गर्मियों के मौसम में बाहर जाते समय अक्सर हमें डामर से नव-निर्मित सड़क की गंध महसूस होती है। लेकिन बात सिर्फ गंध तक ही सीमित नहीं है। हाल ही में किए गए अध्ययन से पता चला है कि ताज़ा डामर भी वायु प्रदूषण का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। गौरतलब है कि पिछले कुछ दशकों में संयुक्त राज्य अमेरिका के कई हिस्सों में वायु गुणवत्ता में काफी सुधार हुआ है। यह वास्तव में वाहनों और बिजली संयंत्रों से नियंत्रित और साफ निकासी के कारण संभव हो पाया है। लेकिन इसके बावजूद वायु प्रदूषण के कारण दमा और ह्रदय सम्बंधी समस्याएं उभर रही हैं।
ऐसे में वैज्ञानिकों ने लॉस एंजेल्स और उसके आसपास के क्षेत्रों से वायु प्रदूषण के सभी ज्ञात स्रोतों का अध्ययन किया। सारे स्रोतों से होने वाले प्रदूषण का योग वास्तविक प्रदूषण से मेल नहीं खा रहा था। अध्ययन में शामिल येल युनिवर्सिटी के पर्यावरण इंजीनियर ड्रयू जेंटनर बताते हैं कि वे अपने अध्ययन में डामर से होने वाले वायु प्रदूषण को अनदेखा कर रहे थे। वास्तव में कच्चे तेल या इसी तरह के पदार्थों से बनी चीज़ों में अर्ध-वाष्पशील कार्बनिक यौगिक होते हैं जो किसी न किसी तरह से वायु प्रदूषण का कारण बनते हैं। जेंटनर की टीम ने दो तरह के ताज़ा डामर एकत्रित किए और उनको प्रयोगशाला की भट्टी में गर्म किया। टीम ने छत पर उपयोग किए जाने वाले डामर के पटरों और तरल डामर का भी परीक्षण किया। उन्होंने पाया कि पुरानी सामग्री की तुलना में नई सामग्री से अधिक रसायनों का उत्सर्जन होता है। वे यह भी देखना चाहते थे कि समय के साथ इस उत्सर्जन में कैसे बदलाव आता है।
साइंस एडवांसेज़ में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार सामान्य डामर की सतह पर सबसे अधिक अर्ध-वाष्पशील कार्बनिक यौगिकों का उत्सर्जन 140 डिग्री सेल्सियस तापमान पर होता है। जैसे-जैसे डामर ठंडा होता है उत्सर्जन में कमी आती है लेकिन 60 डिग्री सेल्सियस पर यह स्थिर हो जाता है और इसका प्रभाव भी अधिक रहता है। निष्कर्ष बताते हैं कि डामर लंबे समय तक वायु प्रदूषण का स्रोत हो सकता है।
टीम ने उत्सर्जन के लिए धूप को भी काफी महत्वपूर्ण माना है। मध्यम प्रकाश में उत्सर्जन में 300 प्रतिशत की वृद्धि हो सकती है। यह उत्सर्जन हवा में छोटे कण (एयरोसोल) के रूप में उपस्थित रहता है जो सांस के ज़रिए शरीर में प्रवेश करने पर काफी हानिकारक हो सकता है। गर्म मौसम में ज़्यादा प्रदूषण होता है।
शोधकर्ताओं का अनुमान है कि डामर से निकलने वाले छोटे कणों की सालाना मात्रा 1000 से 2500 टन के करीब होती है जबकि पेट्रोल और डीज़ल गाड़ियों से यह 900 से 1400 टन के बीच निकलता है। ऐसे में यह प्रश्न काफी महत्वपूर्ण है कि डामर से होने वाला उत्सर्जन कितने समय तक जारी रहता है। जेंटनर के अनुसार इसका निरंतर मापन ज़रूरी है। हालांकि अभी तक डामर से होने वाले प्रदूषण की जानकारी अधूरी है लेकिन इतना स्पष्ट है कि यह वायु प्रदूषण के प्रमुख स्रोतों में से एक है। यह डैटा वायु प्रदूषण के अध्ययन के मॉडल्स के लिए काफी महत्वपूर्ण है। उम्मीद की जानी चाहिए कि आने वाले समय में कंपनियां डामर के कारण होने वाले उत्सर्जन को कम करने की दिशा में काम करेंगी।(स्रोत फीचर्स)
नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
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