प्रयोगशाला में विकसित मांस काफी समय से चर्चा में है। लेकिन पर्यावरण और नैतिक लाभों के बावजूद यह मांस पारंपरिक बीफ जैसा स्वाद हासिल करने के लिए जूझता रहा है। हाल ही में शोधकर्ताओं ने संवर्धित मांस में कुछ परिवर्तन किए हैं जिससे इस मांस को उच्च तापमान पर पकाए जाने पर पारंपरिक बीफ का स्वाद मिलता है। इस सफलता से प्रयोगशाला में विकसित मांस की मांग में वृद्धि की संभावना है।
नेचर कम्युनिकेशंस में प्रकाशित इस अध्ययन में, वैज्ञानिकों ने मैलार्ड अभिक्रिया से उत्पन्न यौगिकों का उपयोग किया है – मैलार्ड अभिक्रिया अमीनो अम्लों और अवकारक शर्कराओं के बीच होती है और इससे मेलेनॉइडिन नामक यौगिक बनते हैं। ये पदार्थ गहरा रंग व जायका पैदा करते हैं।
शोधकर्ताओं ने प्रयोगशाला में विकसित पशु कोशिकाओं को इन यौगिकों से समृद्ध किया। इस प्रक्रिया के फलस्वरूप प्रयोगशाला निर्मित मांस में सही रंग और महक पैदा हुए।
गौरतलब है कि पारंपरिक मांस उत्पादन की तुलना में प्रयोगशाला में निर्मित मांस के कई लाभ हैं। यह जीव हत्या को रोकता है और पशुपालन से होने वाले कार्बन पदचिह्न को कम कर सकता है।
पिछले शोध में मांस उत्पादों की बनावट को दोहराने पर ध्यान केंद्रित किया जाता था, लेकिन वर्तमान अध्ययन में यह देखा गया कि पारंपरिक मांस उच्च तापमान पर मैलार्ड अभिक्रिया से गुज़रता है, जिससे परिचित स्वाद और सुगंध पैदा होती है।
इसके मद्देनज़र, सिओल विश्वविद्यालय के मिले ली की टीम ने फरफ्यूरिल मर्कैप्टन युक्त एक यौगिक विकसित किया, जो एक मैलार्ड अभिक्रिया उत्पाद है और पसंदीदा जायके के लिए जाना जाता है। उन्होंने इस यौगिक को मांस के साथ उपयोग करने और 150 डिग्री सेल्सियस तक गर्म होने तक स्थिर रहने के लिए विकसित किया है। यह जायका तभी मुक्त होता है जब संवर्धित मांस को 150 डिग्री सेल्सियस पर तपाया जाता है।
शोधकर्ताओं ने इस यौगिक को हाइड्रोजेल में डाला, जो स्टेम कोशिकाओं को मांसपेशियों के ऊतकों में विकसित करने के लिए एक ढांचे के रूप में कार्य करता है। एक इलेक्ट्रॉनिक नाक की मदद से टीम ने पाया कि कमरे के तापमान पर मांस का स्वाद थोड़ा कम था लेकिन इसे 150 डिग्री सेल्सियस तक गर्म करने पर मांस की सुगंध पैदा हुई।
आगे के अध्ययनों से पता चला है कि तीन अलग-अलग मैलार्ड उत्पाद मिलाने से स्वाद पारंपरिक बीफ के और भी करीब पहुंच गया। फिलहाल टीम अन्य स्वाद मिश्रणों का पता लगाने और प्रक्रिया की धीमी गति और श्रम-गहनता को कम करने का प्रयास कर रही है।
गोमांस के अलावा अन्य तरह के मांस में स्वाद यौगिकों की जांच भी की जाएगी। इससे संवर्धित मांस की विविधता बढ़ सकती है और उपभोक्ताओं के लिए इसे अधिक आकर्षक बनाया जा सकता है। इससे अधिक टिकाऊ खाद्य उत्पादन को बढ़ावा मिल सकता है। (स्रोत फीचर्स)
नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
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