इन दिनों मैसाचुसेट्स जनरल हॉस्पिटल के पैथोलॉजिस्ट जेम्स स्टोन कोविड-19 रोगियों के ह्रदय पर होने वाली क्षति की जांच कर रहे हैं। अपने शुरुआती अध्ययन में उन्होंने पाया कि इन रोगियों के ह्रदय अधिक भारी, आकार में बड़े और असमान है। हालांकि अभी यह कहना थोड़ी जल्दबाज़ी होगी कि ये परिवर्तन सीधे-सीधे सार्स-कोव-2 संक्रमण के परिणाम हैं।
गौरतलब है कि महामारी की शुरुआत में कुछ चिकित्सकों ने कोविड-19 रोगियों में ह्रदय की कुछ गंभीर समस्याएं देखी थीं जो उनमें पहले नही थीं। ऐसे में कोविड-19 संक्रमण और ह्रदय की समस्याओं में कुछ सम्बंध लगता है। उदाहरण के तौर पर शोधकर्ताओं ने 8 से 12 प्रतिशत कोविड-19 रोगियों में मांसपेशीय संकुचन के लिए ज़िम्मेदार ट्रोपोनिन नामक प्रोटीन का उच्च स्तर देखा। यह ह्रदय क्षति का संकेत है। ऐसे रोगियों की मृत्यु की संभावना भी अधिक रही। चीन के चिकित्सकों ने कोविड-19 रोगियों में मायोकार्डाइटिस की समस्या देखी जिसमें सूजन के कारण ह्रदय कमज़ोर हो जाता है और यह आम तौर पर किसी प्रकार के संक्रमण से सम्बंधित होता है।
स्टोन और उनके सहयोगियों द्वारा युरोपियन हार्ट जर्नल में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार मरने वाले 86 प्रतिशत रोगियों के दिल में सूजन थी जबकि केवल तीन रोगियों में मायोकार्डाइटिस पाया गया। इनमें से कई में अन्य प्रकार की ह्रदय समस्या पाई गर्इं। स्टोन का कहना है कि ट्रोपोनिन का उच्च स्तर अन्य प्रकार की मायोकार्डियल क्षति के कारण है। गौरतलब है कि पूर्व में कोविड-19 पर प्रकाशित पत्रों में इस विषय पर कोई चर्चा नहीं की गई है।
क्योंकि 2003 की सार्स महामारी में रोगियों के ह्रदय में मैक्रोफेज (एक प्रकार की श्वेत रक्त कोशिका जो सूजन की द्योतक होती हैं) पाए गए थे, इसलिए इस बार भी शोधकर्ताओं ने इनकी उपस्थिति की उम्मीद की थी। यह काफी हैरानी की बात रही कि इस बार 21 में से 18 रोगियों के ह्रदय में मैक्रोफेज पाए गए। आगे के विश्लेषण में उन्होंने पाया कि 3 रोगियों में मायोकार्डाइटिस, 4 में दाएं निलय पर तनाव के कारण ह्रदय को क्षति और अन्य 2 में ह्रदय की वाहिकाओं में खून के थक्के पाए। यह स्पष्ट नहीं था कि रोगियों में इस तरह की अलग-अलग ह्रदय सम्बंधी समस्याएं क्यों नज़र आ रही थीं।
चूंकि अधिकांश मामलों में ह्रदय में मैक्रोफेज पाए गए इसलिए यह बता पाना मुश्किल है कि ऐसे कितने लोगों को मायोकार्डाइटिस की समस्या एक अन्य कोशिका (लिम्फोसाइट) के कारण हुई है। जीवित मरीज़ों के ह्रदय के इमेजिंग में दोनों कोशिका एक जैसी दिखाई देती हैं। शोधकर्ताओं ने रोगियों के मेडिकल रिकॉर्ड की तलाश की ताकि समय रहते यह पता लगाया जा सके कि वे किस प्रकार की समस्या से ग्रसित हैं। अस्पताल में मायोकार्डाइटिस ग्रसित 3 रोगियों में ट्रोपोनिन स्तर अधिक और ईसीजी असामान्य पाया गया।
हालांकि स्टोन का ऐसा मानना है इन निष्कर्षों को रोगियों के बड़े समूहों पर परखने की आवश्यकता है ताकि इलाज का सबसे उचित तरीका अपनाया जा सके।(स्रोत फीचर्स)
नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
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