जलवायु परिवर्तन हवाई यात्रा को मुश्किल बना रहा है

पिछले दिनों सिंगापुर एयरलाइंस की उड़ान के वायु विक्षोभ (टर्बुलेंस) की गिरफ्त में आने और 1800 मीटर तक गिरते चले जाने की घटना काफी चर्चा में रही। इसने हवाई यात्रियों में चिंता (और दहशत) भर दी। साथ ही, इसमें जलवायु परिवर्तन की भूमिका की संभावना होने की बात भी सामने आई है।

गौरतलब है कि हवाई जहाज़ों का विक्षोभ का सामना करना एक आम घटना है, जिसके कई कारण हो सकते हैं। हवाई अड्डों के नज़दीक तेज़ हवाएं टेकऑफ और लैंडिंग के दौरान विमानों को थरथरा सकती हैं। ऊंचाई पर, तूफानी बादलों के बीच या उनके नज़दीक से गुज़रते समय विमानों को विक्षोभ का सामना करना पड़ सकता है। इन स्थानों पर तेज़ी से ऊपर और नीचे जाती हवाएं अस्थिरता पैदा करती हैं। इसके अतिरिक्त, पर्वत शृंखलाओं के ऊपर से गुज़रने वाले विमानों को पहाड़ों से उठने वाली हवाएं ऊपर धकेल सकती हैं। इसके अलावा पूरी धरती के इर्द-गिर्द मंडराने वाली शक्तिशाली पवन धाराओं (जेट स्ट्रीम) के सिरों पर हवाई जहाज़ विक्षोभ में फंस सकते हैं।

हो सकता है कि सिंगापुर एयरलाइंस की उड़ान ने तूफान से सम्बंधित विक्षोभ का सामना किया हो या क्लियर-एयर विक्षोभ का सामना किया हो। क्लियर-एयर विक्षोभ बादलों के बाहर होता है और इसका पता लगाना भी कठिन होता है। रीडिंग युनिवर्सिटी के वायुमंडलीय शोधकर्ता पॉल विलियम्स का कहना है कि इस घटना के कारण का पता लगाने के लिए और अधिक जांच की आवश्यकता है।

वैसे पिछले कुछ समय से इस बात के प्रमाण बढ़ रहे हैं कि जलवायु परिवर्तन के कारण विक्षोभ की घटनाएं अधिक होने के साथ गंभीर भी हो रही हैं। विलियम्स और उनके सहयोगियों के नेतृत्व में किए गए एक अध्ययन में 1979 और 2020 के बीच उत्तरी अटलांटिक पर क्लियर-एयर विक्षोभ में 55 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है। वैश्विक स्तर पर भी इसी तरह की वृद्धि देखी गई है। इस वृद्धि का कारण जलवायु परिवर्तन के कारण जेट स्ट्रीम्स का प्रबल होना बताया जा रहा है।

भविष्य के अनुमान और भी चिंताजनक हैं। जलवायु मॉडलों के आधार पर शोधकर्ताओं का अनुमान है कि जैसे-जैसे जलवायु गर्म होगी, गंभीर विक्षोभ की घटनाएं अधिक आम हो जाएंगी। साथ ही, गंभीर विक्षोभ की आवृत्ति भी दुगुनी हो सकती है, जिसके परिणामस्वरूप उड़ानों के दौरान असुविधा की स्थिति लगातार और लंबे समय तक हो सकती है। अलबत्ता, इसका मतलब यह नहीं है कि हवाई यात्राएं अधिक असुरक्षित हो जाएंगी।

वर्तमान में पायलट मौसम विशेषज्ञों से विक्षोभ अनुमान पता करते हैं और इस आधार पर सुरक्षित उड़ान मार्ग तय करते हैं। हवाई जहाज़ में उपस्थित रडार प्रणाली पानी की बूंदों का पता लगाकर तूफानी बादलों से बचने में मदद करती है, लेकिन ये प्रणालियां क्लियर-एयर में होने वाले विक्षोभ के संदर्भ में नाकाम रहती हैं।

लाइट डिटेक्शन एंड रेंजिग (LiDAR) नामक एक तकनीक कुछ हद तक इसका समाधान प्रदान कर सकती है जो रेडियो तरंगों की बजाय प्रकाश तरंगों का उपयोग करती है। LiDAR काफी दूर से साफ हवा में होने वाले विक्षोभ को भांप सकती है, जिससे पायलट हवाई जहाज़ को इन अदृश्य खतरों से बचाकर निकाल सकते हैं। हालांकि, इसकी उच्च लागत और उपकरणों का अधिक वज़न इसके व्यापक उपयोग में एक बाधा है।

बहरहाल, तब तक वायुयान चालक यात्रियों से आग्रह करते हैं कि सुरक्षा के लिए हमेशा सीटबेल्ट बांधे रखें। (स्रोत फीचर्स)

नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
Photo Credit : https://static.scientificamerican.com/sciam/cache/file/BD067DC8-9891-4653-B247757EF29D0E71_source.jpg

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