लाखों लोग या तो वज़न घटाने या फिर धार्मिक आस्था के चलते नियमित उपवास करते हैं, और व्रत-उपवास करने से शरीर को होने वाले फायदे भी गिनाते हैं। लेकिन उपवास करने के कारण शरीर पर पड़ने वाले प्रभावों को वास्तव में बहुत कम जाना-समझा गया है। एक ताज़ा अध्ययन में शोधकर्ताओं ने लंबे उपवास के कारण विभिन्न अंगों में होने वाले आणविक परिवर्तनों पर बारीकी से निगरानी रखी, और पाया कि उपवास से स्वास्थ्य पर सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह के प्रभाव पड़ते हैं।
अध्ययन में महज़ 12 प्रतिभागियों को सात दिन तक उपवास करने कहा गया – इस दौरान उन्हें सिर्फ पानी पीने की अनुमति थी, किसी भी तरह के भोजन की नहीं। रोज़ाना उनके शरीर के लगभग 3000 विभिन्न रक्त प्रोटीनों में हो रहे परिवर्तनों को मापा गया। यह पहली बार है कि उपवास के दौरान पूरे शरीर में आणविक स्तर पर निगरानी रखी गई है।
नेचर मेटाबोलिज़्म में प्रकाशित नतीजों के अनुसार उपवास के पहले कुछ दिनों में ही शरीर ने ऊर्जा हासिल करने का अपना स्रोत बदल लिया था, और ग्लूकोज़ की बजाय संग्रहित वसा का उपयोग शुरू कर दिया था। नतीजतन, पूरे सप्ताह में प्रतिभागियों का वज़न औसतन 5.7 किलोग्राम कम हुआ, और दोबारा भोजन शुरू करने के बाद भी उनका वज़न कम ही रहा।
अध्ययन में उपवास के प्रथम दो दिनों में रक्त प्रोटीन के स्तर में कोई बड़ा फर्क नहीं दिखा। लेकिन तीसरे दिन से सैकड़ों प्रोटीन के स्तर में नाटकीय रूप से घट-बढ़ हुई।
इसके बाद शोधकर्ताओं ने पूर्व में हुए उन अध्ययनों को खंगाला जिनमें विभिन्न प्रोटीनों के घटते-बढ़ते स्तर और विभिन्न बीमारियों का सम्बंध देखा गया था। इस तरह शोधकर्ता उपवास के दौरान 212 प्लाज़्मा अणुओं में हुए बदलावों के स्वास्थ्य पर प्रभाव का आकलन कर पाए।
मसलन, उन्होंने पाया कि तीन दिनों से अधिक समय तक भोजन न करने के कारण प्लाज़्मा में स्विच-एसोसिएटेड प्रोटीन-70 का स्तर घट गया था। ज्ञात हो कि इसका स्तर कम हो तो रुमेटिक ऑर्थराइटिस का जोखिम कम होता है। संभवत: इसी कारण रुमेटिक ऑर्थराइटिस के रोगियों को लंबा उपवास करने से दर्द में राहत मिलती होगी। इसके अलावा, हाइपॉक्सिया अप-रेगुलेटेड-1 नामक प्रोटीन, जो हृदय धमनी रोग से जुड़ा है, के स्तर में कमी देखी गई। इससे लगता है कि लंबे समय तक ना खाना हृदय को तंदुरुस्त रखने में मददगार हो सकता है।
लेकिन अध्ययन में उपवास के स्वास्थ्य पर कई नकारात्मक परिणाम भी दिखे। जैसे, उन्होंने थक्का जमाने वाले कारक-XI में वृद्धि दिखी, जिसके चलते थ्रम्बोसिस होने का खतरा बढ़ सकता है।
कुल मिलाकर लगता है कि उपवास करने के फायदे भी हैं और नुकसान भी। बिना सोचे-समझे, या सिर्फ फायदों के बारे में सोचकर उपवास करना आपके स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकता है। इसलिए अपने शरीर और उसकी क्षमताओं से अवगत रहें और उस आधार पर तय करें कि व्रत करें या नहीं। (स्रोत फीचर्स)
नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
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