ज़्यादा खाने से मधुमेह कैसे होता है?

मोटापा (obesity) मधुमेह (diabetes) के जोखिम को काफी बढ़ा देता है, लेकिन इसका सटीक कारण अभी तक स्पष्ट नहीं है। लेकिन नए शोध (new research) से पता चलता है कि अत्यधिक उच्च वसायुक्त भोजन (high-fat diet) के सेवन से लीवर (liver) सहित पूरे शरीर में तंत्रिका-संप्रेषकों (न्यूरोट्रांसमीटर – neurotransmitters) में उछाल आता है। इनके प्रभाव से लीवर में वसीय ऊतक विघटित (fatty tissue breakdown) होने लगते हैं। यह खोज लंबे समय से चली आ रही धारणाओं को चुनौती देती है कि ज़्यादा खाने से मधुमेह होता है। यह अध्ययन नई उपचार रणनीतियों (treatment strategies) का मार्ग प्रशस्त कर सकता है। 

आम तौर पर यह माना जाता रहा है कि मधुमेह तब होता है जब शरीर इंसुलिन (insulin) के प्रति प्रतिक्रिया करना बंद कर देता है, जिससे रक्तप्रवाह (bloodstream) में हानिकारक फैटी एसिड (fatty acids) बढ़ जाते हैं। हालांकि, सेल मेटाबॉलिज़्म (Cell Metabolism) में प्रकाशित हालिया निष्कर्षों (findings) में इसके पीछे शरीर के रासायनिक संदेशवाहक यानी न्यूरोट्रांसमीटर की भूमिका को उजागर किया गया है। मोटे (obese) लोगों में ये न्यूरोट्रांसमीटर, विशेष रूप से नॉरएपिनेफ्रिन (norepinephrine), इंसुलिन की उपस्थिति में भी शरीर में वसीय अम्लों का अत्यधिक विघटन जारी रखते हैं। वसीय अम्लों में यह वृद्धि मधुमेह, फैटी लीवर (fatty liver) और ऊतकों में सूजन (inflammation) जैसी स्थितियों को जन्म देती है। 

रटगर्स यूनिवर्सिटी (Rutgers University) के क्रिस्टोफ ब्यूटनर और केनिची सकामोटो के शोध दल ने इस बात का पता लगाने के लिए एक चूहा मॉडल (mouse model) का इस्तेमाल किया, जिनके मस्तिष्क (brain) को छोड़कर अन्य अंगों से न्यूरोट्रांसमीटर बनाने के लिए ज़िम्मेदार जीन को हटा दिया गया था। इसके बाद दोनों तरह के चूहों को उच्च वसा वाला आहार (high-fat diet) दिया गया। 

नतीजे काफी चौंकाने वाले थे। हालांकि चूहों के दोनों समूहों ने समान वज़न (weight gain) हासिल किया और दोनों में ही समान इंसुलिन गतिविधि देखी गई, लेकिन संशोधित चूहों में इंसुलिन प्रतिरोध (insulin resistance), फैटी लीवर या सूजन विकसित नहीं हुई। वहीं, असंशोधित चूहों में गंभीर इंसुलिन प्रतिरोध व लीवर क्षति (liver damage) देखी गई। 

जैव-रसायनज्ञ मार्टिना श्वेइगर (Martina Schweiger) के अनुसार, यह शोध एक नई दिशा का संकेत देता है। इंसुलिन की विफलता मधुमेह का एकमात्र कारण होने की बजाय, न्यूरोट्रांसमीटर भी शरीर को हानिकारक स्थिति में धकेलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। अध्ययन कहता है कि मोटापे से ग्रस्त लोगों में केवल इंसुलिन पर ध्यान केंद्रित करने की बजाय न्यूरोट्रांसमीटर्स पर ध्यान देने से मधुमेह के इलाज (diabetes treatment) या रोकथाम (prevention) के नए तरीके मिल सकते हैं। 

हालांकि यह खोज एक बड़ी सफलता (major breakthrough) है, लेकिन अभी भी कई सवालों के जवाब दिए जाने बाकी हैं। उच्च वसा वाले आहार से न्यूरोट्रांसमीटर उछाल (neurotransmitter spike) कैसे शुरू होता है? क्या मस्तिष्क को प्रभावित किए बिना, विशिष्ट ऊतकों (specific tissues) में न्यूरोट्रांसमीटर को लक्षित करने के लिए दवाएं बनाई जा सकती हैं? क्या ऐसा करने से मोटापे से संबंधित इंसुलिन प्रतिरोध (obesity-related insulin resistance) का प्रभावी ढंग से मुकाबला किया जा सकता है? 

बहरहाल, यह अध्ययन मधुमेह एवं मोटापे से जुड़े अन्य चयापचय विकारों (metabolic disorders) के बेहतर उपचार की उम्मीद जगाता है। (स्रोत फीचर्स) 

नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
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