वर्षों से शोधकर्ता यह पता लगाते रहे हैं कि किसी क्षेत्र में कौन सी प्रजाति रहती हैं/थीं। इसके लिए वे कैमरा ट्रैप जैसे कई पारंपरिक तरीकों के अलावा हाल के वर्षों की नई विधियों का उपयोग करते हैं जो उन्हें उस क्षेत्र की हवा, पानी, मिट्टी वगैरह जैसी चीज़ों से भी जीवों के डीएनए (पर्यावरणीय डीएनए या ई-डीएनए) ढूंढने और निकालने में मदद करती हैं।
हाल ही में बायोलॉजी लेटर्स में प्रकाशित अध्ययन में ई-डीएनए के एक सर्वथा नए स्रोत, पौधों की सूखी पत्ती वगैरह, के बारे में बताया गया है। शोधकर्ताओं को सूखी चाय पत्ती के पाउच के विश्लेषण से कीटों की सैकड़ों प्रजातियां की उपस्थिति का पता चला है।
ट्रायर युनिवर्सिटी के पारिस्थितिकी आनुवंशिकीविद और अध्ययन के लेखक हेनरिक क्रेहेनविन्केल ने दी साइंटिस्ट को बताया है कि दरअसल यह समझने के लिए कि कीटों में परिवर्तन कैसे हुए हमें लंबे समय के डैटा की आवश्यकता है। जब कीटों की प्रजातियों में गिरावट सम्बंधी अध्ययन पहली बार प्रकाशित हुए थे, तो कई लोगों ने यह शिकायत की थी कि इसका कोई वास्तविक दीर्घकालिक डैटा नहीं है।
वे आगे बताते हैं कि ट्रायर युनिवर्सिटी में नमूना बैंक है जिसमें पिछले 35 सालों से जर्मनी के विभिन्न पारिस्थितिक तंत्रों से विभिन्न पेड़ों के पत्ते एकत्रित किए जा रहे हैं। विचार यह आया कि क्या इन पत्तों पर रहने वाले कीटों के डीएनए को इन पत्तों से प्राप्त किया जा सकता है? चूंकि ये नमूने तरल नाइट्रोजन में सहेजे गए थे इसलिए इनमें डीएनए अच्छी तरह संरक्षित होने की संभावना थी। इसलिए पहले तो इन नमूनों से डीएनए अलग किए गए, और इस डीएनए की मदद से इन पर आते-जाते रहने वाले संधिपादों (आर्थ्रोपोड) को पहचानकर उनका वर्गीकरण करने का प्रयास किया गया।
पूरी तरह से फ्रोज़न पत्तों से ई-डीएनए निकालने में सफलता के बाद सवाल आया कि क्या अन्य सतहों/परतों (सबस्ट्रेट्स) से भी डीएनए प्राप्त किए जा सकते हैं? और क्या अन्य तरह के सबस्ट्रेट्स पर डीएनए सलामत होंगे? कीटों में परिवर्तन कैसे हुए इसे समझने के लिए क्या संग्रहालयों में सहेजे गए पौधे मददगार हो सकते हैं? कई अध्ययन बताते हैं कि यदि कोई कीट पत्ती कुतरता है तो वह अपनी लार के माध्यम से डीएनए अवशेष उस पर छोड़ जाता है। परंतु कई अध्ययन यह भी बताते हैं कि ये डीएनए बहुत टिकाऊ नहीं होते; ये पराबैंगनी प्रकाश में खराब हो जाते हैं या बारिश में धुल जाते हैं। लेकिन हर्बेरियम में तो डीएनए को सहेजे रखने के लिए आदर्श स्थितियां होती हैं – सूखा और अंधेरा माहौल।
हर्बेरियम रिकॉर्ड पर काम शुरू करने से पहले शोधकर्ताओं ने सोचा कि किसी ऐसी चीज़ का अध्ययन करना चाहिए जो हर्बेरियम रिकॉर्ड जैसी ही हो। और संरचना के हिसाब से चाय (पत्ती) हर्बेरियम रिकॉर्ड के जैसी ही है। ये सूखी पत्तियां होती हैं जिन्हें अंधेरे में रखा जाता है।
परीक्षण में चाय पत्ती में काफी जैव विविधता दिखी। लगभग 100-150 मिलीग्राम के टी-बैग में कीटों की लगभग 400 प्रजातियों के डीएनए मिले। ये नतीजे चौंकाने वाले थे, क्योंकि ये नमूने महीन पावडर थे। तो चाय बागान के सभी हिस्सों के ईडीएनए पूरी चाय पत्ती में वितरित हो गए थे।
उम्मीद है कि इससे कीटों में हुए परिवर्तनों को समझने में मदद मिलेगी, और हमें ऐसे नए पदार्थ मिलेंगे जो अतीत के समय की जानकारी दे सकें। आप चाहें तो फूलों को इकट्ठा कर लें और इन्हें सिलिका जेल की मदद से सुखा लें। फूल को एक छोटे से लिफाफे में रखकर इसे ज़िपलॉक फ्रीज़र बैग में थोड़े से सिलिका जेल के साथ रखें तो एक दिन में फूल पूरी तरह सूख जाएगा। यानी सिद्धांतत: हम कमरे के तापमान पर भी नमूनों को सहेज सकते हैं, तरल नाइट्रोजन वगैरह की ज़रूरत नहीं होगी।
शोधकर्ता बताते हैं कि केवल यह जानना पर्याप्त नहीं है कि किसी क्षेत्र में कौन सी या कितनी प्रजातियां मौजूद थीं; यह भी पता लगाना होगा कि ये कीट किस तरह अंतर्क्रिया करते हैं और क्या खाते हैं। उदाहरण के लिए, हम जानते हैं कि कई कीट प्रजातियां बहुत विशिष्ट होती हैं, केवल एक निश्चित पौधे पर ही रहती हैं और यदि यह पौधा विलुप्त हो जाता है तो कीट प्रजाति भी उसके साथ विलुप्त हो जाती है। हैरानी की बात है कि हम इन अंतर्क्रियाओं के बारे में बहुत कम जानते हैं। फसलों को नुकसान पहुंचाने वाले कीटों के बारे में तो हम यह अच्छे से जानते हैं, लेकिन बाकी कीट प्रजातियों के बारे में नहीं पता। यह तरीका पौधों से नमूना लेने और पौधे पर रहने वाले कीटों को पहचानने में मदद कर सकता है।
आम तौर पर हर्बेरियम संग्रह बहुत कीमती होते हैं और शोधकर्ता नमूनों को पीसकर नुकसान पहुंचाए बिना डीएनए को सावधानीपूर्वक निकालने के तरीके विकसित कर रहे हैं। (स्रोत फीचर्स)
नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
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