चक्रेश जैन
साल 2024 का रसायन नोबेल पुरस्कार (Nobel Prize) डेविड बेकर, डेमिस हस्साबिस और जॉन जम्पर को संयुक्त रूप से दिया गया है। तीनों वैज्ञानिकों ने प्रोटीन की संरचना (Protein Structure) अथवा बनावट समझने और पूर्वानुमान के लिए कंप्यूटर टूल्स (Computer Tools) और कृत्रिम बुद्धि (Artificial Intelligence – AI) तकनीकों का उपयोग किया है।
गूगल डीप माइंड (Google DeepMind) के डेमिस हस्साबिस और जॉन जम्पर ने एआई मॉडल अल्फाफोल्ड (AlphaFold AI Model) के विकास में उल्लेखनीय योगदान किया है, जिसकी सहायता से प्रोटीन की त्रि-आयामी संरचना (3D Protein Structure) की भविष्यवाणी की जा सकती है। पुरस्कार की आधी राशि इन दोनों वैज्ञानिक को दी जाएगी। पुरस्कार की शेष आधी राशि डेविड बेकर को मिलेगी। बेकर ने कंप्यूटेशनल रिसर्च (Computational Research) के ज़रिए बिलकुल नए प्रकार के प्रोटीन डिज़ाइन किए हैं। इनका उपयोग टीकों (Vaccines), नैनो पदार्थ (Nanomaterials), सूक्ष्म संवेदकों और औषधियों (Drugs) में संभव है।
1976 में जन्मे हस्साबिस ने युनिवर्सिटी कॉलेज लंदन से पीएचडी की उपाधि प्राप्त की है। उन्हें अल्फाफोल्ड मॉडल पर शोध के लिए ‘ब्रेकथ्रू’ पुरस्कार (Breakthrough Prize) सहित अनेक प्रतिष्ठित पुरस्कार मिल चुके हैं।
1985 में जन्मे जॉन जम्पर ने 2017 में शिकागो युनिवर्सिटी से पीएचडी की उपाधि प्राप्त की है। उन्हें विज्ञान जगत की प्रतिष्ठित पत्रिका *नेचर* ने साल 2021 में टॉप टेन व्यक्तियों की सूची में सम्मिलित किया था।
डेमिस हस्साबिस और जॉन जम्पर दोनों ही लंदन स्थित एक ही कंपनी गूगल डीप माइंड से जुड़े हुए हैं।
डेविड बेकर को पुरस्कार नए प्रोटीन (New Protein Design) के निर्माण की असंभव लगने वाली उपलब्धि के लिए दिया गया है। डेमिस हस्साबिस और जॉन जम्पर को अल्फाफोल्ड नाम के एआई मॉडल (AI Model for Protein Structure) का विकास और उसका उपयोग करके प्रोटीन की जटिल संरचनाओं की भविष्यवाणी करने की आधी सदी पुरानी समस्या के समाधान के लिए दिया गया है।
किसी प्रोटीन की त्रि-आयामी संरचना को निर्धारित करने के जटिल व लंबी अवधि तक चलने वाले प्रयोगों की आवश्यकता होती थी। प्रोटीन का कार्य उसकी त्रि-आयामी रचना से ही निर्धारित होता है।
प्रोटीन दरअसल अमीनो अम्लों (Amino Acids) की एक लंबी शृंखला से बने होते हैं। पहला काम होता है किसी प्रोटीन में इन अमीनो अम्लों का अनुक्रम (Amino Acid Sequence) पता करना। किसी प्रोटीन में अमीनो अम्ल के अनुक्रम के बारे में जान जाने के बाद भी वह शृंखला विभिन्न ढंग से तह होकर कई आकृतियां ग्रहण कर सकती है। प्रोटीन की इस तह की हुई त्रि-आयामी संरचना का निर्धारण अत्यधिक चुनौतीपूर्ण होता है।
मिसाल के तौर पर अगर किसी प्रोटीन में केवल 100 अमीनो अम्ल हों, तो वह कम-से-कम 1047 विभिन्न त्रि-आयामी संरचनाएं ग्रहण कर सकता है। कुछ वर्षों पहले तक मनुष्यों में पाए जाने वाले करीब 20,000 प्रोटीनों में से केवल एक-तिहाई की संरचना ही प्रयोगशाला के स्तर पर आंशिक रूप से निर्धारित की गई थी।
