
अपनी चाहतों के चलते हमारी ऊर्जा ज़रूरतें (energy demands) दिनों दिन बढ़ती जा रही हैं। इनकी पूर्ति के लिए हम नए-नए ऊर्जा स्रोत (energy sources) खोजते रहते हैं, अपने देशों में न मिलें तो बाहर से मंगवाते हैं। लेकिन ज़रा नहीं सोचते कि इन बढ़ती ख्वाहिशों की पूर्ति के लिए चल रहे क्रियाकलापों (industrial activities) से जीव-जंतुओं, उनके प्राकृतवासों और पारिस्थितिकी (ecosystem balance) पर कैसे प्रतिकूल असर पड़ेंगे?
लेकिन जीव विज्ञानियों (biologists), पारिस्थितिकीविदों (ecologists) और पर्यावरण कार्यकर्ताओं (environmental activists) को यह चिंता लगातार सताती रहती है। उनकी ऐसी ही एक चिंता है मेक्सिको की एक सबसे बड़ी ऊर्जा परियोजना (Mexico energy projects) सगुआरो एनर्जिया परियोजना या टर्मिनल जीएनएल डी सोनोरा (TGNLS) परियोजना।
TGNLS टर्मिनल मेक्सिको के प्यूर्टो लिबटार्ड (Puerto Libertad) में स्थापित किया जा रहा है। इस टर्मिनल से टेक्सास (Texas) स्थित प्राकृतिक गैस (natural gas) के कुओं से तरल प्राकृतिक गैस (LNG – Liquified Natural Gas) विदेशी बाज़ारों, खासकर एशियाई देशों, को निर्यात की जाएगी। पर्यावरणविद बताते हैं कि इस परियोजना में LNG निर्यात के लिए बड़े-बड़े जहाज़ी टैंकरों (LNG Tankers) का जो मार्ग निर्धारित किया गया है उसके कारण पहले से ही जोखिमग्रस्त ब्लू व्हेल (endangered blue whales) समेत अन्य समुद्री जीवों (marine animals) के आवास (habitats), प्रजनन (breeding), भोजन (feeding grounds) और प्रवास (migration patterns) प्रभावित होंगे; उनका जीवन और भी जोखिमपूर्ण हो जाएगा।
दरअसल, प्यूर्टो लिबटार्ड कैलिफोर्निया खाड़ी (gulf of california) के शीर्ष के नज़दीक स्थित है। कैलिफोर्निया खाड़ी को नक्शे में देखेंगे तो पाएंगे कि यह संकरी और लंबी (1100 किलोमीटर लंबी) है। यह जगह कई समुद्री स्तनधारियो (व्हेल जैसे सीटेशियन)(marine mammals) का हॉट-स्पॉट (biodiversity hotspot) है। यह स्थल सीटेशियन्स की तकरीबन 36 प्रजातियों का घर है। यह कई प्रजातियां का भोजन और प्रजनन क्षेत्र है। गौरतलब है कि यहां रहने वाली व्हेल की कई प्रजातियां लुप्तप्राय (whale species endangered) की श्रेणी में हैं। अब यदि यह परियोजना बनेगी तो खतरे और बढ़ेंगे।
बीस साल पुरानी इस परियोजना का स्वरूप और उद्देश्य अपने प्रारंभ के समय से बहुत अलग हो गया है। इस टर्मिनल को मूल रूप से मेक्सिको में गैस आयात करने के लिए डिज़ाइन किया गया था। लेकिन आयात टर्मिनल (import terminal) कभी बना ही नहीं। फिर 2018 में, मेक्सिको पैसिफिक नामक एक कंपनी ने इस परियोजना को अपने नियंत्रण ले लिया और इसकी डिजाइन को एक निर्यात टर्मिनल (export terminal) में बदल दिया। नई डिज़ाइन में यह टर्मिनल मूल डिज़ाइन से तीन गुना बड़ा है। इसके तहत 800 किलोमीटर लंबी पाइपलाइन बिछेगी, और पाइपलाइन एवं बड़े-बड़े जहाज़ी टैंकरों के ज़रिए टेक्सास के कुओं से प्रतिदिन 2.8 अरब क्यूबिक फीट प्राकृतिक गैस मुख्यत: एशिया को भेजी जाएगी। इतने सब तामझाम की लागत 15 अरब डॉलर है।
