एंटीबायोटिक प्रतिरोध दुनिया भर में सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए एक खतरा है। ऐसा अनुमान है कि वर्ष 2019 में इसके कारण 12 लाख लोगों की मृत्यु हुई। अक्सर ऐसा माना जाता है कि एंटीबायोटिक दवाइयों के अत्यधिक उपयोग के चलते बैक्टीरिया एंटीबायोटिक दवाओं के प्रतिरोधी होते जा रहे हैं। लेकिन हाल ही में शोधकर्ताओं ने प्रतिरोध का एक और संभावित कारण पाया है: अवसादरोधी औषधियों का सेवन।
प्रयोगशाला अध्ययन में देखा गया है कि किस तरह अवसादरोधी दवाइयां बैक्टीरिया में प्रतिरोध को शुरू कर सकती हैं। इन दवाइयों के संपर्क से बैक्टीरिया में एक नहीं बल्कि कई एंटीबायोटिक्स के खिलाफ प्रतिरोध देखा गया।
मामले की शुरुआत ऐसे हुई कि ऑस्ट्रेलियन सेंटर फॉर वॉटर एंड एनवायरमेंटल बायोटेक्नॉलॉजी के जियानहुआ गुओ ने साल 2014 में देखा था कि अस्पतालों के अपशिष्ट जल नमूनों की तुलना में घरेलू अपशिष्ट जल नमूनों में अधिक एंटीबायोटिक-रोधी जीन्स हैं, जबकि अस्पतालों में एंटीबायोटिक दवाइयों का उपयोग अधिक होता है।
इसके अलावा, गुओ और अन्य समूहों ने यह भी देखा था कि अवसादरोधी दवाइयां कुछ बैक्टीरिया को मार देती हैं या उनकी वृद्धि रोक देती हैं। ये दवाइयां कोशिका के प्रतिरक्षा तंत्र को उकसाती हैं, जो बैक्टीरिया को बाद में एंटीबायोटिक उपचार से बचने में सक्षम बनाता है।
गुओ और उनकी टीम देखना चाहती थी कि गैर-एंटीबायोटिक दवाओं का एंटीबायोटिक प्रतिरोध विकसित करने में क्या योगदान है। 2018 के एक अध्ययन में उन्होंने देखा था कि फ्लोक्सेटीन (ब्रांड नाम प्रोज़ेक) के संपर्क में आने के बाद ई. कोली बैक्टीरिया में कई एंटीबायोटिक दवाओं के खिलाफ प्रतिरोध विकसित हो गया था। हालिया अध्ययन में उन्होंने 5 अन्य अवसाद-रोधी दवाइयों और 13 एंटीबायोटिक दवाइयों पर अध्ययन किया और देखा कि ई. कोली में प्रतिरोध कैसे विकसित हुआ।
भरपूर ऑक्सीजन युक्त प्रयोगशाला परिस्थितियों में रखे गए बैक्टीरिया में उन्होंने देखा कि अवसादरोधी दवाइयों के कारण कोशिकाओं में सक्रिय ऑक्सीजन मूलक बने। ये विषैले अणु होते हैं जो बैक्टीरिया के प्रतिरक्षा तंत्र को सक्रिय करते हैं। इसने बैक्टीरिया की उस प्रणाली को सक्रिय कर दिया था जिसका उपयोग कई बैक्टीरिया एंटीबायोटिक दवाओं सहित विभिन्न अणुओं को बाहर निकालने के लिए करते हैं। इससे शायद इस बात की व्याख्या हो जाती है कि प्रतिरोधी जीन की अनुपस्थिति में भी कैसे ये बैक्टीरिया एंटीबायोटिक दवाइयों का सामना कर सकते हैं। ध्यान देने की बात यह है कि आंतों में, जहां ये बैक्टीरिया पाए जाते हैं, परिस्थिति ऑक्सीजन-रहित होती है। तो देखना होगा कि वहां क्या होता होगा। वैसे प्रयोग के दौरान अनॉक्सी परिस्थितियों में एंटीबायोटिक प्रतिरोध बहुत धीरे-धीरे विकसित हुआ था।
लेकिन अवसादरोधी दवाइयों के संपर्क में आने से ई. कोली बैक्टीरिया की उत्परिवर्तन दर में भी वृद्धि हुई, और उनमें से प्रतिरोधी जीन्स का चयन हुआ।
गौरतलब बात यह रही कि कम से कम एक अवसाद-रोधी दवा, सेरट्रेलाइन, ने बैक्टीरिया कोशिकाओं के बीच जीन्स के हस्तांतरण को बढ़ावा दिया। ऐसा हस्तांतरण विभिन्न बैक्टीरिया के बीच भी संभव है। इससे बैक्टीरिया की विभिन्न प्रजातियों के बीच भी प्रतिरोध फैल सकता है। अभी यह समझना बाकी है कि अवसादरोधी बैक्टीरिया में किन अणुओं को लक्षित करते हैं और विभिन्न बैक्टीरिया प्रजातियों पर इनके प्रभाव को देखने की भी ज़रूरत है।
2018 में, बैक्टीरिया को सीधे तौर पर प्रभावित न करने वाली 835 दवाइयों के सर्वेक्षण में देखा गया था कि इनमें से 24 प्रतिशत दवाइयों ने मानव आंत के कम से कम एक बैक्टीरिया किस्म की वृद्धि को रोक दिया था।
शोधकर्ता चूहों के सूक्ष्मजीव संसार पर अवसादरोधी दवाइयों के प्रभाव का अध्ययन कर रहे हैं। शुरुआती आंकड़े बताते हैं कि ये दवाइयां चूहों की आंत के सूक्ष्मजीव संसार को बदल सकती हैं और जीन हस्तांतरण को बढ़ावा दे सकती हैं।
बहरहाल शोधकर्ताओं ने आगाह किया है कि इस शोध के आधार पर अवसादरोधी का सेवन बंद न करें। क्योंकि अवसाद का इलाज करना सबसे ज़रूरी है। (स्रोत फीचर्स)
नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
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