डॉ. डी. बालसुब्रमण्यन, सुशील चंदानी
हम इंसान हर दिन चलने वाले उजाले (दिन) और अंधेरे (रात) के चक्र से प्रभावित होते हैं। हमारे शरीर में लगभग 24 घंटे की (सर्केडियन घड़ी या जैविक घड़ी की) लय होती है जो हार्मोन स्राव जैसी शारीरिक प्रक्रियाओं का रूप ले लेती है, और उनके माध्यम से हमारे क्रियाकलापों का संचालन करती है।
परिवेश के साथ तालमेल बनाए रखने के लिए, और सही समय पर सही काम करने के लिए सूर्य की रोशनी हमारे लिए एक अलार्म घड़ी की तरह काम करती है। प्रकाश के साथ यह समन्वय (फोटोएनट्रेनमेंट) आंखों से आने वाले प्रकाश संकेतों द्वारा मस्तिष्क में होता है।
कई अन्य प्रजातियां भी अपनी दिनचर्या शुरू करने का संकेत पाने के लिए प्रकाश पर निर्भर होती हैं। जब ये प्रकाश पैटर्न बाधित होते हैं, तो उनकी प्राकृतिक लय (घड़ी) और व्यवहार गड़बड़ा सकते हैं। उदाहरण के लिए, मालदीव में पर्यटन संचालक रात को पर्यटकों को नावों में भरकर सैर के लिए ले जाते हैं, और समुद्र की सतह पर तेज़ रोशनी (लगभग 4000 वॉट) डालते हैं। समुद्र के जीव इसे सुबह समझ बैठते हैं और सुबह जैसी गतिविधियां करने लगते हैं। नतीजतन पर्यटकों को व्हेल शार्क देखने को मिल जाती हैं।
हमें दिखाई देने में हमारे बाहरी रेटिना पर मौजूद प्रकाशग्राही कोशिकाएं, छड़ और शंकु, ज़िम्मेदार हैं। छड़ कोशिकाएं प्रकाश की उपस्थिति के प्रति बहुत संवेदनशील होती हैं लेकिन रंग के प्रति संवेदनशील नहीं होती हैं, और इसलिए ये मंद प्रकाश में सबसे उपयोगी होती हैं; दूसरी ओर शंकु कोशिकाएं उजले प्रकाश में सबसे अच्छा काम करती हैं, इनकी मदद से हम रंगों को देख पाते हैं। छड़ और शंकु कोशिकाएं प्रकाश फोटॉन्स को विद्युत संकेतों में परिवर्तित करती हैं, जो रेटिना की गैंगलियन कोशिकाओं को भेजे जाते हैं। गैंगलियन कोशिकाएं रेटिना से प्राप्त सूचना को प्रोसेस करती हैं और इसे मस्तिष्क को भेज देती हैं।
प्रकाश संवेदी कोशिकाएं
लगभग 20 साल पहले प्रकाश को महसूस कर सकने वाली कोशिकाओं का एक नया समूह आंतरिक रेटिना में खोजा गया था। इन्हें इंट्रिंसिकली फोटोसेंसिटिव रेटिनल गैंगलियन कोशिकाएं (ipRGC) कहा गया। इनके अन्य नाम हैं फोटोसेंसिटिव गैंगलियन कोशिकाएं और मेलेनॉप्सिन युक्त रेटिनल गैंगलियन कोशिकाएं। ipRGC कोशिकाओं में एक प्रकाश संवेदी रंजक, मेलानॉप्सिन, होता है जो इन कोशिकाओं को सीधे प्रकाश पर प्रतिक्रिया करने में सक्षम बनाता है। ये कोशिकाएं हमारे प्रकाश के साथ दृष्टि से इतर संपर्क में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
ipRGC से विद्युत संकेत मस्तिष्क के उन क्षेत्रों में जाते हैं जो नींद, सतर्कता और मूड के नियमन में शामिल होते हैं। ये संकेत मस्तिष्क के उस क्षेत्र में भी जाते हैं जो आंखों की पुतलियों को नियंत्रित करते हैं, जिससे वे तेज़ रोशनी में सिकुड़ जाती हैं।
और इन सबसे भी महत्वपूर्ण, ये विद्युत संकेत हाइपोथैलेमस के उस हिस्से में भी जाते हैं जो सर्केडियन लय को नियंत्रित करता है। मस्तिष्क के इस हिस्से को लंबे समय से मास्टर घड़ी के रूप में जाना जाता है, जहां आपके शरीर की आंतरिक घड़ी बाहरी दुनिया के दिन-रात के चक्र के साथ तालमेल बिठाती है।
सुबह के बाशिंदे
सुबह की दिनचर्या की प्राथमिकता उन लोगों की होती है जो जल्दी सोना पसंद करते हैं और जल्दी उठते हैं। यदि आप अपना अधिकतर काम सुबह जल्दी (और दिन के उजाले में) निपटा लेते हैं तो ऐसा करना मोटापे के जोखिम को तो कम करता ही है, साथ ही शैक्षणिक प्रदर्शन बेहतर करता है। कई अध्ययनों से यह भी पता चला है कि जल्दी सोना गंभीर अवसाद विकार के जोखिम को कम रखता है (साइंटिफिक रिपोर्ट्स, 2021)। स्टैनफोर्ड युनिवर्सिटी में न्यूरोबायोलॉजी के प्रोफेसर एंड्रयू हुबरमैन ने अपने लोकप्रिय पॉडकास्ट में सर्केडियन घड़ी को रीसेट करने में सुबह-सुबह की धूप (जब सूरज क्षितिज के नज़दीक होता है) के लाभकारी प्रभावों के बारे में बताया है। ipRGC कोशिकाएं नीली रोशनी (तरंग दैर्घ्य 480 नैनोमीटर) के प्रति सबसे अधिक प्रतिक्रिया देती हैं। सुबह की रोशनी में पीली की अपेक्षा नीली रोशनी का अनुपात कम होता है। यह बस इतना होता है कि हाइपोथैलेमस को संदेश मिल जाए कि एक और सर्केडियन चक्र की शुरुआत करे। इसके सोलह घंटे बाद आपका शरीर निद्रालु होगा। इसलिए बाहर निकलें और सुबह की रोशनी में नहाएं – चाहे खुली धूप हो या बादलों से छनकर आती धूप (सूरज को सीधे न देखें)। अपनी घड़ी को सूर्योदय के साथ लयबद्ध करने से आपका शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य बेहतर रहेगा। (स्रोत फीचर्स)
नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
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