जापान एक बार फिर एक क्षुद्रग्रह के नमूने पृथ्वी पर लाने में सफल रहा है। इन नमूनों पर वैज्ञानिकों द्वारा पृथ्वी पर पानी और कार्बनिक अणुओं के प्राचीन वितरण के सुरागों की छानबीन की जाएगी। हयाबुसा-2 का कैप्सूल रयूगू क्षुद्रग्रह का लगभग 5.3 अरब किलोमीटर का फासला तय करके 6 दिसंबर को ऑस्ट्रेलिया के वूमेरा रेगिस्तान में पैराशूट से उतारा गया। इसके बाद एक हेलीकॉप्टर की मदद से कैप्सूल को सुरक्षित जापान ले जाया गया।
गौरतलब है कि हयाबुसा-2 को जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (जाक्सा) द्वारा 2014 में प्रक्षेपित किया गया था। इसने 18 महीनों तक रयूगू का चक्कर लगते हुए दूर से अवलोकन किया। इस दौरान डैटा एकत्र करने के लिए क्षुद्रग्रह पर कई छोटे रोवर भी उतारे गए। इसके अलावा सतह और सतह के नीचे से नमूने एकत्रित करने के लिए दो बार यान क्षुद्रग्रह पर उतरा भी। इसका उद्देश्य 100 मिलीग्राम कार्बन युक्त मृदा और चट्टान के टुकड़े एकत्र करना था। नमूने की असल मात्रा तो टोक्यो स्थित क्लीन रूम में कैप्सूल को खोलने के बाद ही पता चलेगी।
इसके पहले 2010 में हयाबुसा मिशन के तहत ही इटोकावा क्षुद्रग्रह से सामग्री पृथ्वी पर लाई गई थी। क्षुद्रग्रहों में दिलचस्पी का कारण उनमें उपस्थित वह पदार्थ है जो 4.6 अरब वर्ष पूर्व सौर मंडल के निर्माण के समय से मौजूद है। ग्रहों पर होने वाली प्रक्रियाओं के विपरीत यह सामग्री दबाव एवं गर्मी के प्रभाव से परिवर्तित नहीं हुई है और अपने मूल रूप में मौजूद है।
वास्तव में रयूगू एक कार्बनमय या सी-प्रकार का क्षुद्रग्रह है जिसमें कार्बनिक पदार्थ और हाइड्रेट्स मौजूद हैं। इन दोनों में रासायनिक रूप से बंधा हुआ पानी काफी मात्रा में होता है। वैज्ञानिकों के अनुसार जब इस तरह के क्षुद्रग्रह अरबों वर्ष पहले नवनिर्मित पृथ्वी से टकराए होंगे तब इन मूलभूत सामग्रियों से जीवन की शुरुआत हुई होगी। वैसे दूर से किए गए अवलोकनों से संकेत मिल चुके हैं यहां पानी युक्त खनिज और कार्बनिक पदार्थ मौजूद है।
रयूगू पर पानी की मात्रा के आधार पर पता लगाया जा सकेगा कि अरबों वर्ष पहले पृथ्वी पर क्षुद्रग्रहों से कितना पानी आया है। नासा के अवलोकनों के अनुसार बेनू क्षुद्रग्रह पर रयूगू से अधिक मात्रा में पानी है।
बहुत कम वैज्ञानिक क्षुद्रग्रहों के ज़रिए पृथ्वी पर जीवन के आगमन के विचार के समर्थक हैं। अलबत्ता, रयूगू जैसे क्षुद्रग्रहों से उत्पन्न कार्बन युक्त उल्कापिंडों से अमीनो अम्ल और यहां तक कि आरएनए भी उत्पन्न होने के संकेत मिले हैं। तो हो सकता है कि प्राचीन पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति जैविक-पूर्व रासायनिक क्रियाओं के कारण हुई हो। अत: रयूगू से प्राप्त सामग्री के विश्लेषण में कई अन्य वैज्ञानिक रुचि ले रहे हैं।
पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण में कैप्सूल को छोड़ने के बाद हयाबुसा-2 एक बार फिर 1998 केवाय-26 क्षुद्रग्रह के मिशन पर रवाना हो गया है। यान के शेष र्इंधन के आधार पर जाक्सा को उम्मीद है कि हयाबुसा अपने नए मिशन में भी सफल रहेगा। इसी बीच नासा के ओसिरिस-रेक्स मिशन के तहत सितंबर 2023 में बेनू क्षुद्रग्रह से नमूने प्राप्त होने हैं। नासा और जाक्सा अपने-अपने मिशनों से प्राप्त नमूनों की अदला-बदली पर भी सहमत हुए हैं। इकोटावा नमूनों सहित तीनों नमूनों की तुलना करने पर सौर मंडल के निर्माण सम्बंधी काफी जानकारियां प्राप्त हो सकती हैं।(स्रोत फीचर्स)
नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
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