इन्हीं बदलावों के चलते कंपनी को परियोजना का पर्यावरणीय प्रभाव आकलन (Environmental Impact Assessment – EIA) नए सिरे से करना था। 2023 में, कंपनी ने मेक्सिको की नियामक एजेंसियों को इस परियोजना के पर्यावरणीय प्रभाव के आकलन और उन प्रभावों को सीमित करने की योजनाओं की रिपोर्ट सौंपी थी। लेकिन इस रिपोर्ट का बारीकी से विश्लेषण करने वाले जीव विज्ञानियों और पर्यावरणविदों का कहना है कि इस ‘पर्यावरण प्रभाव आकलन’ रिपोर्ट में कई त्रुटियां (critical flaws) है, कई चीज़ें छूटी हैं, और कई आंकड़े सही पेश नहीं किए गए हैं। जैसे टैंकरों का एकदम ठीक-ठीक मार्ग (exact LNG tanker route) क्या होगा, व्हेल की कौन सी प्रजातियों की कितनी-कितनी संख्या कहां-कहां है, और टैंकरों के तय मार्ग में कितने जीव इस टकराव (collision risk) को झेलेंगे।
दरअसल कैलफोर्निया खाड़ी से गुज़रने वाला परियोजना का प्रस्तावित मार्ग व्हेल और अन्य कई समुद्री जीवों का प्रमुख आवास है, और कई प्रजातियां अपनी प्रवास यात्रा के लिए यही मार्ग अपनाती हैं। ज़ाहिर है समुद्री जीवों की इन जहाज़ों से टक्कर की संभावना (ship strike risk) है जो उनके लिए जानलेवा साबित हो सकती है। और व्हेल टक्कर से बच भी गईं तो जहाज़ों से होने वाला शोर (ship noise pollution) उनके संवाद को तहस-नहस कर देगा। रिपोर्ट में जहाज़ों द्वारा उत्पन्न ध्वनि प्रदूषण (underwater noise impact) पर भी कोई बात नहीं की गई है। जबकि पूर्व अध्ययनों मे देखा गया है कि जहाज़ का शोर व्हेल के व्यवहार (behavioral change due to noise) को बदल सकता है।
इन सब खामियों के चलते जीव विज्ञानियों और पर्यावरण कार्यकर्ताओं (scientists and conservationists) ने इन मुद्दों को कानूनी रूप से उठाया है; इस परियोजना के विरोध में पांच मुकदमे (lawsuit against project) दायर किए गए हैं। फिलहाल इन प्रयासों से मेक्सिको की पर्यावरण अनुमति एजेंसी ने इस परियोजना पर वक्ती रोक (temporary suspension) लगा दी है। साथ ही पर्यावरण हितैषियों ने इस मुद्दे पर जागरुकता के लिए ‘व्हेल या गैस’ अभियान (whale vs gas campaign) शुरू किया है। बहरहाल, भले ही यह मुद्दा मेक्सिको (Mexico LNG Project) का है, लेकिन यह दुनिया भर के देशों की पर्यावरणीय चिंताओं (global environmental concerns) की ओर ध्यान आकर्षित करता है। और याद दिलाता है कि यह प्रकृति (planet earth) सिर्फ मनुष्यों की नहीं वरन सभी जीव-जंतुओं की है: हमारी ख्वाहिशों का खामियाजा अन्य जीव-जंतुओं को न भरना पड़े। (स्रोत फीचर्स)
नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
Photo Credit : https://www.science.org/do/10.1126/science.zame07s/full/_20250314_on_saguaroproject-1743014356057.jpg