हर वर्ष विश्व की 20 प्रतिशत फसलों को कीट चट कर जाते हैं। आम तौर पर इन फसलों की रक्षा के लिए कीटनाशकों का और कीटों के व्यवहार को प्रभावित करने वाले रसायनों (फेरोमोन्स) का उपयोग किया जाता है। फेरोमोन्स कीटों को भ्रमित करते हैं और वे प्रजनन साथी खोज नहीं पाते। लेकिन महंगे होने के कारण इनका ज़्यादा उपयोग नहीं होता। अब शोधकर्ताओं ने सस्ता फेरोमोन बना लिया है।
विश्व भर में प्रति वर्ष 4 लाख टन से अधिक कीटनाशकों का उपयोग किया जाता है। ये कीटनाशक खेतिहर मज़दूरों को नुकसान तो पहुंचाते ही हैं साथ ही परागणकर्ताओं और अन्य वन्यजीवों के लिए भी हानिकारक हैं। इसके अलावा कीटों में कीटनाशकों के विरुद्ध प्रतिरोध विकसित होने पर किसानों को इनका अधिक उपयोग करना पड़ रहा है। तो फेरोमोन एक अच्छा विकल्प हो सकता है।
मादा कीट नर को आकर्षित करने के लिए फेरोमोन्स का स्राव करती हैं। यदि विशिष्ट कीटों को आकर्षित करने वाले कृत्रिम फेरोमोन का उपयोग किया जाए तो नर चकमा खा जाएंगे और प्रजनन को रोका जा सकता है। तब मादा अनिषेचित अंडे देगी जिनमें से भुक्खड़ इल्लियां पैदा नहीं होंगी।
वैसे तो कीटों द्वारा उत्पन्न फेरोमोन कई यौगिकों का मिश्रण होता है। किसी प्रजाति विशेष के कीटों को आकर्षित करने के लिए कृत्रिम फेरोमोन में यौगिकों का सही मिश्रण होना चाहिए। लेकिन संभोग की प्रक्रिया को रोकने के लिए एक मोटा-मोटा मिश्रण चलेगा क्योंकि कई प्रजातियां एक से यौगिकों का इस्तेमाल करती हैं। फिर भी इस तरह का मिश्रण बनाना कोई आसान काम नहीं है। 1 किलोग्राम कृत्रिम फेरोमोन बनाने के लिए लगभग 1000 डॉलर (80 हज़ार रुपए) से 3500 डॉलर (2.7 लाख रुपए) तक का खर्च आता है। इसे खेतों में प्रसारित करने के लिए 3200 से 32,000 रुपए प्रति हैक्टर और लगते हैं तथा कुशल श्रमिकों की ज़रूरत होती है। इन्हीं कारणों से कृत्रिम फेरोमोन का उपयोग अपेक्षाकृत अधिक मुनाफा देने वाली फसलों में किया जाता है।
लुंड युनिवर्सिटी के केमिकल इकोलॉजिस्ट क्रिस्टर लोफस्टेड और उनके सहयोगी पिछले एक दशक से फेरोमोन संश्लेषण के आवश्यक रसायन बनाने के लिए पौधों को संशोधित कर रहे हैं। उन्होंने अपने अध्ययन के लिए कैमेलीना नामक पौधे को चुना है जिसके बीजों में भरपूर मात्रा में वसीय अम्ल होते हैं। ये वसीय अम्ल पौधों में फेरोमोन निर्माण के कच्चे माल के प्रमुख घटक हैं।
शोधकर्ताओं ने जेनेटिक इंजीनियरिंग की मदद से नैवल ऑरेंजवर्म का जीन कैमेलीना में जोड़ा। इसे जोड़ने पर कैमेलीना के बीज में (ज़ेड)-11-हेक्साडेकेनोइक अम्ल का उत्पादन होने लगता है। कीटों में यह वसीय अम्ल फेरोमोन का पूर्ववर्ती होता है। उन पौधों को चुना गया जो अम्ल का सबसे अधिक मात्रा में उत्पादन करते थे।
तीन पीढ़ियों बाद इन बीजों में फेरोमोन के उत्पादन के लिए पर्याप्त (ज़ेड)-11-हेक्साडेकेनोइक अम्ल था। इसकी मदद से शोधकर्ताओं ने एक तरल फेरोमोन मिश्रण तैयार किया जो डायमंडबैक पतंगे (प्लूटेला ज़ाइलोस्टेला) नामक कीट को आकर्षित करता था।
वर्ष 2017 में टीम ने चीन में इस फेरोमोन मिश्रण का परीक्षण किया। नेचर सस्टेनेबिलिटी में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार यह अन्य उपलब्ध कृत्रिम फेरोमोन के बराबर कारगर रहा। ब्राज़ील में किए गए एक अन्य परीक्षण में इस फेरोमोन ने कॉटन बोलवर्म (हेलिकोवर्पा अर्मिगेरा) के संभोग पैटर्न में ठीक उसी तरह का परिवर्तन किया जैसा महंगा कृत्रिम फेरोमोन करता है।
इस शोध में शामिल कंपनी आईएससीए ने इस रसायन की कीमत 70-125 डॉलर (5600-10,000 रुपए) के बीच रखी है जो लगभग कीटनाशकों के बराबर है। एक समस्या यह है कि यह तरीका बड़े खेतों में ही लाभदायक साबित होता है। विकासशील देशों में खेत छोटे-छोटे होते हैं। इसके लिए अलग रणनीति की ज़रूरत होगी। बहरहाल, अन्य कीटों के लिए भी फेरोमोन्स निर्माण के प्रयास जारी है। (स्रोत फीचर्स)
नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
Photo Credit : https://www.science.org/do/10.1126/science.ade6979/abs/_20220801_pest_management_plutella_xylostella.jpg