ग्लोबल वार्मिंग से लड़ने के लिए काष्ठ तिज़ोरियां

वैसे तो इस बात पर आम सहमति है कि ग्लोबल वार्मिंग (global warming) से निपटने के लिए कार्बन डाईऑक्साइड (carbon dioxide) का उत्सर्जन कम करना सर्वोत्तम तरीका है, लेकिन कई लोग मानते हैं कि सिर्फ उत्सर्जन कम करने से बात नहीं बनेगी। कार्बन डाईऑक्साइड को वायुमंडल (atmosphere) से हटाकर भंडारित करना भी ज़रूरी होगा। 

इसी सिलसिले में कनाडा में 3775 साल पुराने संरक्षित लाल देवदार (red cedar) के लट्ठे की खोज ने जलवायु परिवर्तन (climate change) से निपटने के एक नए तरीके में रुचि उत्पन्न की है: लकड़ी की तिज़ोरियां (wood vaults)। इस तकनीक में लकड़ी को इस तरह दफनाया जाता है कि वह सड़कर वातावरण में कार्बन डाईऑक्साइड न छोड़े। गौरतलब है कि कार्बन डाईऑक्साइड ग्लोबल वार्मिंग में एक प्रमुख योगदानकर्ता है। 

यह विचार मैरीलैंड विश्वविद्यालय (University of Maryland) के जलवायु वैज्ञानिक निंग ज़ेंग (Ning Zeng) का है, जिनके अनुसार मिट्टी की परतों (soil layers) के नीचे दबा हुआ यह प्राचीन लट्ठा दर्शाता है कि कैसे लकड़ी को कम ऑक्सीजन (low oxygen) वाले वातावरण में रखा जाए तो उसका कार्बन अक्षुण्ण रहता है। ज़मीन के ऊपर पड़ी लकड़ियां जल्दी से सड़ जाती हैं, और कार्बन डाईऑक्साइड मुक्त होती है। लेकिन जब उसी लकड़ी को मिट्टी या कीचड़ के नीचे दफनाया जाता है, जहां ऑक्सीजन उपलब्ध नहीं होती, तो वह बहुत धीरे-धीरे विघटित होती है और कार्बन सदियों तक कैद रहता है। 

ज़ेंग और उनके सहयोगियों का अनुमान है कि दुनिया भर में एक-दो बार इस्तेमाल की जा चुकी लकड़ी के 4.5 प्रतिशत बायोमास (biomass) को इस तरह दफनाने से वायुमंडल से सालाना 10 गीगाटन (gigaton) तक कार्बन डाईऑक्साइड को हटाया जा सकता है। 

अलबत्ता, इस उपाय की प्रभाविता पर कुछ विशेषज्ञों को चिंता है। इस रणनीति की सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि दबी हुई लकड़ी में कार्बन सदियों तक कैद रहता है या नहीं। अब तक, समुद्री मिट्टी (marine soil) के नीचे क्यूबेक लॉग का संरक्षण वैज्ञानिकों को उम्मीद देता है कि इसी तरह के परिणाम बड़े पैमाने पर प्राप्त किए जा सकते हैं। लेकिन सवाल यह है कि क्या अन्य किस्म की मिट्टियां भी ऐसी सुरक्षात्मक परिस्थितियां प्रदान कर सकती हैं। 

एक चिंता यह है कि कहीं यह तकनीक जंगलों को काटने की प्रेरणा न बन जाए, क्योंकि वह जैव विविधता (biodiversity) के लिए खतरे की घंटी होगी। एक और चुनौती पेड़ों को दफनाने की व्यावहारिकता और अर्थशास्त्र (economics) है। लकड़ी का उपयोग निर्माण कार्य, कागज़ और फर्नीचर (construction, paper, furniture) बनाने में किया जाता है, और इसे दफनाने से वनों की कटाई और जैव विविधता के नुकसान सम्बंधित चिंताएं बढ़ सकती हैं। हालांकि, ज़ेंग का सुझाव है कि इन जोखिमों से बचने के लिए केवल बेकार लकड़ी को दफनाया जा सकता है। ज़ेंग के अनुसार, बेकार लकड़ी के ढेर आग का खतरा भी बन सकते हैं, इसलिए उन्हें दफनाने से कई लाभ मिलेंगे। 

अभी के लिए, काष्ठ तिज़ोरियां जलवायु परिवर्तन के खिलाफ व्यापक लड़ाई में एक आशाजनक रणनीति दिख रही हैं। यद्यपि पर्यावरण सम्बंधी चिताओं के मद्देनज़र इस पर और शोध की आवश्यकता है। (स्रोत फीचर्स)

नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
Photo Credit : https://www.science.org/do/10.1126/science.zgs228d/full/_20240926_on_carbon_burial_lede-1727373612393.jpg

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