वर्ष यदि आप ग्रामीण क्षेत्र में रहते हैं तो अक्सर खेतों-मेड़ों और सड़कों के किनारे उगी घास-फूस पर एक थूक अथवा झाग जैसी संरचना देखी होगी। ये झागनुमा रचना पौधों की पत्तियों, टहनियों और तनों पर मौजूद होती हैं। आखिर ये हैं क्या?
कई लोग अनुमान लगाते हैं कि ये किसी मनुष्य अथवा प्राणी की थूक है जिसके चलते इसका नाम कोयल थूक और सांप थूक भी पड़ गया। दरअसल यह झागनुमा संरचना एक कीट (स्पिटलबग कीट) द्वारा बनाया गया घोंसला है। हेमिप्टेरा वर्ग के इस कीट के अन्य नाम फ्रागहॉपर, स्पिट इन्सेक्ट और फिलिनस कीट वगैरह भी हैं।
मैंने अवलोकन के दौरान इस कीट के झागदार घोंसलों को गेंदे, तुलसी, गाजर घास और गुलाब आदि पौधों पर पाया है। यह कीट लगभग एक मीटर ऊंचे पौधों के तनों पर अपना आशियाना बनाता है। घोंसले बनाने की कला बेहद विशिष्ट है। ये स्पिटलबग कीट पहले पौधों के ज़ायलम जैसे ऊतकों में मौजूद कार्बोहाइड्रेट आदि पादप-रसों को चूसता है और फिर उसे अपने उदर में पाई जाने वाली ग्रन्थियों के रसों में मिश्रित कर शरीर के पश्च भाग से पौधे पर छोड़ता जाता है और इस तरह तैयार हो जाता है उसका एक शानदार कुदरती घर जिसमें वो प्रजनन करता है और अपने जीवन-चक्र की अवस्थाओं को पूरा करता है। इस कीट द्वारा बनाए गए घर को स्पिटलबग फोम कहा जाता है। यह कीट हरे, भूरे, नारंगी आदि कई रंगों में मिलता है जिसकी एशिया, अफ्रीका से लेकर अमेरिकी महाद्वीप तक विभिन्न प्रजातियां पाई जाती हैं।
इस कीट द्वारा निर्मित घोंसले में ताप और शीत सहन करने की विशेष क्षमता होती है। आप देखेंगे कि ये झागनुमा संरचना दोपहर की तेज़ धूप में भी नष्ट नहीं होती। मैंने सुबह से लेकर शाम तक स्पिटलबग के घोंसले का अवलोकन किया और पाया कि धूप इन्हें सुखा नहीं पाई। यह प्राकृतिक आशियाना इस जीव को शिकारी कीटभक्षी प्राणियों से भी सुरक्षा प्रदान करता है क्योंकि इस झागनुमा संरचना का स्वाद कीटभक्षियों को पसंद नहीं आता और इसमें छिपे रहने के कारण शिकारी इसे देख भी नहीं पाते।
वैसे तो स्पिटलबग जैसा नन्हा सा कीट पौधों को कोई विशेष नुकसान नहीं पहुंचाता लेकिन जब इनकी आबादी बढ़ जाती है तो इन्हें नाशी-कीट कहा जाता है। नियंत्रण हेतु पौधों पर पानी का तीव्र फुहारा फेंका जाता है जिससे स्पिटलबग फोम नष्ट हो जाते हैं। मादा कीट भोजन एवं सुरक्षा की दृष्टि से अनुकूल पौधों पर सैकड़ों अण्डे देती है और इन अण्डों से निम्फ निकलते हैं जो उन पौधों पर खूबसूरत घोंसले बनाते हैं।
स्पिटलबग को मैंने खेतों-मेड़ों पर घास-फूस व खरपतवारों पर अनेकों बार देखा है। आप भी अपने आसपास की वनस्पतियों, तितली, पक्षी, सरीसृपों आदि की गतिविधियों का अवलोकन करें क्योंकि पर्यावरण में घट रही प्राकृतिक घटनाओं और पौधों तथा जीव-जंतुओं की कुदरती गतिविधियों को जितना ज़्यादा देखेंगे-समझेंगे, उतना आनंद प्राप्त होगा और ज्ञान भी। (स्रोत फीचर्स)
नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
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