थे। उनके परिपक्व पंखों के बीच रिक्तियों में काले, बढ़ते पंख दिखाई दे रहे थे। ये नए पंख दोनों डैनों में सममित रूप से मौजूद थे। यह आधुनिक सॉन्गबर्ड में देखी जाने वाली क्रमिक निर्मोचन प्रक्रिया के समान ही है। टीम के अनुसार ये जीवाश्म पक्षियों में निर्मोचन के सबसे पुराने ज्ञात साक्ष्य हैं। अनुमान है कि पंख निर्मोचन की यह प्रक्रिया साल में एक बार न होते हुए उनके शारीरिक विकास में उछाल के अनुरूप होती होगी।
ये साक्ष्य 12 करोड़ वर्ष पहले पाए जाने वाले चार डैनों वाले डायनासौर माइक्रोरैप्टर में क्रमिक निर्मोचन के साक्ष्यों से भी मेल खाते हैं और इस विचार का समर्थन करते हैं कि माइक्रोरैप्टर उड़ सकता था, क्योंकि क्रमिक निर्मोचन अक्सर उड़ने वाली प्रजातियों में देखा जाता है।
यह अध्ययन कई डायनासौर में निर्मोचन की संभावना जताता है और उड़ान के विकास में इस प्रक्रिया का महत्व बताता है। (स्रोत फीचर्स)
नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
Photo Credit : https://www.science.org/do/10.1126/science.z1qy3t5/files/_20240702_on_bird_molting_secondary.jpg