बृहस्पति के चांद युरोपा की मोटी बर्फीली चादर जीवन की संभावना घटाती है

बृहस्पति के एक चांद युरोपा (Europa Moon) को जीवन के लिए संभावित स्थान माना जाता था। लेकिन अब संभावनाएं कम होती लग रही हैं। नासा (NASA) के जूनो अंतरिक्ष यान (Juno Spacecraft) से प्राप्त डैटा के अनुसार, युरोपा की बर्फीली परत पूर्व अनुमान से कहीं अधिक मोटी है। यह औसतन 35 किलोमीटर मोटी है (चार एवरेस्ट की ऊंचाई के बराबर)। यह खोज युरोपा पर जीवन की संभावना (Life on Europa) को कम करती है।

यह मापन जूनो के माइक्रोवेव रेडियोमीटर ((Microwave Radiometer – MWR) द्वारा संभव हो पाया है। उल्काओं की टक्करों (Meteor Impacts) के कारण बने गड्ढों के विश्लेषणों पर आधारित पूर्व अध्ययन ने 7 से 20 किलोमीटर मोटाई की परत का अनुमान दिया था, जिसमें ऊपरी 7 किलोमीटर की परत अचल और अंदरूनी 13 किलोमीटर मोटी परत गतिशील थी। लेकिन जूनो के डैटा से पता चलता है कि यह परत हर जगह मोटी और अचल है, हालांकि मोटाई विभिन्न जगहों पर थोड़ी उन्नीस-बीस हो सकती है।

यह खोज युरोपा के जीवन (Habitability of Europa) योग्य होने पर गहरा प्रभाव डालती है। पतली परत महासागर (Subsurface Ocean) को सतह के साथ रासायनिक संपर्क का मौका देती, जिससे जीवन की उत्पत्ति (Origin of Life) की संभावना बन सकती है। इसके विपरीत, मोटी परत के चलते जटिल रासायनिक क्रियाओं की संभावना कम हो जाती है। इसका मतलब यह भी है कि युरोपा के चट्टानी आंतरिक हिस्से से कम गर्मी आ रही है। यानी हाइड्रोथर्मल वेंटिंग (Hydrothermal Venting) जैसी भूगर्भीय प्रक्रियाओं के लिए भी मौके कम हैं जो जीवन को सहारा दे सकें।

इनके अलावा, अन्य अध्ययन के नतीजे भी जीवनक्षम (Potential for Life) होने की संभावना को नकारते हैं – एक अध्ययन बताता है कि बृहस्पति से निकलने वाले विकिरण (Jovian Radiation) के कारण युरोपा का महासागर पूर्वानुमान से कम ऑक्सीजन बनाएगा। इसके अलावा, जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप (James Webb Space Telescope – JWST)  द्वारा युरोपा की सतह से भाप के फव्वारों (Water Plumes) का पता लगाने के प्रयास असफल रहे जिससे हबल स्पेस टेलीस्कोप (Hubble Space Telescope) द्वारा पूर्व में की गई जेट सम्बंधित टिप्पणियों पर संदेह पैदा हो गया है।

अब, 2030 के दशक में पहुंचने वाला नासा का युरोपा क्लिपर मिशन (Europa Clipper Mission)  उन्नत रडार से लैस होगा, जो अधिक स्पष्टता प्रदान करेगा। क्लिपर का विकिरण 30 किलोमीटर की गहराई तक पहुंच सकता है, लेकिन अगर युरोपा की बर्फ जूनो द्वारा सुझाई गई माप जितनी है तो यह यंत्र भी परत का अध्ययन करने में मुश्किलों का सामना करेगा।

बर्फ की मोटी परत भविष्य के उन अभियानों के लिए भी तकनीकी चुनौतियां (Technical Challenges for Exploration) पेश करती है जो समुद्र की गहराई तक पहुंचने के लिए ड्रिलिंग (Ice Drilling on Europa) करना चाहते हैं। जैसे-जैसे शोधकर्ता अपने मॉडल को बेहतर करते हैं और अधिक डैटा इकट्ठा करते हैं, युरोपा हमारी कल्पना और महत्वाकांक्षा को ईंधन प्रदान करता है और सारी दिक्कतों के बावजूद हम पृथ्वी के बाहर जीवन (Extraterrestrial Life) की खोज में जुटे रहते हैं। (स्रोत फीचर्स)

नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
Photo Credit : https://www.science.org/do/10.1126/science.zwld58d/full/_1216_europa_juno_pj45_1-2_mosaic_approx_true_color_poxt3x_auto_comp-1734623778550.jpg

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