समुद्री घोंघे (Marine Snails), जिन्हें न्यूडिब्रांक (Nudibranchs) के नाम से भी जाना जाता है, मोलस्क (Mollusk) की श्रेणी में आते हैं। इनकी लगभग सभी प्रजातियां कोरल रीफ (Coral Reef) से लेकर समुद्री ज्वार (Tidal Pools) के चलते तटों पर बने पानी के पोखरों और उथले समुद्र के पेंदे में रेंगती पाई जाती हैं। लेकिन इनकी एक प्रजाति है जो समुद्र के गहरे और अंधेरे वातावरण (Deep-Sea Environment) में रहना पसंद करती है, ऐसा कहना है डीप-सी रिसर्च पार्ट-I (Deep-Sea Research Part-I) में प्रकाशित रिपोर्ट का।
दरअसल करीब 25 साल पहले मॉन्टेरे बे एक्वेरियम रिसर्च इंस्टीट्यूट (Monterey Bay Aquarium Research Institute) के वैज्ञानिकों ने मॉन्टेरे खाड़ी (Monterey Bay) में करीब ढाई किलोमीटर की गहराई में पहली बार इस जीव को देखा था। यह अपनी चौड़ी पूंछ की मदद से तैर रहा था और बीच-बीच में अपनी जैव-दीप्ति (Bioluminescence) बिखेर रहा था। और हैरत की बात थी कि यह उस गहराई पर रहने वाले किसी ज्ञात जीव जैसा नहीं था।
इसलिए अगले करीब 20-22 वर्षों तक वैज्ञानिक इस जीव पर नज़र रखे रहे। इस अवधि में उन्होंने इसे करीब 150 बार देखा और हर बार यह ओरेगन (Oregon) से लेकर दक्षिणी कैलिफोर्निया (Southern California) तक फैले तट से 1 से 4 किलोमीटर की गहराई पर तैरते हुए दिखाई दिया – इस गहराई पर सूरज की ज़रा भी रोशनी (Sunlight) नहीं पहुंचती। आकार में यह अनोखा जीव बेसबॉल (Baseball) की गेंद जितना बड़ा और पारदर्शी था। घोंघों (Snails) के समान इसका एक मांसल पैर था, इसलिए ऐसा लग रहा था कि यह शायद कोई घोंघा हो। लेकिन जहां समुद्री घोंघे अपने मांसल पैर के सहारे रेंगते हुए आगे बढ़ते हैं, वहीं यह अपने शरीर पर बनी भोंपू नुमा संरचना (Funnel-Like Structure) के सहारे तैरते हुए आगे बढ़ता था। खतरा महसूस होने पर इसकी कांटानुमा (Fork-Like) पूंछ का सिरा चमकने लगता और फिर पूंछ शरीर से छिटककर अलग हो जाती, संभवत: शिकारियों (Predators) का ध्यान भटकाने के लिए।
कुल मिलाकर इन अवलोकनों से वह घोंघों की किसी ज्ञात प्रजाति (Known Species) से मेल खाता नहीं लग रहा था। इसलिए वैज्ञानिकों ने 18 जीवों को पकड़ा और इनके शरीर की आंतरिक संरचना का बारीकी से अवलोकन और आनुवंशिक विश्लेषण (Genetic Analysis) किया। पाया गया कि यह जीव एक तरह का समुद्री घोंघा है, लेकिन ज्ञात प्रजातियों से इतने दूर का सम्बंधी है कि यह अपने कुल का एकमात्र सदस्य है। शोधकर्ताओं ने इसका नाम बेथीडेवियस कॉडेक्टाइलस (Bathydevius caudactylus) रखा है। इसकी मायावी खासियत के कारण जीनस का नाम बेथीडेवियस (Bathydevius) रखा गया है जिसका अर्थ है ‘घोर छलिया’ (Master of Disguise) और इसकी फोर्क जैसी पूंछ के कारण प्रजाति का नाम कॉडेक्टाइलस रखा गया है।
जांच-पड़ताल में इसके पेट में झींगा (Shrimp) के अवशेष भी मिले थे, हालांकि यह अभी पहेली ही है कि ये सुस्त घोंघे फुर्तीले झीगों (Agile Shrimps) का शिकार कैसे करते होंगे। संभवत: उनके शरीर पर बनी भोंपू समान रचना (Funnel Structure) उन्हें मदद करती होगी। बहरहाल, आगे अध्ययन जारी रहेंगे और इससे जुड़ी गुत्थियां सुलझती रहेंगी। (स्रोत फीचर्स)
नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
Photo Credit : https://www.science.org/do/10.1126/science.zdd3swo/full/_20241112_on_mystery_mollusk-1731587612250.jpg