चमगादड़ों की कमी से शिशुओं की बढ़ती मृत्यु दर

हाल ही में हुए एक अध्ययन ने चमगादड़ों की संख्या और शिशु मृत्यु दर (infant mortality) के बीच एक अप्रत्याशित सम्बंध का खुलासा किया है – शिशु मृत्यु दर में वृद्धि चमगादड़ों की घटती संख्या से जुड़ी है। 

दरअसल, वर्ष 2006 में न्यू इंग्लैंड क्षेत्र में खतरनाक फंगल बीमारी, व्हाइट नोज़ सिंड्रोम (White Nose Syndrome) के कारण बड़े पैमाने पर चमगादड़ों की मौत हो गई थी। चमगादड़ों की आबादी में आई कमी के कारण कीटों (insects) की संख्या में वृद्धि हुई, जिससे किसानों ने अधिक मात्रा में कीटनाशकों (pesticides) का उपयोग किया। साइंस पत्रिका (Science Journal) में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, कीटनाशक उपयोग में हुई 31 प्रतिशत की वृद्धि से प्रभावित इलाकों में शिशु मृत्यु दर 8 प्रतिशत बढ़ गई। 

गौरतलब है कि चमगादड़ प्राकृतिक कीट नियंत्रक (natural pest control) के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं; ये हर रात बड़ी संख्या में कीटों का शिकार करते हैं। कुछ प्रजातियां तो हर रात अपने शरीर के वज़न के 40 प्रतिशत के बराबर कीटों को खा जाती हैं। इस सेवा का मूल्य लगाया जाए तो इतनी मात्रा में कीटों का सफाया करने में प्रति वर्ष 300 अरब से 4000 अरब रुपए का खर्चा बैठता है। 

जब कीटों को खाने वाले चमगादड़ कम हो गए तो कीट बढ़ गए और किसानों को कीटनाशकों का सहारा लेना पड़ा। पूर्व अध्ययनों में देखा गया है कि कुछ कीटनाशक, खासकर तंत्रिका तंत्र (nervous system) को प्रभावित करने वाले, बच्चों और शिशुओं के लिए गंभीर खतरे का कारण बनते हैं। अध्ययन का दावा है कि कीटनाशकों के बढ़ते उपयोग का इंसानों (human health), विशेषकर शिशुओं की सेहत पर बुरा असर पड़ा। 

इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने चमगादड़-विहीन क्षेत्रों (bat-free areas) की तुलना चमगादड़-बहुल इलाकों (bat-rich areas) से की। उन्होंने पाया कि जिन क्षेत्रों में चमगादड़ खत्म हो गए थे, वहां कीटनाशकों का उपयोग अधिक था और शिशुओं की बीमारियों तथा जन्मजात विकृतियों (birth defects) के कारण मृत्यु दर में वृद्धि पाई गई। हालांकि, अन्य कारणों से होने वाली मौतों में वृद्धि नहीं देखी गई, जो इस अध्ययन के निष्कर्षों को और भी पुष्ट करते हैं। 

हालांकि, उन इलाकों में कीटनाशकों का उपयोग सरकारी नियंत्रण में किया जाता है। फिर भी ये हवा या पानी (air or water contamination) के ज़रिए फैलकर असर कर सकते हैं। 

यह अध्ययन इस बात पर ज़ोर देता है और चेताता है कि वन्यजीवों की कमी इंसानों की सेहत (human health) को भी प्रभावित कर सकती है। हालांकि इस मुद्दे पर और शोध की ज़रूरत है। 

फिलहाल, चमगादड़ों की संख्या को बढ़ाने के लिए संरक्षण प्रयास जारी हैं, लेकिन इसमें कई दशकों का समय लग सकता है। इस बीच, बीमारी अमरीका के अधिक कृषि क्षेत्रों में भी फैल रही है, जिससे कृषि (agriculture) और मानव स्वास्थ्य पर खतरा मंडरा रहा है। (स्रोत फीचर्स)

नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
Photo Credit : https://www.science.org/do/10.1126/science.zu56w28/full/_20240905_on_white_nose_bat-1725576038307.jpg

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