भूतापीय ऊर्जा: स्वच्छ ऊर्जा का नया दावेदार

लंबे समय तक नज़रअंदाज़ की गई भूतापीय ऊर्जा (geothermal energy) इन दिनों स्वच्छ ऊर्जा (clean energy) का एक आशाजनक विकल्प बनकर उभर रही है। जहां अमेज़ॉन (Amazon), माइक्रोसॉफ्ट (Microsoft) और गूगल (Google) जैसी टेक्नो-कंपनियां हाल ही में परमाणु ऊर्जा समझौतों (nuclear energy deals) के लिए सुर्खियां बटोर रही हैं, वहीं मेटा (Meta) और गूगल जैसी कंपनियां नई पीढ़ी की भूतापीय तकनीक (enhanced geothermal systems, EGS) में भारी निवेश कर रही हैं।

दरअसल, पारंपरिक भूतापीय प्रणालियां (traditional geothermal systems) धरती के गर्भ में मौजूद प्राकृतिक गर्म पानी के चश्मों पर निर्भर हैं। दूसरी ओर, नई पीढ़ी की भूतापीय प्रणाली, जिन्हें एन्हांस्ड जियोथर्मल सिस्टम्स (enhanced geothermal systems) कहा जाता है, में ज़मीन में कई किलोमीटर गहरी बोरिंग (deep drilling) करके पानी और रेत को उच्च दबाव पर डालकर चट्टानों में दरारें बनाई जाती हैं। इन दरारों से पानी गुज़रते हुए चट्टानों की गर्मी से तपता है और भाप के रूप में सतह पर लौटता है। इस भाप का उपयोग बिजली बनाने (electricity generation) में किया जाता है।

वास्तव में, नई पीढ़ी की भूतापीय तकनीक को बढ़ावा देने में कंपनियां महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। ह्यूस्टन स्थित फेर्वो एनर्जी कंपनी ऊटा में 2000 मेगावॉट क्षमता का भूतापीय संयंत्र (geothermal plant) बना रही है। यह क्षमता दो बड़े परमाणु रिएक्टरों (nuclear reactors) के बराबर है। 2028 तक यह संयंत्र गूगल जैसे ग्राहकों को 400 मेगावॉट बिजली की आपूर्ति करेगा। मेटा के साथ साझेदारी में सेज जियोसिस्टम्स, 2027 तक मेटा के डैटा सेंटर्स (data centers) को 150 मेगावॉट तक भूतापीय ऊर्जा प्रदान करने वाली है। कनाडाई कंपनी एवर फ्रैंकिंग (चट्टान तोड़े) बगैर क्लोज़्ड-लूप प्रणाली बनाएगी, जिसमें पानी भूमिगत सील्ड पाइपों में घूमता है। एवर का पहला व्यावसायिक संयंत्र जर्मनी में अगले वर्ष से शुरू होगा, जो स्थानीय कस्बों को ऊष्मा और बिजली की आपूर्ति करेगा।  

चुनौतियां और समाधान

  • भूकंप का खतरा: EGS में मुख्य चिंता हाइड्रोलिक फ्रैक्चरिंग (hydraulic fracturing) से होने वाले भूकंपों (earthquakes) की है। स्विट्जरलैंड और दक्षिण कोरिया में ऐसे प्रोजेक्ट्स को भूकंपीय गतिविधियों (seismic activities) के कारण बंद करना पड़ा था। इस समस्या से निपटने के लिए फेर्वो जैसी कंपनियां अमेरिकी ऊर्जा विभाग (DoE) के सख्त दिशानिर्देशों का पालन कर रही हैं। वे लगातार भूकंपीय गतिविधियों की निगरानी करती हैं और अगर झटके सुरक्षित सीमा से अधिक होते हैं, तो संचालन बंद कर देती हैं।
  • लागत की चुनौती: बोरहोल ड्रिलिंग (borehole drilling) की लागत बहुत अधिक होती है। हालांकि, ड्रिलिंग तकनीकों (drilling technologies) में तेल और गैस उद्योग से प्रेरित हुए सुधार ने इसे अधिक दक्ष और किफायती बना दिया है। साथ ही, भूतापीय ऊर्जा की एक बड़ी खासियत है कि यह दिन-रात लगातार बिजली बनाती है। यह स्थिरता इसे सौर और पवन जैसे अनियमित नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का महत्वपूर्ण पूरक बनाती है।

बाज़ार और संभावनाएं
भूतापीय ऊर्जा की सफलता काफी हद तक भौगोलिक स्थिति (geographical location) पर निर्भर करती है। जिन क्षेत्रों में ज्वालामुखीय गतिविधि (volcanic activity) अधिक हैं या जहां पृथ्वी की पर्पटी पतली है (जैसे पश्चिमी अमेरिका), वहां ऊर्जा उत्पादन आसान और किफायती हो जाता है। अध्ययन बताते हैं कि अगर ऊर्जा संयंत्रों (power plants) को बदलती ऊर्जा मांगों (energy demands) के अनुसार अनुकूल बनाया जाए, तो पश्चिमी अमेरिका (Western USA) में भूतापीय ऊर्जा (geothermal energy) परमाणु ऊर्जा (nuclear energy) की तुलना में अधिक किफायती हो सकती है।

बहरहाल, भूतापीय ऊर्जा के सामने अभी कई चुनौतियां हैं, लेकिन यह सतत (sustainable) और स्वच्छ ऊर्जा (clean energy) प्रदान करने की क्षमता रखती है, जो इसे भविष्य के लिए एक आकर्षक विकल्प (viable energy option) बनाती है। (स्रोत फीचर्स)

नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
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