काले-नारंगी पंखों वाली मोनार्क तितली देखने में काफी सुंदर लगती है। एक ज़हरीले पौधे (मिल्कवीड) का सेवन करके यह तितली ज़हरीली हो जाती है और अपने रंग-रूप से संभावित शिकारियों को आगाह कर देती है कि वह ज़हरीली है। लेकिन एक ज़हरीले आहार के प्रति प्रतिरक्षा विकसित करना काफी हैरानी की बात है। बात जीन्स पर टिकी है। इसे समझने के लिए शोधकर्ताओं की दो स्वतंत्र टीमों ने एक फल मक्खी (ड्रॉसोफिला) में तीन प्रकार के आनुवंशिक परिवर्तन करके इस गुत्थी को सुलझाने की कोशिश की है।
वास्तव में मिल्कवीड पौधा कार्डिएक ग्लाइकोसाइड नामक यौगिक का उत्पादन करता है, जो कोशिकाओं के अंदर और बाहर आयनों के उचित प्रवाह को नियंत्रित करने वाले आणविक पंपों को बाधित करता है। इस पौधे का सेवन करने वाली मोनार्क तितली और अन्य जीवों में इन पंपों का ऐसा संस्करण विकसित हुआ है कि इन जीवों पर इस रसायन का गलत असर नहीं पड़ता।
मिल्कवीड खाने वाले विभिन्न जीवों में क्या समानता है, इसे समझने के लिए युनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के जीव विज्ञानी नोहा वाइटमन और उनके सहयोगियों ने मोनार्क तितली समेत 21 कीटों के आणविक पंप के जीन का मिलान किया। शोधकर्ताओं को तीन उत्परिवर्तन मिले जो इस प्रोटीन पंप के तीन एमीनो एसिड्स को बदल देते हैं। कीट परिवार में इन परिवर्तनों को देखकर टीम ने यह अनुमान लगाया कि ये एमीनो एसिड परिवर्तन किस क्रम में हुए थे। यह क्रम महत्वपूर्ण लगता है। उन्होंने जीन-संपादन तकनीक की मदद से उन परिवर्तनों को क्रमबद्ध ढंग से फल मक्खियों में करने की कोशिश की।
नेचर में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार मोनार्क तितली के पूर्वजों में उत्पन्न एक उत्परिवर्तन जब फल मक्खियों में किया गया तो वह मिल्कवीड के प्रति थोड़ी प्रतिरोधी हुई। लेकिन जब उसमें एक और उत्परिवर्तन किया गया तो फल मक्खी और अधिक सुरक्षित हो गई। इसके बाद तीसरा उत्परिवर्तन करने पर तो फल मक्खी मोनार्क तितली की तरह मिल्कवीड पर बखूबी पनपने लगी। और तो और, मोनार्क तितली की तरह फल मक्खियों ने खुद के शरीर में भी कुछ विष संचित रखा जो तितली को शिकारियों से बचाता है। (स्रोत फीचर्स)
नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
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