अति-संक्रामक डेल्टा संस्करण का प्रकोप बढ़ने के मद्देनज़र वैज्ञानिक इसके तेज़तर प्रसार का जैविक आधार समझने का प्रयास कर रहे हैं। कई अध्ययनों से पता चला है कि डेल्टा संस्करण में उपस्थित एक अमीनो अम्ल में परिवर्तन से वायरस का प्रसार तेज़तर हुआ है। यूके में किए गए अध्ययन से पता चला है कि अल्फा संस्करण की तुलना में डेल्टा संस्करण 40 प्रतिशत अधिक प्रसारशील है।
युनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास मेडिकल ब्रांच के वायरोलॉजिस्ट पी-यौंग शी के अनुसार डेल्टा संस्करण की मुख्य पहचान ही संक्रामकता है जो नई ऊंचाइयों को छू रही है। शी की टीम और अन्य समूहों ने सार्स-कोव-2 के स्पाइक प्रोटीन में एक अमीनो अम्ल में परिवर्तन की पहचान की है। यह वायरल अणु कोशिकाओं की पहचान करने और उनमें घुसपैठ करने के लिए ज़िम्मेदार है। P681R नामक यह परिवर्तनएक अमीनो अम्ल प्रोलीन को आर्जिनीन में बदल देता है, जो स्पाइक प्रोटीन की फ्यूरिन क्लीवेज साइट में होता है।
जब चीन में पहली बार सार्स-कोव-2 की पहचान की गई थी तब अमीनो अम्ल की इस छोटे खंड की उपस्थिति ने खतरे के संकेत दिए थे। ऐसा इसलिए क्योंकि यह परिवर्तन इन्फ्लुएंज़ा जैसे वायरसों में बढ़ी हुई संक्रामकता से जुड़ा पाया गया है। लेकिन सर्बेकोवायरस कुल में पहले कभी नहीं पाया गया था। सर्बेकोवायरस वायरसों का वह समूह है जिसमें सार्स-कोव-2 सहित कोरोनावायरस शामिल हैं। यह मामूली सा खंड एक बड़े खतरे का द्योतक था।
गौरतलब है कि कोशिकाओं में प्रवेश करने के लिए ज़रूरी होता है कि मेज़बान कोशिका का प्रोटीन सार्स-कोव-2 प्रोटीन को दो बार काटे। सार्स-कोव-1 में दोनों बार काटने की प्रक्रिया वायरस के कोशिका से जुड़ने के बाद होती हैं। लेकिन सार्स-कोव-2 में फ्यूरिन क्लीवेज साइट होने का मतलब है कि काटने की पहली प्रक्रिया संक्रमित कोशिका से निकलने वाले नए वायरस में ही हो जाती है। ये पूर्व-सक्रिय वायरस कोशिकाओं को अधिक कुशलता से संक्रमित कर सकते हैं।
देखा जाए तो डेल्टा ऐसा पहला संस्करण नहीं है जिसमें फ्यूरिन क्लीवेज साइट को बदलने वाला उत्परिवर्तन होता है। अल्फा संस्करण में भी इसी स्थान पर एक अलग अमीनो अम्ल का परिवर्तन पाया जाता है। लेकिन डेल्टा में हुए उत्परिवर्तन का प्रभाव अधिक होता है।
शी की टीम ने यह भी पाया है कि डेल्टा संस्करण में स्पाइक प्रोटीन अल्फा संस्करण की तुलना में अधिक प्रभावी तौर से काटा जाता है। इम्पीरियल कॉलेज लंदन की वायरोलॉजिस्ट वेंडी बारक्ले और उनकी टीम को भी इसी तरह के परिणाम मिले थे। दोनों समूहों द्वारा किए गए आगे के प्रयोगों से पता चला है कि स्पाइक प्रोटीन के इतनी कुशलता से कटने के पीछे P681R परिवर्तन काफी हद तक ज़िम्मेदार है।
वर्तमान में शोधकर्ता P681R और डेल्टा की संक्रामकता के बीच सम्बंध स्थापित करने का प्रयास कर रहे हैं। शी की टीम ने मनुष्य के श्वसन मार्ग की संवर्धित उपकला कोशिकाओं को समान संख्या में अल्फा और डेल्टा के वायरस से संक्रमित किया और पाया कि डेल्टा संस्करण ने काफी तेज़ी से अल्फा को संख्या में पीछे छोड़ दिया। यही पैटर्न हकीकत में भी दिखाई दे रहा है। जब शोधकर्ताओं ने P681R परिवर्तन को हटा दिया तो डेल्टा संस्करण को मिलने वाला लाभ खत्म हो गया। शोधकर्ताओं का मानना है कि इस उत्परिवर्तन से एक कोशिका से दूसरी कोशिका में वायरस का प्रसार भी अधिक हुआ है।
हालांकि, इस बात के प्रमाण बढ़ रहे हैं कि P681R परिवर्तन डेल्टा का एक अहम गुण है लेकिन शोधकर्ता यह नहीं मानते कि यही एकमात्र उत्परिवर्तन है जो डेल्टा को लाभ प्रदान करता है। डेल्टा के स्पाइक प्रोटीन और अन्य प्रोटीन्स में भी कई अन्य प्रकार के महत्वपूर्ण उत्परिवर्तन हो सकते हैं।
वैज्ञानिकों के अनुसार डेल्टा संस्करण के तेज़ी से बढ़ने के पीछे अन्य कारक भी महत्वपूर्ण हो सकते हैं। डेल्टा के निकट सम्बंधी, कैपा नामक संस्करण में भी P681R सहित इसी प्रकार के उत्परिवर्तन थे लेकिन वह डेल्टा के समान विनाशकारी नहीं रहा। हारवर्ड मेडिकल स्कूल के जीव विज्ञानी बिंग चेंग के अनुसार कैपा का स्पाइक प्रोटीन काफी कम कटता है और डेल्टा की तुलना में कोशिका की झिल्ली से कम कुशलता से जुड़ता है। शोधकर्ताओं के अनुसार इस खोज से P681R की भूमिका पर काफी सवाल उठते हैं।
युगांडा के शोधकर्ताओं ने 2021 की शुरुआत में व्यापक रूप से फैले संस्करण में P681R परिवर्तन की पहचान की थी लेकिन यह डेल्टा के समान नहीं फैला जबकि इसने प्रयोगशाला अध्ययनों में वैसे गुण प्रदर्शित किए थे। वैज्ञानिकों की टीम ने महामारी की शुरुआत में वुहान में फैल रहे कोरोनावायरस में P681R परिवर्तन किया लेकिन इससे उसकी संक्रामकता में कोई वृद्धि देखने को नहीं मिली। इससे लगता है कि एक से अधिक उत्परिवर्तन की भूमिका हो सकती है। कई वैज्ञानिकों का मानना है कि डेल्टा में P681R की भूमिका के बावजूद फ्यूरिन क्लीवेज साइट पर परिवर्तन का महत्व रेखांकित हुआ है। और ऐसा परिवर्तऩ कई तरह से संभव है।(स्रोत फीचर्स)
नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
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