वायरस समुद्र स्तर में वृद्धि को थाम सकते हैं

र्माती दुनिया का एक असर है हिमनदों और बर्फ की चादरों का पिघलना और इसके चलते समुद्र का जलस्तर बढ़ना। एक हालिया अध्ययन का निष्कर्ष है कि विशाल वायरस बर्फ पिघलने की गति को धीमा कर सकते हैं।

दरअसल, विशाल वायरस (न्यूक्लियोसाइटोप्लाज़्मिक लार्ज डीएनए वायरस) पूरी दुनिया की मिट्टी, नदियों और महासागरों में पाए जाते हैं। लेकिन आरहुस विश्वविद्यालय की लॉरा पेरिनी यह जानना चाहती थीं कि क्या विशाल वायरस बर्फीले ग्रीनलैंड में भी पाए जाते हैं। उन्होंने वहां की बर्फ के नमूने लेकर उनका जेनेटिक विश्लेषण किया। पता चला कि ये वायरस सैकड़ों सालों से यहां मौजूद हैं और यहां उगने वाली रंगीन शैवाल को संक्रमित कर रहे हैं। संभव है कि विशाल वायरस इन रंगीन शैवाल के फलने-फूलने और वृद्धि को सीमित कर सकते हैं। शोधकर्ताओं का कहना है कि यदि ये वायरस ग्रीनलैंड में रंगीन शैवाल को फैलने से रोकते हैं तो इससे बढ़ रहे समुद्र स्तर को धीमा करने में मदद मिल सकती है क्योंकि कुछ अध्ययन बताते हैं कि बर्फ पर पनपने वाली शैवाल का गहरा-काला रंग बर्फ के पिघलने को बढ़ाता है; उजली बर्फ पर शैवाल का गहरा रंग अधिक ऊष्मा सोखता है, नतीजतन बर्फ तेज़ी से पिघलती है।

ऐसे में विशाल वायरस द्वारा शैवाल को संक्रमित करने और इनकी वृद्धि सीमित करने से बर्फ पर फैले गहरे रंग में कमी आएगी, जिसके नतीजे में बर्फ के पिघलने की रफ्तार धीमी होगी।

लेकिन ऐसे उपायों की कुछ दिक्कतें भी दिखती हैं। एक तो यही ठीक से नहीं पता है कि ग्रीनलैंड की बर्फ पिघलाने में शैवाल वास्तव में कितना योगदान देती है, इसलिए शैवाल को फैलने से रोककर समुद्र स्तर बढ़ने में वाकई कितनी कमी लाई जा सकेगी इसका पक्का अंदाज़ा नहीं है। बर्फ को तेज़ी से पिघलाने में अन्य कारक भी ज़िम्मेदार हो सकते हैं; जैसे गर्माती जलवायु के कारण बर्फ के पिघलने से (गहरे रंग के) पानी के डबरे बन सकते हैं। ये डबरे भी अधिक ऊष्मा सोख सकते हैं और बर्फ पिघलने की रफ्तार बढ़ा सकते हैं।

दूसरा, यह ज़रूरी नहीं कि शैवाल-नियंत्रण के इरादे से विशाल वायरस को फैलाना एक अच्छा विचार साबित हो क्योंकि शैवाल के अन्य कार्य भी हैं, जैसे कार्बन भंडारण। कार्बन भंडारण कर शैवाल जलवायु परिवर्तन के एक प्रमुख कारक से तो निजात दिलाते ही हैं।

तीसरा, जलवायु परिवर्तन के नुमाया लक्षणों को दबाने या थामने के उपाय वास्तविक समस्या को हल करने से ध्यान हटाते हैं। मर्ज़ को ठीक न कर उसके लक्षणों से निपटने के प्रयास समस्या को इतना भयावह कर सकते हैं कि हो सकता है मर्ज़ काबू से बाहर निकल जाए। (स्रोत फीचर्स)

नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
Photo Credit : https://static.scientificamerican.com/dam/m/546d0eafa33e7c36/original/IMG_4542_WEB.jpg?w=1200

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