करीब 41,000 साल पहले, जब ऑस्ट्रेलिया वर्तमान के तस्मानिया (Tasmania) द्वीप से एक भूभाग के माध्यम से जुड़ा हुआ था, तब पहली बार कुछ मनुष्य इस भूभाग से होते हुए लुट्रुविता (Lutruwita) आए थे। और अपने साथ लाए थे – आग (Fire)। साइंस एडवांसेस (Science Advances) में प्रकाशित हालिया अध्ययन बताता है कि आग के इस आगमन ने यहां के परिदृश्य को पूरी तरह बदल दिया।
समय के साथ साल-दर-साल ज़मीन पर धूल-मिट्टी-गाद वगैरह की परत जमा होती जाती है, और इसी के साथ जमा होती जाती हैं उस समय की निशानियां। इन परतों को खोदकर, उनका अवलोकन करके वैज्ञानिक प्राचीन काल की परिस्थितियों, भूदृश्यों, जीवन, आदतों वगैरह को समझने का प्रयास करते हैं। ऐसा ही कुछ समझना चाह रहे थे तस्मानियाई आदिवासी केंद्र (Tasmanian Aboriginal Centre) के सदस्य, जो आदिवासी भूमि प्रबंधन (Indigenous Land Management) करते हैं और पारंपरिक जंगल दहन (Traditional Burning Practices) जैसी प्रथाओं के समर्थक हैं।
दरअसल 2014 में क्लार्क द्वीप (Clarke Island) के जंगलों में भीषण आग (Wildfire) फैल गई थी। और ऐसा पहली बार नहीं हुआ था। दरअसल 18वीं और 19वीं शताब्दी में यूरोपीय उपनिवेशवादियों (European Colonizers) के आगमन के बाद, पारंपरिक तरीके से जंगल न जला पाने के कारण, वहां के जंगलों में भड़कने वाली आग के बेकाबू और विनाशकारी हो जाने के बढ़े हुए मामलों से वहां के आदिवासी समुदाय और वैज्ञानिक चिंतित हैं। इसलिए वे जानना चाहते थे कि क्या आधुनिक आग अतीत की आग की तुलना में अधिक उग्र या भीषण होती है?
यह समझने के लिए उन्होंने ऑस्ट्रेलियाई राष्ट्रीय विश्वविद्यालय (Australian National University) की जीवाश्म विज्ञानी सिमोन हेबरले (Simone Haberle) और उनके दल को न्यौता दिया। शोधकर्ताओं ने लुट्रुविता के उत्तर-पूर्वी छोर पर स्थित क्लार्क द्वीप की एक झील के पेंदे से प्राचीन तलछट में से 4 मीटर लंबा बेलनाकार नमूना (Sediment Core Sample) खोदकर निकाला। इसमें अलग-अलग समय पर जमा हुई तलछट की परतें स्पष्ट थीं। कार्बनिक पदार्थों की रेडियोकार्बन डेटिंग (Radiocarbon Dating) कर अलग-अलग परतों का काल निर्धारण किया गया – बेलन की सबसे निचली परत लगभग 50,000 साल पुरानी थी।
विश्लेषण में शोधकर्ताओं को करीब 41,600 साल पुरानी मिट्टी में चारकोल (Charcoal) की बहुत अधिक मात्रा मिली है, जिसके आधार पर उनका कहना है कि इस समय इस क्षेत्र में आग लगने की घटनाएं बढ़ गई थीं, जो संभवत: मनुष्यों द्वारा आसपास की वनस्पति जलाने के संकेत हैं। यह तकरीबन वही समय है जब समुद्र का स्तर घटने की वजह से ऑस्ट्रेलिया से लुट्रुविता के बीच एक ज़मीनी गलियारा (Land Bridge) बन गया था, जिसे पार करते हुए मनुष्य पहली बार लुट्रुविता द्वीप तक आए थे।
हालांकि ऐसा लग सकता है कि चारकोल (Charcoal) की अधिक मात्रा का कारण उस समय तापमान (Temperature), या सूखा (Drought), या इन दोनों में उछाल हो, लेकिन उस समय यहां ऐसे किसी बड़े जलवायु परिवर्तन (Climate Change) के कोई साक्ष्य नहीं मिले हैं, इसलिए ये कारण खारिज हो जाते हैं। और चारकोल की अधिकता का एक संभावित कारण मनुष्य (Humans) ही लगता है, जिसने अपनी ज़रूरत के लिए आग (Fire) लगाई होगी। ज़रूरत संभवत: ऐसी भूमि बनाने की थी जो अधिक खाद्य पदार्थ (Food Resources) दे सके – या तो वहां खाने लायक पेड़-पौधों (Edible Plants) की उपज बढ़ा कर, या खुले घास के मैदानों (Open Grasslands) में वॉलेबी (Wallaby) और कंगारू (Kangaroo) जैसे जानवरों को आकर्षित करके, जिनका शिकार करना अपेक्षाकृत आसान होता है।
विभिन्न समय की परतों में मिले विभिन्न तरह के परागकणों (Pollen Grains) के अनुपात में बदलाव भी देखा गया जो बताता है कि आग की घटनाएं बढ़ने के (लगभग 1600 साल) बाद इस क्षेत्र में पाई जाने वाली वनस्पतियों की विविधता (Plant Diversity) में बदलाव आया। जिन पेड़ों के में आग झेलने की क्षमता कम थी (जैसे चीड़ – Pine) उनके परागकण नाटकीय रूप से कम हो गए लेकिन आग के प्रति सहनशील पेड़ (जैसे नीलगिरी – Eucalyptus), झाड़ियां (Shrubs) और घास (Grass) बहुतायत में फैलने लगे। दूसरे शब्दों में, कहा जाए तो घने जंगलों (Dense Forests) की जगह खुले घास के मैदानों ने ले ली।
अध्ययन में लुट्रुविता (Lutruwita) के एक अन्य द्वीप हम्मोक (Hammock) से भी नमूने लिए गए थे, जो लुट्रुविता के उत्तर-पश्चिमी तट पर स्थित है। दोनों स्थानों के नमूनों की तुलना में पता चलता है कि अधिक घने जंगल वाले क्लार्क द्वीप (Clarke Island) की तुलना में इस द्वीप पर चारकोल (Charcoal) का स्तर धीमे-धीमे बढ़ा। इससे पता चलता है कि यहां के प्राचीन मनुष्य (Ancient Humans) विरल वनों (Sparse Forests) की तुलना में घने वनों में अधिक आग जलाते थे – शायद जंगलों का घनापन (Forest Density) कम करने के लिए।
ये नतीजे उन साक्ष्यों का समर्थन करते हैं जो कहते हैं कि प्रारंभिक मानव (Early Humans) जहां जाते हैं, पहले वहां आग के रूप में अपनी छाप छोड़ते हैं और फिर वहां का परिदृश्य (Landscape) बदल जाता है। संभवत: ये नतीजे तस्मानिया (Tasmania) की परिस्थिति में बेकाबू भड़कने वाली आग (Uncontrolled Wildfires) पर नियंत्रण के लिए पारंपरिक दहन (Traditional Burning) के उपयोग का समर्थन करें, लेकिन इन नतीजों के आधार पर अन्यत्र वन दहन की नीति (Forest Fire Management Policy) बनाने में सावधानी बरतनी चाहिए। (स्रोत फीचर्स)
नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
Photo Credit : https://www.science.org/do/10.1126/science.zrrwibl/full/_20241115_on_human_caused_fires_lede_new-1731699658253.jpg