पारिस्थितिक विज्ञानी डायना स्टासियुकिनास को जंगल में एक प्रेमी जोड़ा दिखाई दिया: दरअसल, कोलंबिया के ऊष्णकटिबंधीय सवाना क्षेत्र में हाटो ला ऑरोरा नेचर रिज़र्व में बड़ी-बड़ी घास के बीच जैगुआर (तेंदुए/चीते जैसे प्राणि) का एक जोड़ा प्रणय पुकार कर रहा था।
स्टासियुकिनास ने जब जैगुआर जोड़े की गुपचुप मुलाकात का यह वीडियो देखा तो वे थोड़ा सोच में पड़ गईं। क्योंकि थोड़े ही दिनों पहले इस जोड़े की मादा अपने 5 महीने के शावक के साथ खेलते और शिकार करते देखी गई थी। और अब वह एक नर जैगुआर के साथ इश्क लड़ा रही थी। और इस इश्कबाज़ी के दौरान कुछ दिनों तक उसका बच्चा कहीं नहीं दिखाई दिया। फिर कुछ दिनों बाद वही जैगुआर मादा फिर से अपने उसी बच्चे के साथ दिखाई दी। तब स्टासियुकिनास को लगा कि नर जैगुआर के साथ यह प्रेम प्रदर्शन अपने शावकों को हत्या से बचाने की रणनीति हो सकती है।
दरअसल, कभी-कभी नर जैगुआर मादा के साथ संभोग के लिए उन शावकों को मार देते हैं जो उनके अपने नहीं होते। जब तक मादा के साथ उसके शावक होते हैं, वह नर के साथ नहीं जाती। शावकों की हत्या मादा को मुक्त कर देती है, भविष्य के प्रतिस्पर्धी भी खत्म हो जाते हैं।
लिंगों के बीच इस तरह की लड़ाई अन्य बड़ी बिल्लियों में भी होती है। मां शेरनी और प्यूमा अपने शिशुओं को नर से बचाने के लिए संभोग के दौरान कहीं छुपा देती हैं। यह युक्ति नर को यह विश्वास दिला सकती है कि इसके बाद मादा के साथ दिखा शावक उसका अपना है और वह उसे नहीं मारता। मादा का इश्किया व्यवहार नर को यौन सफलता का गुमान दे सकता है जिससे संतानों को मारने की संभावना कम हो जाती है।
और अब एक्टा एथोलॉजिका में स्टासियुकिनास और उनके साथियों ने बताया है कि मादा जैगुआर भी अपने शावकों को हत्या से बचाने के लिए ‘छुपाने और इश्क लड़ाने’ की रणनीति अपनाती हैं। वीडियो देखने के बाद स्टासियुकिनास ने प्रकाशनों की खोजबीन की लेकिन जैगुआर के ऐसे व्यवहार के बारे में कुछ नहीं मिला। अलबत्ता, ब्राज़ील की एक साथी का भी ऐसा ही अनुभव था। कोलंबिया और ब्राज़ील में दो मामलों में मां जैगुआर नर के साथ इश्क लड़ाने के बाद पुन: अपने शावकों के साथ दिखाई दी थी।
अभी यह स्पष्ट नहीं है कि कुछ दिन के लिए छिपाए गए ये शावक अपने दिन कैसे गुज़ारते हैं। ऐसे ही मामले में, जब फ्लोरिडा पैंथर मादा अपने बच्चों को छुपाकर नर के साथ होती है तो उसके बच्चों के वज़न में लगभग 20 प्रतिशत की कमी आती है। जैगुआर के बारे में अभी स्थिति स्पष्ट नहीं है।
अन्य वैज्ञानिकों का कहना है कि हालांकि इस रणनीति के उदाहरण बहुत ही कम दिखे हैं लेकिन इस प्रजाति के प्राकृतिक इतिहास के बारे में इस तरह का अधिक डैटा एकत्रित करने की ज़रूरत है। यह भी पता लगाना महत्वपूर्ण होगा कि विभिन्न पर्यावरणों में यह व्यवहार किस तरह बदलता है, खासकर उन स्थितियों में जहां विकास और मनुष्यों के दखल के कारण जानवरों के छिपने की जगह प्रभावित हो रही है। मनुष्यों के कारण जैगुआर सीमित दायरे में सिमट सकते हैं, सीमित जगह में अधिक जानवर होने से भोजन और साथी के लिए प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी। इस तरह पास-पास होने से नर द्वारा शावकों की हत्या करने की अधिक संभावना होगी, और इसे रोकने के लिए मादा जैगुआर विभिन्न रणनीतियां अपनाने के लिए प्रेरित हो सकती है। इसके अलावा सघन वर्षा वनों में रहने वाले जैगुआर की रणनीति अलग हो सकती है। यह समझना शावकों की हत्या को कम करने में मदद कर सकता है कि अलग-अलग पर्यावरण में मादा जैगुआर अपने शावकों को छिपाने की कैसी रणनीतियां अपनाती हैं। (स्रोत फीचर्स)
नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
Photo Credit : https://www.science.org/do/10.1126/science.ada0485/abs/_20210121_jaguars_thumb.jpg