अब तक हुए कई अध्ययन इस बात की ओर इशारा करते हैं कि हम मनुष्य आम तौर पर उच्च तारत्व (या आवृत्ति) वाली ध्वनियों यानी तीखी आवाज़ों, जैसे सीटी की आवाज़ के साथ किसी ऊंची जगह की कल्पना करते हैं। और अब बायोलॉजी लेटर्स में प्रकाशित एक अध्ययन कहता है कि कुत्ते भी ऐसा ही करते हैं। शोधकर्ताओं के अनुसार यह अध्ययन इस बात को समझने में मदद कर सकता है कि क्यों हम कुछ आवाज़ों को खास भौतिक लक्षणों से जोड़कर देखते हैं।
दरअसल कई अध्ययन इस बात की ओर इशारा करते हैं कि हम उच्च तारत्व की ध्वनियों के साथ ऊंचाई, उजली या छोटी वस्तुओं की कल्पना करते हैं। लेकिन अब तक वैज्ञानिक आवाज़ के साथ इनके जुड़ाव के कारण की कोई तार्किक व्याख्या नहीं कर पाए हैं। जैसे अध्ययन कहते हैं कि संभवत: ध्वनि और स्थान, आकार या रंग आदि का यह जुड़ाव अनुभव से बना है। उदाहरण के तौर पर चूहे और पक्षियों जैसे छोटे जीव आम तौर पर तीखी (पतली) आवाज़ निकालते हैं जबकि भालू जैसे बड़े जानवर भारी (निम्न तारत्व वाली) आवाज़ें निकालते हैं। या यह भी हो सकता कि यह सम्बंध इसलिए बन गया कि अंग्रेजी में ‘हाई’ और ‘लो’ शब्दों का इस्तेमाल आवाज़ और ऊंचाई दोनों के लिए होता है।
युनिवर्सिटी ऑफ ससेक्स की जीव व्यवहार विज्ञानी ऐना कोर्ज़ेनिवोस्का और उनके साथियों का कुत्तों पर किया गया एक अध्ययन इस बात को और समझने में मदद कर सकता है। अध्ययन में शोधकर्ताओं ने 101 कुत्तों को एक गेंद के ऊपर-नीचे जाने का एनीमेशन दिखाया और कभी-कभी गेंद की गति के साथ ध्वनियां सुनाई गर्इं। कभी गेंद के ऊपर जाने के साथ ध्वनि का तारत्व बढ़ता और नीचे आने के साथ कम होता या, कभी इसके विपरीत होता। 64 प्रयोगों के बाद उन्होंने पाया कि जब गेंद के ऊपर जाने के साथ तारत्व बढ़ता है तो कुत्तों ने गेंद को 10 प्रतिशत अधिक वक्त तक देखा। इससे लगता है कि जानवर आवाज़ का तारत्व बढ़ने को ऊंचे स्थान से जोड़कर देखते हैं। इस निष्कर्ष के आधार पर शोधकर्ताओं का अनुमान है कि आवाज़ के प्रकार के साथ स्थान का सम्बंध भाषा की वजह से नहीं बल्कि जन्मजात होता है और पीढ़ी-दर-पीढ़ी हस्तांतरित होता है।
बर्मिंगहैम युनिवर्सिटी के संज्ञान विज्ञानी मार्कस पर्लमेन का कहना है कि इस अध्ययन की डिज़ाइन तो उचित है लेकिन संभावना है कि कुछ अन्य कारक भी नतीजों पर असर डाल रहे हों। जैसे प्रयोग के दौरान कुत्तों के मालिक नज़दीक बैठे थे, हो सकता है गेंद के ऊपर जाने और उसके साथ उच्च तारत्व वाली आवाज़ बजने के वक्त अनजाने में उन्होंने कुत्तों को कुछ संकेत दिए हों। या हो सकता है कि कुत्तों के मालिकों ने पहले कभी कुत्तों को आवाज़ पर प्रतिक्रिया देने के लिए प्रशिक्षित किया हो।
लिहाज़ा, पर्लमैन का सुझाव है कि एक अन्य अध्ययन किया जाना चाहिए जिसमें कुत्ते के मालिक ऐसी भाषा बोलते हों जिसमें ध्वनि के तारत्व को स्थान सम्बंधी शब्द से संबोधित ना किया जाता हो, जैसे फारसी। फारसी भाषा में उच्च तारत्व की आवाज़ को पतली आवाज़ और निम्न तारत्व की आवाज़ को मोटी आवाज़ कहते हैं।
बहरहाल इस सम्बंध की व्याख्या के लिए आगे और विस्तार से अध्ययन करने की आवश्कता है। (स्रोत फीचर्स)
नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
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