डॉ. डी. बालसुब्रमण्यन
चाय के पौधे लगभग तीन शताब्दी पूर्व चीन (China) और दक्षिण-पूर्वी एशिया (Southeast Asia) से भारत आए थे, और इन्हें भारत लाने वाले थे ब्रिटिश (British)। दरअसल भारत में चाय (Tea in India) उगाने के प्रयोग के दौरान उन्होंने देखा था कि असम (Assam Tea) में मोटी पत्तियों वाले चाय के पौधे उगते हैं। जब चाय के पौधों को भारत में लगाया गया तो ये बहुत अच्छी तरह से पनपे। (गौरतलब है कि कर्नाटक (Karnataka), केरल (Kerala) और तमिलनाडु (Tamil Nadu) के कुछ इलाकों में भी चाय उगाई जाती है, हालांकि इसकी पैदावार उतनी नहीं होती जितनी कि पूर्वोत्तर (North East India) में होती है)। हाल ही में, उत्तराखंड (Uttarakhand) और उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) ने भी चाय उगाना शुरू किया है। वर्तमान में भारत में चाय की कुल खपत सबसे ज़्यादा (India’s tea consumption) है (5,40,000 मीट्रिक टन है यानी प्रति व्यक्ति 620 ग्राम)। भारत दुनिया का चौथा सबसे बड़ा चाय निर्यातक (Tea Exporter) देश है, और इससे देश प्रति वर्ष लगभग 80 करोड़ डॉलर कमाता है।
राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन (National Sample Survey Organization) के अनुसार, भारत में कॉफी (Coffee) की तुलना में चाय की खपत 15 गुना ज़्यादा होती है। उत्तर भारत (North India) में, शहरी एवं ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में चाय रोज़ाना का मुख्य पेय बन गई है। यहां एक कप चाय सिर्फ 8-10 रुपए में मिलती है, जो सभी की पहुंच में है। इसके विपरीत, दक्षिण भारत (South India) में एक कप चाय तो 10 रुपए में ही मिलती है, जबकि कॉफी 15 से 20 रुपए में मिलती है।
रासायनिक घटक
फूड केमिस्ट्री (Food Chemistry) और फूड साइंस एंड ह्यूमन वेलनेस (Food Science and Human Wellness) नामक पत्रिकाओं में प्रकाशित कई शोधपत्रों ने चाय की पत्तियों में मौजूद रासायनिक अणुओं (Chemical compounds in tea) का वर्णन किया है। वे बताते हैं कि ये पत्तियां सुगंध से भरपूर होती हैं, जो चाय को उसकी खुशबू देती हैं। फूड साइंस एंड ह्यूमन वेलनेस में 2015 में प्रकाशित एक शोधपत्र में ऐसे वाष्पशील यौगिकों (Volatile Compounds) के कुछ उदाहरण दिए गए थे। ये यौगिक गाजर, कद्दू और शकरकंद जैसे हमारे दैनिक आहार में पाए जाते हैं। हमारे आहार में गैर-वाष्पशील पदार्थ (Non-volatile substances) भी होते हैं; जैसे नमक, चीनी, कैल्शियम और फल आदि, और ये विटामिन और खनिजों से भरपूर होते हैं।
चाय की पत्तियां विटामिन (Vitamins in tea) और सुरक्षात्मक यौगिकों से भी भरपूर होती हैं जो रक्तचाप और हृदय की सेहत (Heart Health) को बेहतर बनाने, मधुमेह (Diabetes) के जोखिम को कम करने, आंतों को चंगा रखने, तनाव और चिंता को कम करने, ध्यान और एकाग्रता में सुधार करने में मदद करती हैं। इस मामले में चाय कॉफी से बेहतर है, क्योंकि चाय में कैफीन (Low caffeine in tea) कम होता है, जो तंत्रिका तंत्र को उत्तेजित करता है। यही कारण है कि बच्चों को ये दोनों ही पीने की सलाह नहीं दी जाती है।
2015 के शोधपत्र के लेखकों ने पाया था कि चाय की पत्तियों की सुगंध लाइकोपीन (Lycopene), ल्यूटिन (Lutein) और जैस्मोनेट जैसे वाष्पशील यौगिकों (Carotenoids) की उपस्थिति के कारण होती है। दूसरी ओर, भोजन का स्वाद चीनी (Sugar), नमक (Salt), आयरन (Iron) और कैल्शियम (Calcium) जैसे गैर-वाष्पशील यौगिकों से होता है।
घर पर पकाए और बनाए जाने वाले भोजन में ये स्वाद एक तो आयरन, नमक, कैल्शियम और चीनी के उपयोग से आते हैं, और दूसरा गाजर, शकरकंद और ताज़ी सब्ज़ियों से आते हैं। भारत में, मैसूर (Mysore) (और अन्य जगहों पर) स्थित केंद्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी अनुसंधान संस्थान (CSIR-CFTRI) भारतीय भोजन (Indian Food) में एंटीऑक्सिडेंट (Antioxidants), पोलीफीनॉल (Polyphenols) और अन्य स्वास्थ्य-वर्धक अणुओं का अध्ययन कर रहा है।
जैसा कि ऊपर बताया गया है, कॉफी की तुलना में अधिक भारतीय चाय पीते हैं। तो फिर कॉफी की बजाय चाय पीने के क्या लाभ हैं? चाय में कॉफी की तुलना में कैफीन कम होता है और एंटीऑक्सीडेंट अधिक होते हैं। लेकिन कुछ वैज्ञानिकों का दावा है कि कॉफी मधुमेह के खिलाफ चाय की तुलना में बेहतर है। ऐसे में, सवाल आपकी पसंद-नापसंद का है। (स्रोत फीचर्स)
नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
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