कुछ सालों पहले तक युरोप के सबसे बड़े लैगून मार मेनोर का पानी साफ हुआ करता था जिसमें सीपियां (फैन मसल्स) अच्छी तरह पनपते थे। लैगून समुद्र से सटी खारे पानी की झील होती है। लेकिन 2016 में, खेतों से बहकर आए उर्वरकों के चलते लैगून को शैवाल ने ढंक लिया। नतीजतन, लैगून की ऑक्सीजन कम हो गई और समुद्री घोड़ों, केकड़ों और अन्य समुद्री जीवों के साथ-साथ 98 प्रतिशत फैन मसल नामक सीपियां खत्म हो गए।
पिछले साल लैगून की दयनीय स्थिति से परेशान होकर स्थानीय निवासियों और कार्यकर्ताओं ने मिलकर एक याचिका दायर की: 135 वर्ग किलोमीटर के लैगून को एक व्यक्ति के अधिकार मिलें। अंतत: स्पेन की संसद ने मार मेनोर लैगून को एक व्यक्ति के अधिकार दे दिए।
यह कानून लैगून और उसके जलग्रहण क्षेत्र को पूरी तरह से मानव का दर्जा तो नहीं देता है लेकिन इसके पारिस्थितिकी तंत्र को अस्तित्व में बने रहने, नैसर्गिक रूप से विकसित होने और अपने रख-रखाव के कानूनी अधिकार देता है। एक व्यक्ति की तरह इसकी देख-रेख के लिए भी इसके कानूनी अभिभावक होंगे।
वैसे, यह लैगून व्यक्ति के अधिकार पाने वाला युरोप का पहला पारिस्थितिकी तंत्र है लेकिन संरक्षण देने का यह तरीका पिछले एक दशक में काफी लोकप्रिय हुआ है। जैसे, भारत में गंगा और बांग्लादेश की हर नदी को एक व्यक्ति का दर्जा मिला हुआ है।
इस तरह के संरक्षण की सबसे सफल मिसाल न्यूज़ीलैंड की वांगानुई नदी है, जिसे 2017 में कानूनी अधिकार दिए गए थे। एक व्यक्ति की तरह नदी और उसका जलग्रहण क्षेत्र मुकदमा दायर कर सकता है या उस पर मुकदमा किया जा सकता है, उसके साथ कोई अनुबंध किया जा सकता है, और वह संपत्ति का मालिक हो सकता है। हालांकि इस नदी को व्यक्ति का दर्जा देने के पीछे उद्देश्य प्रदूषण रोकना नहीं था बल्कि लोगों को माओरी संस्कृति से जोड़ना और पश्चिमी कानून में प्रकृति को शामिल करना था, लेकिन इस कदम से पर्यावरण को फायदा हुआ: जल प्रबंधन के तरीके मनुष्यों की ज़रूरत की बजाय नदियों की सेहत पर केंद्रित होने लगे।
वैसे मार मेनोर की स्वच्छता के लिए पहले से कानून मौजूद हैं जो इसके पानी की गुणवत्ता, इसमें पल रहे जीवन और प्राकृतवासों को संरक्षण देते हैं। इसके तहत, संस्थान या मनुष्य फैन मसल्स को नुकसान नहीं पहुंचा सकते, या लैगून में मिलने वाली नदियों और झीलों को प्रदूषित नहीं कर सकते हैं।
इसके अलावा, स्पेन के पर्यावरण मंत्रालय ने अगले 5 वर्षों में इसे प्रदूषण मुक्त करने के लिए 50 करोड़ युरो आवंटित किए हैं। और, इस गर्मी में लैगून से बड़ी मात्रा में शैवाल हटाए गए हैं। कुछ हद तक उर्वरक लैगून तक पहुंचने से रोकने के लिए सरकारी एजेंसियां गैरकानूनी सिंचाई नहरें नष्ट कर रही हैं। लेकिन फिर भी लैगून की स्थिति में पर्याप्त सुधार नहीं दिखा है। संरक्षण कार्यकर्ताओं को लगता है कि नए कानूनी ढांचे से इन प्रयासों को गति मिलेगी।
इस कानून के तहत कोई भी नागरिक मार मेनोर की रक्षा के लिए मुकदमा कर सकता है। कानूनी अभिभावक, जिसमें सरकार के प्रतिनिधि और नागरिक शामिल हैं, लैगून की ओर से कानूनी और अन्य कार्रवाइयां कर सकते हैं। वैज्ञानिक समिति इसके पारिस्थितिक स्वास्थ्य का आकलन करेगी – जैसे इसकी लवणीयता, ऑक्सीजन वगैरह के स्तर पर निगरानी रखेगी। इसके अलावा उसका काम मार मेनोर के लिए पैदा हो रहे नए जोखिमों की पहचान करना व इसकी बहाली के उपाय सुझाना भी होगा। इसके निगरानी आयोग में पर्यावरण संगठन, मछली पालन और कृषि उद्योग व अन्य हितधारकों के प्रतिनिधि शामिल होंगे।
लेकिन मार मेनोर की सुरक्षा के लिए लाया गया यह कानून विरोध का सबब भी बन सकता है। जैसे हो सकता है किसान उर्वरकों के उपयोग में कटौती करने को राज़ी न हों। दक्षिणपंथी फोक्स पार्टी तो इस पहल को कानूनी बकवास मानती है।
इसके अलावा, नए अधिकारों का तालमेल मौजूदा कानूनी ढांचे से बनाना भी ज़रूरी होगा, जो किसानों के संपत्ति अधिकारों को पहचाने। क्योंकि अगर इसमें अस्पष्टता होगी तो अंतहीन मुकदमेबाज़ी चलती रहेगी। बहरहाल यदि ये प्रयास सफल होते हैं तो बाकी देश इनसे सीख सकते हैं। (स्रोत फीचर्स)
नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
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