हाल ही में, कैलिफोर्निया की चिकित्सक डॉ. नोहा एबोलेटा के नेतृत्व में एक समूह ने पल्स ऑक्सीमीटर की बिक्री को चुनौती दी है। पाया गया है कि ये उपकरण अश्वेत त्वचा वाले व्यक्तियों में रक्त-ऑक्सीजन का स्तर गलत बताते हैं। डॉ. एबोलेटा के नेतृत्व में रूट्स कम्यूनिटी हेल्थ सेंटर द्वारा ऑक्सीमीटर की बिक्री को तब तक रोकने की मांग की जा रही है जब तक कि इन उपकरणों में आवश्यक सुधार नहीं कर लिए जाते या उनकी सीमाओं के बारे में चेतावनी लेबल नहीं लगा दिया जाता।
गौरतलब है कि पल्स ऑक्सीमीटर आम तौर पर उंगली के सिरे पर लगाए जाते हैं और ये त्वचा के माध्यम से अंदर प्रकाश चमकाकर रक्त में ऑक्सीजन के स्तर का आकलन करते हैं। लेकिन ये आकलन त्वचा में उपस्थित मेलेनिन नामक रंजक से प्रभावित होते हैं जो अश्वेत त्वचा में अधिक होता है।
दशकों चले अध्ययनों में सामने आया है कि ये उपकरण अश्वेत त्वचा वाले व्यक्तियों में ऑक्सीजन का स्तर अधिक बताते हैं, जो स्वास्थ्य सम्बंधी निर्णयों को प्रभावित करता है। इस मुद्दे को कोविड-19 महामारी के दौरान अधिक प्रमुखता मिली जब सटीक ऑक्सीजन स्तर का आकलन करना अति आवश्यक था। चूंकि यह ऑक्सीमीटर अश्वेत व्यक्तियों के खून में वास्तविकता से अधिक ऑक्सीजन बताता था, इसलिए उन्हें सही चिकित्सा नहीं मिल पाती थी या देर से मिलती थी।
लेकिन चिकित्सा उपकरण उद्योग और अमेरिकी सरकार इस समस्या को लेकर काफी धीमी गति से काम कर रही है। इन उपकरणों को मुख्य रूप से श्वेत आबादी के हिसाब से तैयार किया गया है व परखा गया है। यह अश्वेत लोगों के निदान में अशुद्धियों का प्रमुख कारण है।
कैलिफोर्निया काउंटी अदालत में दायर किया गया मुकदमा काफी महत्वपूर्ण है। यह सभी के लिए इस समस्या से निपटने का एक अनूठा अवसर प्रदान करता है और इस मुद्दे को प्रमुखता से सार्वजनिक मंच पर रखता है।
इस संदर्भ में मेडट्रॉनिक और मासिमो जैसे दिग्गज चिकित्सा-उपकरण निर्माता तो खाद्य व औषधि प्रशासन (एफडीए) के दिशानिर्देशों के पालन का हवाला देते हुए अपनी प्रौद्योगिकियों का बचाव कर रहे हैं। इस मामले में आलोचकों का तर्क है कि इन दावों का समर्थन करने वाले अध्ययन अक्सर प्रयोगशाला में किए गए हैं, जबकि वास्तविक दुनिया के परिदृश्य विभिन्न चुनौतियां पेश करते हैं।
इस मामले में महत्वपूर्ण मोड़ तब आया जब 2020 के एक अध्ययन में कोविड-19 से ग्रसित लोगों में पल्स ऑक्सीमीटर की रीडिंग में महत्वपूर्ण विसंगतियां सामने आईं। इन विसंगतियों में विशेष रूप से अश्वेत रोगी सबसे अधिक प्रभावित पाए गए। नतीजतन सीनेटरों से कार्रवाई की मांग के बाद 2022 में एफडीए की बैठक हुई जिसमें इन उपकरणों की सीमाओं को स्वीकार किया गया। फरवरी में एक और बैठक की संभावना है। (स्रोत फीचर्स)
नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
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