अल्फाफोल्ड (AlphaFold) ने अब तक लगभग दस लाख प्रजातियों में लगभग 20 करोड़ प्रोटीन (Proteins) की त्रि-आयामी संरचनाओं की भविष्यवाणी की है।
2018 में हस्साबिस और जम्पर ने प्रोटीन संरचना के पूर्वानुमान में 60 प्रतिशत की सटीकता प्राप्त कर ली थी। सन 2020 में एआई मॉडल के प्रदर्शन की तुलना एक्स-रे क्रिस्टेलोग्रॉफी (X-Ray Crystallography) से की गई थी। एक्स-रे क्रिस्टेलोग्राफी प्रोटीन संरचना पता करने की एक और विधि है। हालांकि यह एआई मॉडल अभी भी पूरी तरह मुकम्मल नहीं है, परन्तु यह इस बात का अनुमान लगाता है कि जो संरचना प्रस्तावित की गई है, वह कितनी सही है।
वर्ष 2021 से अल्फाफोल्ड मॉडल का कोड (AlphaFold Code) सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध है। इस एआई उपकरण का उपयोग 190 देशों के बीस लाख से अधिक शोधकर्ताओं द्वारा किया गया है।
बेकर ने अमीनो अम्ल के अनुक्रमों के आधार पर प्रोटीन की संरचना की भविष्यवाणी करने की बजाय नई प्रोटीन संरचनाओं (New Protein Structures) का सृजन किया। उन्होंने अपने कंप्यूटर सॉफ्टवेयर रोसेटा (Rosetta Software) का उपयोग ऐसे नए प्रोटीनों का निर्माण करने के लिए किया, जो प्रकृति में नहीं पाए जाते। बेकर ने ज्ञात प्रोटीन संरचनाओं के डैटाबेस की खोज और समानता वाले प्रोटीनों के छोटे टुकड़ों की तलाश करके अमीनो अम्ल का अनुक्रम निर्धारित करने में रोसेटा का उपयोग किया है।
प्रोटीन सजीवों में होने वाली सभी प्रकार की रासायनिक अभिक्रियाओं को नियंत्रित और संचालित करते हैं। प्रोटीन अणु, हारमोन्स (Hormones), एंटीबॉडीज़ (Antibodies) और विभिन्न ऊतकों में बिल्डिंग ब्लॉक (Building Blocks) की भूमिका भी निभाते हैं। प्रोटीन आकृति में फीते की तरह होते हैं और अमीनो अम्लों की लंबी शृंखला से बने होते हैं। सामान्य तौर पर प्रोटीन 20 अलग-अलग प्रकार के अमीनो अम्लों से बनते हैं। प्रोटीन की लंबी शृंखला को तह करके त्रि-आयामी संरचना बनाई जा सकती है।
सन् 1970 से वैज्ञानिक प्रोटीन की त्रि-आयामी संरचना (3D Protein Structure) की भविष्यवाणी पर अनुसंधान कर रहे हैं। इस विषय पर शोधकार्य की रफ्तार बेहद धीमी रही है। लेकिन साल 2020 में अनुसंधानकर्ताओं को बड़ी सफलता मिली जब प्रोफेसर हस्साबिस और जॉन जम्पर ने कृत्रिम बुद्धि (AI) की सहायता से अल्फाफोल्ड-2 (AlphaFold-2) के विकास की घोषणा की थी। प्रोफेसर जॉन जम्पर ने संवाददाताओं के सवालों का उत्तर देते हुए बताया कि डीप लर्निंग मॉडल (Deep Learning Model) ने जीव विज्ञान की जटिलताओं के समाधान में सही डैटा (Data) उपलब्ध कराया है। उन्होंने बताया कि अल्फाफोल्ड-2 का विभिन्न तरह से उपयोग किया गया है। इनमें बीमारियों के हमले से मुकाबला करने की क्षमता और प्लास्टिक के विघटन में भूमिका निभाने वाले एंजाइम (Enzymes) शामिल हैं।
हस्साबिस का कहना है कि अल्फाफोल्ड मॉडल की खोज को एआई की विपुल संभावनाओं (AI Potential) के प्रमाण के तौर पर देखना चाहिए। इससे न केवल वैज्ञानिक अनुसंधान की रफ्तार तेज़ होगी, बल्कि समाज को भी लाभ मिलेगा। (स्रोत फीचर्स)
नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
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