प्रदीप
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मलेरिया (malaria) एक गंभीर और घातक बीमारी है, जिससे हर साल लाखों लोग प्रभावित होते हैं, विशेषकर उष्णकटिबंधीय (tropical) और उपोष्णकटिबंधीय (subtropical) क्षेत्रों में। यह प्लाज़्मोडियम (plasmodium parasite) नामक परजीवी के कारण होता है, जो संक्रमित मादा एनॉफिलीज़ मच्छर (female anopheles mosquito) के काटने से मानव रक्त में प्रवेश करता है। यह बीमारी गरीब और विकासशील देशों (developing nations) में सबसे अधिक होती है, जहां स्वास्थ्य सुविधाएं सीमित होती हैं। हाल ही में वैज्ञानिकों ने मलेरिया की चुनौती से निपटने के लिए एक नई और क्रांतिकारी विधि विकसित की है। मच्छरों के दंश के माध्यम से मलेरिया का टीका (वैक्सीन) देने की तकनीक न केवल पारंपरिक टीकाकरण की अवधारणा को बदल सकती है, बल्कि मलेरिया उन्मूलन (malaria eradication) के प्रयासों में एक नया अध्याय जोड़ सकती है।
मलेरिया के खिलाफ इस नवाचार का श्रेय नेदरलैंड की रेडबाउट युनिवर्सिटी और लीडन युनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं को जाता है। उन्होंने एक ऐसा टीका विकसित किया है, जिसे मच्छरों के माध्यम (mosquito delivered vaccine) से दिया जा सकता है। यह टीका पारंपरिक टीकाकरण विधियों से बिल्कुल अलग है। इसमें मलेरिया के लिए ज़िम्मेदार परजीवी प्लाज़्मोडियम फाल्सिपैरम (Plasmodium Falciparium) का जीन-संपादित संस्करण (Genetically modified version) शामिल है। यह संशोधित परजीवी मलेरिया का संक्रमण फैलाने में सक्षम नहीं है, लेकिन मानव प्रतिरक्षा प्रणाली को सक्रिय करने में मदद करता है। यह तरीका टीकाकरण की प्रक्रिया को आसान और प्रभावी बना सकता है। इस टीके को ‘जीए2 वर्ज़न पैरासाइट’ (GA2 version parasite) नाम दिया गया है।
इस तकनीक का संचालन जीन-संपादित मच्छरों (genetically engineered mosquitoes) के माध्यम से किया जाता है। वैज्ञानिकों ने इन मच्छरों के अंदर कमजोर प्लाज़्मोडियम परजीवी (plasmodium parasite) डाला है। जब ये मच्छर किसी व्यक्ति को काटते हैं, तो यह परजीवी मानव शरीर में प्रवेश करता है। एक बार शरीर में पहुंचने के बाद, यह प्रतिरक्षा प्रणाली को सक्रिय करता है। इस विधि को एक नई तरह की ‘वैक्सीन डिलीवरी प्रणाली’ के रूप में देखा जा रहा है, जिसमें मच्छरों को एक ‘जीवित वैक्सीन वाहक’ (live vaccine carrier) के रूप में उपयोग किया जाता है।
हाल ही में इस टीके का परीक्षण 9 लोगों पर किया गया, जिसमें 8 लोग मलेरिया से मुक्त रहे। हालांकि, बड़े पैमाने पर परीक्षण (large scale trials) और अध्ययन अभी बाकी हैं, लेकिन इस शोध ने मलेरिया के खिलाफ लड़ाई में एक नई आशा दी है। शोधकर्ताओं का मानना है कि यह विधि न केवल मलेरिया बल्कि अन्य मच्छर-जनित बीमारियों (जैसे डेंगू और ज़ीका) (mosquito borne diseases) के टीकों के विकास में भी मदद कर सकती है।
मलेरिया के खिलाफ इस तकनीक की संभावनाओं के साथ-साथ इसकी चुनौतियां भी हैं। जीन-संपादित मच्छरों का उपयोग करते समय पर्यावरणीय और पारिस्थितिकीय प्रभावों (ecological impact) का गहन अध्ययन करना आवश्यक है। यह सुनिश्चित करना ज़रूरी है कि जीन-संपादित मच्छर किसी अन्य प्रकार के संक्रमण या पर्यावरणीय समस्या (environmental concerns) का कारण न बनें। ऐसे मच्छरों का बड़े पैमाने पर उत्पादन (mass production) और उनका सही प्रबंधन भी एक बड़ी चुनौती है। इसके अलावा, समाज में इस तकनीक को स्वीकार्य बनाना (public acceptance) और लोगों को इसके बारे में जागरूक करना भी एक महत्वपूर्ण कदम होगा।
मलेरिया उन्मूलन के लिए इस तकनीक का उपयोग व्यापक और वैज्ञानिक अनुसंधान, सरकारी नीतियों और सामुदायिक भागीदारी के समन्वित प्रयासों की मांग करता है। सरकार को मलेरिया उन्मूलन के लिए पर्याप्त धनराशि का आवंटित (funding allocation) करना होगी और तकनीक के विकास को प्रोत्साहित करना होगा।
इसके साथ ही, मच्छरों के प्रजनन स्थलों को नष्ट करना और कीटनाशक युक्त मच्छरदानियों का उपयोग जैसे पारंपरिक उपाय भी मलेरिया नियंत्रण में सहायक हो सकते हैं।
जीन-संपादित मच्छरों का उपयोग करते समय पारिस्थितिकीय प्रभावों को ध्यान में रखना आवश्यक है। मच्छर पारिस्थितिकी तंत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, और उनकी किसी भी प्रजाति में बदलाव से खाद्य शृंखला (food chain) और पर्यावरणीय संतुलन (environmental balance) पर प्रभाव पड़ सकता है। छोटे पैमाने पर परीक्षण और अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरणीय मानकों (International Environmental Standards) का पालन इस दिशा में सहायक हो सकता है।
यदि इन सभी चुनौतियों का सफलतापूर्वक समाधान कर लिया जाए, तो मच्छरों के माध्यम से मलेरिया टीकाकरण (malaria vaccination via mosquitoes) की यह विधि स्वास्थ्य क्षेत्र में एक ऐतिहासिक उपलब्धि साबित हो सकती है। यह तकनीक मलेरिया जैसी गंभीर बीमारी से लड़ने के लिए एक नई राह दिखाती है और भविष्य में अन्य स्वास्थ्य समस्याओं (health issues) के समाधान के लिए भी उपयोगी हो सकती है। (स्रोत फीचर्स)
नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
Photo Credit : https://upload.wikimedia.org/wikipedia/commons/f/fc/Plasmodium_falciparum_01.png