क्या आपने कभी सोचा है कि आपके पैरों तले एक विशाल जैविक तंत्र है? क्या आप जानते हैं कि मुट्ठी भर मिट्टी में लगभग 5,000 तरह के जीव बसते हैं और इसमें कुल कोशिकाओं की संख्या पृथ्वी की कुल आबादी के बराबर हो सकती है? साधारण मृदा में सूक्ष्म कवक, सड़ते-गलते पौधे, कवक को खाने वाले नन्हे कृमि और उन कृमियों का भक्षण करने की फिराक में सुई की नोक के बराबर घुन हो सकती है। और साथ में कोई ऐसा बैक्टीरिया भी हो सकता है जो अन्य बैक्टीरिया को अपने शक्तिशाली एंटीबायोटिक से खत्म कर सकता है। कुल मिलाकर, यह जैव विविधता का का विशाल मगर उपेक्षित संसार है।
लेकिन इस वर्ष विश्व मृदा दिवस (5 दिसंबर) पर संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन ने इस भूमिगत दुनिया में उपस्थित जैव विविधता का पहला वैश्विक मूल्यांकन जारी किया है। इस मूल्यांकन में 300 विशेषज्ञों ने इन जीवों की विविधता, प्राकृतिक और कृषि परिवेश में इनके योगदान और इन पर मंडराते संभावित खतरों को साझा करने के लिए जानकारियां और डैटा एकत्र किया है। इस रिपोर्ट में फसल की पैदावार में वृद्धि तथा मिट्टी व पानी को स्वच्छ रखने में इन जीवों के योगदान की चर्चा भी की गई है। स्पैनिश नेशनल रिसर्च काउंसिल के मृदा एवं पादप पारिस्थितिकीविद फ्रांसिस्को पुग्नायर के अनुसार पौधों की जड़ें और भूमिगत जीव भूमि के ऊपर पाए जाने वाले जीवों से ज़्यादा कार्बन का संचय करते हैं और अधिक लंबे समय के लिए।
देखा जाए तो मृदा कार्बनिक पदार्थों, खनिजों, गैसों और अन्य घटकों का मिश्रण होती है जो पौधों के विकास में मदद करता है। इतना ही नहीं, लगभग 40 प्रतिशत जंतु अपने जीवन चक्र में भोजन, आश्रय या फिर शरण लेने के लिए मृदा का उपयोग करते हैं। लेकिन धरती पर एक बुलडोज़र या ट्रैक्टर चलने, जंगल की आग, तेल के फैलने, यहां तक कि पैदल यात्रियों के निरंतर आवागमन से मृदा के पारिस्थितिकी तंत्र को क्षति पहुंचती है। उम्मीद है कि यह रिपोर्ट वैज्ञानिकों, नीति निर्माताओं और आम जनता को इस भूमिगत पारिस्थितिकी तंत्र के प्रति जागरूक करेगी।
पूर्व के अध्ययनों में वैज्ञानिक मृदा के सबसे बड़े और सबसे छोटे जीवों पर ध्यान केंद्रित करते रहे हैं। कई सदियों से प्राकृतिक इतिहासकारों ने चींटियों, दीमकों, और यहां तक कि केंचुओं तथा मृदा से उनके सम्बंध पर चर्चा की है। पिछले कुछ दशकों में सूक्ष्मजीव विज्ञानियों ने तो मृदा के डीएनए का अनुक्रमण करके बैक्टीरिया और कवक की एक आश्चर्यजनक विविधता का भी पता लगाया है। लेकिन बड़े और छोटे जीवों के बीच हज़ारों जीवों को अनदेखा किया जाता रहा है। सूक्ष्म प्रोटिस्ट, कृमि और टार्डिग्रेड्स मृदा के कणों के आसपास पानी की बारीक झिल्ली का निर्माण करते हैं। कुछ बड़े और छोटे कृमि, स्प्रिंगटेल्स और कीट लार्वा, इन कणों के बीच हवादार छिद्रों में रहते हैं जो मृदा को जैविक रूप से इस पृथ्वी का सबसे विविध आवास बनाने में मदद करते हैं।
यह विविधता एक समृद्ध और जटिल पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करती है जो फसल की वृद्धि को बढ़ावा देती है, प्रदूषकों को विघटित करती है और कार्बन के अनंत सोख्ते के रूप में काम कर सकती है। मृदा के कुछ जीव पौधों की विविधता को बढ़ावा देते हैं और कई तो एंटीबायोटिक दवाओं से लेकर प्राकृतिक कीटनाशकों तक महत्वपूर्ण यौगिक उत्पन्न करते हैं। मृदा, जीवों और उनकी गतिविधियों के बिना अन्य जीवों का जीवित रहना असंभव होगा।
इस रिपोर्ट में कई मानव गतिविधियों की चर्चा की गई है जो मृदा के जीवों को नुकसान पहुंचाती हैं। इनमें वनों की कटाई, सघन कृषि, प्रदूषकों के कारण अम्लीकरण, अनुचित सिंचाई के कारण लवणीकरण, मृदा संघनन, सतह का बंद होना, आग तथा कटाव को शामिल किया गया है। इस सम्बंध में कुछ सरकारों और कंपनियों ने भी कार्य किया है। कई राष्ट्र ऐसे कानून बनाने पर विचार कर रहे हैं जिनसे मृदा को विनाशकारी मानव गतिविधियों से बचाया जा सके। चीन में एग्रीकल्चर ग्रीन डेवलपमेंट कार्यक्रम के तहत विभिन्न फसलों को एक साथ उगाया जा रहा है ताकि जैव विविधता को संरक्षित किया जा सके। उम्मीद है कि यह रिपोर्ट मृदा-जीव संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाएगी और संरक्षण को प्रोत्साहित करेगी।(स्रोत फीचर्स)
नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
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