विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 22 मई के दिन अल्जीरिया और अर्जेंटाइना को मलेरिया मुक्त घोषित कर दिया। यह निर्णय तब किया गया जब इन दोनों देशों में पिछले तीन सालों से अधिक समय से मलेरिया का कोई मामला नहीं देखा गया। इसके साथ ही मलेरिया मुक्त देशों की संख्या 38 हो गई है।
गौरतलब है कि दुनिया के 80 देशों में हर साल करीब 20 करोड़ मलेरिया के मामले सामने आते हैं। 2017 में तकरीबन 4 लाख 35 हज़ार लोग मलेरिया की वजह से मारे गए थे।
अफ्रीकी देश अल्जीरिया में मलेरिया परजीवी पहली बार 1880 में देखा गया था। यहां मलेरिया का आखिरी मामला 2013 में सामने आया था। दक्षिण अमरीकी देश अर्जेंटाइना में मलेरिया आखिरी बार 2010 में पाया गया था। दोनों ही देशों में कई दशकों में मलेरिया प्रसार की दर काफी कम रही है। यहां मलेरिया से संघर्ष में प्रमुख भूमिका सबके लिए स्वास्थ्य की उपलब्धता और मलेरिया की गहन निगरानी की रही है। इसके अलावा अर्जेंटाइना ने विशेष प्रयास यह भी किया कि पड़ोसी देशों को राज़ी किया कि वे अपने यहां कीटनाशक छिड़काव करें और बुखारग्रस्त लोगों की मलेरिया के लिए जांच करें ताकि सीमापार फैलाव को रोका जा सके।
पहले तो विश्व स्वास्थ्य संगठन ने विश्व स्तर पर मलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम चलाया था जो मुख्य रूप से डीडीटी के छिड़काव और मलेरिया-रोधी दवाइयों पर टिका था। इस कार्यक्रम के अंतर्गत 27 देश मलेरिया मुक्त हुए थे। लेकिन साल 1969 में संगठन ने मलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम को त्याग दिया था क्योंकि वैज्ञानिकों ने स्पष्ट किया कि विश्व स्तर पर मलेरिया का उन्मूलन अल्प अवधि में संभव नहीं है।
अलबत्ता, 2000 के दशक में एक बार फिर कोशिशें शुरू हुर्इं और इस बार लक्ष्य यह रखा गया कि 2020 तक 21 देशों को मलेरिया मुक्त कर दिया जाएगा। इनमें से 2 (पेरागुए और अल्जीरिया) अब पूरी तरह मलेरिया मुक्त हैं। (स्रोत फीचर्स)
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