मल के ज़रिए बीज फैलाने वाला सबसे छोटा जीव

मात्र 1.1 सें.मी. लंबा, खुरदुरा-सा दिखने वाला वुडलाउज़ (Porcellio scaber) एक अकशेरुकी प्राणी है, जो सड़ती-गलती वनस्पतियों पर अपना जीवन यापन करता है। यह एक प्रकार की दीमक है। पीपल, प्लांट्स, प्लेनेट पत्रिका में प्रकाशित एक ताज़ा अध्ययन बताता है कि वुडलाउज़ एक कुशल माली की तरह काम करता है; साथ ही यह मल के ज़रिए बीज फैलाने वाला अब तक का ज्ञात सबसे छोटा जीव है।
बीजों को दूर-दूर तक फैलाने में बड़े जानवरों और पक्षियों की भूमिका तो काफी समय से पता है और सराही जाती है, लेकिन इसमें वुडलाउज़ और इस जैसे कई अन्य छोटे जीवों या कीटों की भूमिका को इतनी तवज्जो नहीं मिली है।
इसलिए कोबे युनिवर्सिटी के केंजी सुएत्सुगु और उनके दल ने कीटों की भूमिका पर थोड़ा प्रकाश डालने के उद्देश्य यह अध्ययन किया। उन्होंने एक पौधे सिल्वर ड्रैगन (Monotropastrum humile) और अकशेरुकी जीवों के आपसी सम्बंध या लेन-देन को समझने का प्रयास किया। गौरतलब है कि सिल्वर ड्रैगन के बीज धूल के कणों जैसे महीन होते हैं।
अध्ययन में उन्होंने पौधों के करीब कुछ स्वचालित डिजिटल कैमरे लगाकर इनके फलों को खाते कीटों व अन्य अकशेरुकी जीवों की 9000 से अधिक तस्वीरें प्राप्त कीं।
अब, यह पता करने की ज़रूरत थी कि कीटों के पाचन तंत्र से गुज़रने के बाद क्या फलों के बीज साबुत बचे रहते हैं? इसके लिए शोधकर्ताओं ने तीन अकशेरुकी जीवों – ऊंट-झींगुर, रफ वुडलाउज़ और कनखजूरे – को सिल्वर ड्रैगन के फल खिलाए और सूक्ष्मदर्शी से इनके मल का विश्लेषण किया।
अंत में उन्होंने यह पता किया कि मल से त्यागे गए बीज अंकुरित होने में सक्षम हैं या नहीं। ऊंट-झींगुर अंकुरण-क्षम बीजों को फैलाने में कुशल थे। इसके अलावा यह भी पता चला कि वुडलाउज़ और कनखजूरों द्वारा त्यागे गए बीजों में से करीब 30 प्रतिशत में अंकुरण की क्षमता बरकरार थी।
शोधकर्ताओं को उम्मीद है कि इस शोध से इसी तरह के बीज फैलाने वाले अन्य जीवों को पहचानने में और उनके महत्व के चलते उनका संरक्षण करने में मदद मिलेगी। क्योंकि किसी पौधे के जितने विविध बीज वाहक होंगे उतना उनके लिए बेहतर होगा। (स्रोत फीचर्स)

नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
Photo Credit : https://upload.wikimedia.org/wikipedia/commons/7/77/Porcellio_scaber_%28AU%29-left_01.jpg

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