न्यूयॉर्क स्थित कोलंबिया विश्वविद्यालय (जहां से मैंने उच्च शिक्षा प्राप्त की) के महामारी विज्ञानी डॉ. डेनियल बेल्स्की ने एक नया शब्द गढ़ा है ‘जेरोसाइंस’, जिसका अर्थ है बुढ़ापा या बढ़ती उम्र सम्बंधी विज्ञान। इसके तहत, उन्होंने एक अनोखा रक्त परीक्षण तैयार किया है जो यह बताता है कि कोई व्यक्ति किस रफ्तार से बूढ़ा हो रहा है।
उनके दल ने एक विधि विकसित की है जिसमें वरिष्ठजनों के डीएनए में एक एंज़ाइम के ज़रिए मिथाइल समूहों के निर्माण का अध्ययन किया जाता है। उन्होंने पाया है कि डीएनए पर मिथाइल समूहों का जुड़ना (मिथाइलेशन) उम्र बढ़ने के प्रति संवेदनशील है। इस एंज़ाइम को अक्सर ‘जेरोज़ाइम’ कहा जाता है। (मिथाइलेशन डीएनए और अन्य अणुओं का रासायनिक संशोधन है जो तब होता है जब कोशिकाएं विभाजित होकर नई कोशिका बनाती हैं।)
जेरोज़ाइम को नियंत्रित करने के लिए कई शोध समूह औषधियों और अन्य तरीकों पर काम कर रहे हैं। ये प्रयास किसी भी व्यक्ति की बढ़ती उम्र को कैसे प्रभावित करते हैं? एक शोध समूह ने बताया है कि मेटफॉर्मिन नामक औषधि बढ़ती उम्र को लक्षित करने का एक साधन है (सेल मेटाबॉलिज़्म, जून 2016)। एक अन्य समूह ने पाया है कि यदि हम TORC1 एंजाइम को बाधित कर देते हैं, तो यह बुज़ुर्गों में प्रतिरक्षा को बढ़ा सकता है और संक्रमणों को कम कर सकता। हाल ही में, जोन बी. मेनिक और उनके दल ने नेचर एजिंग पत्रिका में प्रकाशित अपने शोध पत्र में मानव रोगों के पशु मॉडल्स की उम्र व जीवित रहने पर रैपामाइसिन औषधि के प्रभावों की समीक्षा की है। उन्होंने बताया है कि कैसे हम इस औषधि के अवरोधकों को वृद्धावस्था के रोगों की मानक देखभाल में शामिल कर सकते हैं।
डॉ. बेल्स्की के समूह ने विभिन्न सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि (अमीर-गरीब, ग्रामीण-शहरी) के लोगों में डीएनए मिथाइलेशन के स्तर का भी अध्ययन किया और पाया कि सामाजिक-आर्थिक स्तर की प्रतिकूल परिस्थितियां भी इसमें भूमिका निभाती हैं।
कोलंबिया एजिंग सेंटर ने पाया है कि संतुलित आहार शोथ को कम करके मस्तिष्क के स्वास्थ्य की देखभाल करता है, आवश्यक पोषक तत्वों की आपूर्ति करके उचित रक्त प्रवाह बनाए रखता है जो संज्ञानात्मक कार्य में सहायक होता है। वेबसाइट healthline.com बात को आगे बढ़ाते हुए बताती है कि प्रोटीन के स्वास्थ्यवर्धक स्रोत, स्वास्थ्यकर वसा और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर खाद्य पदार्थ, जैसे सब्ज़ियां, तेल से भरपूर खाद्य पदार्थ और बहुत सारे फल स्वस्थ बुढ़ाने में मदद करते हैं।
भारत में हमारे लिए यह और भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि हमारे यहां (143 करोड़ की कुल जनसंख्या में से) 60 वर्ष से अधिक आयु के लोगों की कुल संख्या लगभग 10 करोड़ है। healthline.com का सुझाव है कि (जंतु और वनस्पति) प्रोटीन, पौष्टिक अनाज (गेहूं, चावल, रागी, बाजरा), तेल, फल और सॉफ्ट ड्रिंक्स स्वस्थ बुढ़ाने में मदद करते हैं। ये मांसाहारियों और शाकाहारियों दोनों के लिए आसानी से उपलब्ध हैं।
व्यायाम से रोकथाम
स्टैनफर्ड युनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने पाया है कि घायल या बूढ़े चूहों की शक्ति बढ़ाने वाली एक औषधि तंत्रिकाओं और मांसपेशीय तंतुओं के बीच कड़ियों को बहाल करती है। यह औषधि उम्र बढ़ने से जुड़े जेरोज़ाइम, 15-PGDH, की गतिविधि को अवरुद्ध करती है। यह जेरोज़ाइम उम्र बढ़ने के साथ और न्यूरोमस्कुलर रोग के चलते मांसपेशियों में कुदरती रूप से बढ़ता है। लेकिन यह औषधि देने पर उम्रदराज़ चूहों की शारीरिक गतिविधि फिर से बढ़ गई थी।
मिनेसोटा का मेयो क्लीनिक नियमित शारीरिक गतिविधि के सात लाभ बताता है। ये लाभ हैं: वज़न पर नियंत्रण; स्ट्रोक, उच्च रक्तचाप, टाइप-2 डायबिटीज़ और कैंसर जैसी स्थितियों और बीमारियों से लड़ता है; मूड में सुधार; ऊर्जा देता है; अच्छी नींद लाता है; यौन जीवन बेहतर करता है; और कहना न होगा कि यह मज़ेदार और सामाजिक हो सकता है। जैसे दूसरों से मेल-जोल होना, घूमना या खेलना। हम सभी, विशेष रूप से वरिष्ठ नागरिकों को, व्यायाम से बहुत लाभ होगा, और इस प्रकार जेरोज़ाइम बाधित होगा।
संगीत भी जेरोज़ाइम को नियंत्रित कर सकता है और यह डिमेंशिया (स्मृतिभ्रंश) का इलाज भी हो सकता है! 2020 में, स्पेन के टोलेडो के एक समूह ने एक शोध पत्र प्रकाशित किया था, जिसका निष्कर्ष था – संगीत डिमेंशिया के उपचार का एक सशक्त तरीका हो सकता है। और हाल ही में, स्पेन के ही एक अन्य समूह द्वारा प्रकाशित पेपर का शीर्षक है: संगीत बढ़ती उम्र से सम्बंधित संज्ञानात्मक विकारों में परिवर्तित जीन अभिव्यक्ति की भरपाई कर देता है (Music compensates for altered gene expression in age-related cognitive disorders)। यह पेपर बताता है कि संगीत हमारे जेरोज़ाइम को नियंत्रित कर सकता है। तो दोस्तों! गाना गाएं या गा नहीं सकते तो कम से कम सुनें ज़रूर! (स्रोत फीचर्स)
नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
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