अमेरिकी पर्यावरण संरक्षण एजेंसी (EPA) ने कई वर्षों की जद्दोज़हद के बाद मार्च 2024 से एस्बेस्टस के उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध की घोषणा की है। यह घोषणा एक आश्चर्य के रूप में सामने आई। सब मानते आए थे कि एस्बेस्टस पर प्रतिबंध तो पहले से ही लगा हुआ था, और 1970 के दशक से ही इसे अमरीकी स्कूलों और अस्पतालों से हटा दिया गया था।
गौरतलब है कि एस्बेस्टस प्राकृतिक रूप से पाया जाने वाला खनिज है जो गर्मी और आग की लपटों के प्रति प्रतिरोधी है, लेकिन यह अत्यधिक ज़हरीला है और कैंसर का कारण बनता है। 1898 में, ब्रिटिश फैक्ट्री इंस्पेक्टर लूसी डीन ने एस्बेस्टस निर्माण को श्रमिकों के स्वास्थ्य के लिए खतरनाक बताया था। 1927 तक, ‘एस्बेस्टोसिस’ शब्द का इस्तेमाल एस्बेस्टस श्रमिकों में आम तौर पर होने वाली फेफड़ों की एक गंभीर बीमारी के लिए किया जाने लगा। 1960 के दशक में कई अध्ययनों से यह स्पष्ट हुआ कि एस्बेस्टस के संपर्क में आने से न केवल एस्बेस्टोसिस होता है, बल्कि फेफड़ों का कैंसर, मेसोथेलियोमा और अन्य प्रकार के कैंसर भी होते हैं। और तो और, शोध से यह भी पता चला कि एस्बेस्टस का कोई सुरक्षित स्तर नहीं है।
इन निष्कर्षों के बावजूद, सरकारों को कार्रवाई करने में कई साल लग गए। 1970 के दशक में, कई देशों ने एस्बेस्टस पर प्रतिबंध लगाना शुरू कर दिया था। 2020 तक, कम से कम 67 देशों ने प्रतिबंध लागू किए थे। लेकिन अमेरिका ने अब तक केवल आंशिक प्रतिबंध ही लगाए थे। भारत में 1993 में एस्बेस्टस खनन पर प्रतिबंध लगाने के बावजूद, इसके उत्पादन, आयात या व्यापार में इसके उपयोग को प्रतिबंधित करने के लिए कोई कानून नहीं है। वर्तमान में भारत एस्बेस्टस निर्मित उत्पादों का निर्यात भी करता है।
अमेरिका में देरी के लिए कई कारकों को ज़िम्मेदार ठहराया जा सकता है। इसमें 1980 के दशक से उद्योग जगत द्वारा प्रतिबंध के विरोध और यूएस में व्याप्त नियमन विरोधी आम रवैये ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 1989 में, EPA ने विषाक्त पदार्थ नियंत्रण अधिनियम (TOSCA) के तहत अधिकांश एस्बेस्टस उत्पादों पर प्रतिबंध लगाने की कोशिश की, लेकिन इस नियम को करोज़न प्रूफ फिटिंग्स नामक एक कंपनी और अन्य व्यापार संघों द्वारा अदालत में चुनौती दी गई। हालांकि, अदालत व्यापार संघों द्वारा दिए गए कम लागत के झूठे दावों से सहमत नहीं थी, लेकिन EPA द्वारा अपनाए गए तरीके के साथ भी प्रक्रियात्मक मुद्दे पाए गए। इसके नतीजे में EPA ने एक नया और व्यापक प्रतिबंध नहीं लगाया। इसकी बजाय, उसने छोटे-छोटे मामलों पर ध्यान दिया, जिसने स्कूलों को एस्बेस्टस का प्रबंधन करने में मदद की, लेकिन इसे पूरी तरह से खत्म नहीं किया।
इसके अलावा, तंबाकू उद्योग के समान एस्बेस्टस उद्योग ने एस्बेस्टस के नुकसान के प्रमाणों को शंकास्पद साबित करने का प्रयास किया। शोधकर्ताओं को बदनाम किया गया और कहा गया कि केवल कुछ प्रकार के एस्बेस्टस ही खतरनाक हैं। अलबत्ता, 2016 के बाद संसद ने TOSCA में संशोधन किया, जिससे व्यापक प्रतिबंध लगाने का रास्ता खुल गया। नया एस्बेस्टस प्रतिबंध, संशोधित कानून के तहत जारी पहला नियम है।
गौरतलब है कि एस्बेस्टस का प्रभाव काफी विनाशकारी रहा है। वाशिंगटन विश्वविद्यालय के स्वास्थ्य मापन और मूल्यांकन संस्थान का अनुमान है कि 2019 में एस्बेस्टस के कारण करीब 40,764 श्रमिकों की मृत्यु हुई। यू.एस. रोग नियंत्रण एवं रोकथाम केंद्र ने 1999 और 2015 के बीच 45,221 मेसोथेलियोमा से हुई मौतों को दर्ज किया। जबकि 20वीं सदी में, सिर्फ यू.एस. में एस्बेस्टस के कारण लगभग 1.7 करोड़ व्यावसायिक मौतें और 20 लाख गैर-व्यावसायिक मौतें हुई हैं।
हालिया प्रतिबंध एक महत्वपूर्ण कदम है। एस्बेस्टस पर प्रतिबंध के लिए चला लंबा संघर्ष दर्शाता है कि वैज्ञानिक निष्कर्षों को कुशलतापूर्वक और प्रभावी ढंग से नीति का रूप देना कितना महत्वपूर्ण और कठिन है। बहरहाल, यह सुनिश्चित करना ज़रूरी है कि कोई भी हानिकारक पदार्थ प्रतिबंधित होने से पहले सदियों तक इस्तेमाल न होता रहे। (स्रोत फीचर्स)
नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
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