एक हालिया अवलोकन में, वैज्ञानिकों ने सुमात्रा में पाए जाने वाले एक जंगली ओरांगुटान को चेहरे के घाव के इलाज के लिए एक औषधीय पौधे के पुल्टिस का लेप करते देखा है। साइंटिफिक रिपोर्ट्स में प्रकाशित यह खोज किसी जंगली जीव द्वारा उपचार के लिए जड़ी-बूटी के उपयोग का पहला मामला है। इसका विडियो यहां देख सकते हैं: https://www.youtube.com/watch?v=xfYANAdmOrk.
इस औषधि का उपयोग करने वाले राकस नामक ओरांगुटान को सबसे पहले जर्मनी स्थित मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट ऑफ एनिमल बिहेवियर के शोधकर्ताओं ने देखा। गौरतलब है कि 2009 में जब राकस इस जंगल में आया था तब वह युवा था और गालों के पैड अविकसित थे। 2021 तक राकस वयस्क हो गया चुका था और उसके गालों पर फ्लैंज दिखाई देने लगे थे। इस जीव के अवलोकन के दौरान वर्ष 2022 में शोधकर्ताओं ने उसके चेहरे पर एक खुला घाव देखा, जो संभवत: अन्य नरों के साथ ‘इलाके’ के झगड़े के दौरान लगा था।
हैरानी की बात यह थी कि घाव लगने के कुछ दिनों बाद राकस को अकर कुनिंग नामक पौधे के तने और पत्तियों का सेवन करते देखा गया। इस पौधे का उपयोग मधुमेह और पेचिश जैसी विभिन्न बीमारियों के इलाज में किया जाता है। आश्चर्य इसलिए भी था क्योंकि इस क्षेत्र में ओरांगुटान शायद ही कभी इस पौधे को खाते हैं। राकस ने न केवल पत्तियों को खाया बल्कि पत्तियों को चबाकर घाव पर लगभग 7 मिनट तक लगाया भी। आठ दिनों के भीतर उसका घाव पूरी तरह ठीक हो गया।
यह व्यवहार पशु बुद्धिमत्ता और आत्म-चेतना की पिछली धारणाओं को चुनौती देता है। हालांकि स्वयं इलाज की प्रवृत्ति विभिन्न प्रजातियों में देखी गई है, लेकिन किसी जीव द्वारा कुछ दिनों तक घाव का इलाज करने के लिए किसी विशिष्ट पौधे का उपयोग करने का यह पहला अवलोकन है।
शोधकर्ताओं को लगता है कि संभवत: मनुष्यों ने जीवों के व्यवहार को देखकर उपचार के बारे में सीखा होगा। इस तरह के ज्ञान का संचार, चाहे मनुष्यों के बीच हो या विभिन्न पशु प्रजातियों के बीच, पीढ़ियों तक बना रह सकता है, और सभी जीवन रूपों के परस्पर सम्बंध को उजागर करता है। (स्रोत फीचर्स)
नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
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