कुछ लोग कितना भी व्यायाम कर लें, डाइटिंग कर लें लेकिन उनका वज़न है कि कम ही नहीं होता। वहीं दूसरी ओर कुछ ऐसे भी लोग होते हैं कि वे कितना भी खा लें, चर्बी उनके शरीर पर चढ़ती ही नहीं। हाल ही में वैज्ञानिकों ने मोटापे की आनुवंशिकी के एक विस्तृत अध्ययन में ऐसे दुर्लभ जीन संस्करणों की पहचान की है जो वज़न बढ़ने से रोकते हैं।
आम तौर पर आनुवंशिकीविद ऐसे उत्परिवर्तनों की तलाश करते हैं जो किसी न किसी बीमारी का कारण बनते हैं। लेकिन शरीर में ऐसे जीन संस्करण भी मौजूद होते हैं जो स्वास्थ्य को बेहतर बनाते हैं, और इन जीन संस्करणों को पहचानना मुश्किल होता है क्योंकि इसके लिए बड़े पैमाने पर जीनोम अनुक्रमण करने की ज़रूरत पड़ती है।
हर साल तकरीबन 28 लाख लोगों की मृत्यु अधिक वज़न या मोटापे की वजह से होती है। मोटापा विभिन्न रोगों जैसे टाइप-2 मधुमेह, हृदय रोग, कुछ तरह के कैंसर और गंभीर कोविड-19 के जोखिम को बढ़ाता है।
आहार और व्यायाम वज़न कम करने में मदद कर सकते हैं, लेकिन आनुवंशिकी भी इसे प्रभावित करती है। अत्यधिक मोटापे से ग्रसित लोगों पर हुए अध्ययनों में कुछ आम जीन संस्करण पहचाने गए थे जो मोटापे की संभावना बढ़ाते हैं – जैसे MC4R जीन की ‘खण्डित’ प्रति जो भूख के नियमन से जुड़ी है। अन्य अध्ययनों में हज़ारों ऐसे जीन संस्करण पहचाने गए थे जो स्वयं तो वज़न को बहुत प्रभावित नहीं करते, लेकिन ये संयुक्त रूप से मोटापे की संभावना बढ़ाते हैं।
हालिया अध्ययन में शोधकर्ताओं ने यूएस और यूके के 6,40,000 से अधिक लोगों के जीनोम का अनुक्रमण किया। उन्होंने जीनोम के सिर्फ एक्सोम यानी उस हिस्से पर ध्यान केंद्रित किया जो प्रोटीन्स के लिए कोड करता है। उन्होंने ऐसे जीन तलाशे जो दुबलेपन या मोटापे से जुड़े थे। इस तरह उन्हें 16 जीन मिले। इनमें से पांच जीन कोशिका की सतह के जी-प्रोटीन युग्मित ग्राही के कोड हैं। ये पांचों जीन मस्तिष्क के उस हिस्से, हायपोथैलेमस, में व्यक्त होते हैं जो भूख और चयापचय को नियंत्रित करता है। इनमें से एक जीन (GPR75) में एक उत्परिवर्तन मोटापे को सबसे अधिक प्रभावित करता है।
साइंस पत्रिका में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, इस उत्परिवर्तन वाले व्यक्तियों में वज़न बढ़ाने वाले जीन की एक प्रति निष्क्रिय थी जिसकी वजह से उनके वज़न में औसतन 5.3 किलोग्राम की कमी आई थी और सक्रिय जीन वाले लोगों की तुलना में इनके मोटे होने की संभावना आधी थी।
GPR75 जीन वज़न बढ़ने को किस तरह प्रभावित करता है, यह जानने के लिए शोधकर्ताओं ने कुछ चूहों में इस जीन को निष्क्रिय किया और फिर उन्हें उच्च वसा वाला भोजन खिलाया। अपरिवर्तित नियंत्रण समूह की तुलना में परिवर्तित चूहों का वज़न 44 प्रतिशत कम बढ़ा। इसके अलावा उनमें रक्त शर्करा का बेहतर नियंत्रण था और वे इंसुलिन के प्रति अधिक संवेदनशील थे।
लेकिन GPR75 के ऐसे उत्परिवर्तन दुर्लभ हैं जो जीन की एक प्रति को अक्रिय करते हैं – ऐसा 3,000 में से केवल एक ही व्यक्ति में होता है। लेकिन चूहों पर किए गए प्रयोग से स्पष्ट है कि इसका प्रभाव काफी अधिक होता है।
शोधकर्ताओं का कहना है कि मोटापा कम करने के लिए GPR75 एक संभावित लक्ष्य हो सकता है; GPR75 ग्राहियों को निष्क्रिय करने वाले अणु मोटापे से जूझ रहे लोगों की मदद कर सकते हैं।
शोध का यह तरीका अन्य बीमारियों जैसे टाइप-2 मधुमेह या अन्य चयापचय सम्बंधी विकारों के अध्ययन के लिए भी उपयोगी हो सकता है। लेकिन इसके लिए बड़े पैमाने पर अनुक्रमण ज़रूरी होगा। (स्रोत फीचर्स)
नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
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