पिछला वर्ष विज्ञान के क्षेत्र में असाधारण उपलब्धियों वाला रहा। विज्ञान सम्बंधी कई आश्चर्यजनक सफलताएं हासिल हुईं। पेश है पिछले वर्ष हुई कुछ अहम वैज्ञानिक खोजों की झलक।
गुरुत्व तरंगें
पिछले वर्ष वैज्ञानिकों ने पहली बार आकाशगंगा में निम्न आवृत्ति वाली गुरुत्वाकर्षण तरंगों का पता लगाया। ऐसा माना जाता है कि ये ब्रह्मांडीय हलचल अरबों प्रकाश-वर्ष दूर अतिविशाल ब्लैक होल की अंतर्क्रिया और विलय से उत्पन्न हुई हैं, जिन्हें पल्सर पिंडों से निकलने वाले रेडियो संकेतों के सटीक माप के माध्यम से पहचाना गया था। इस खोज से प्रारंभिक ब्रह्मांड में अनुमान से अधिक ब्लैक होल की उपस्थिति के संकेत मिलते हैं। गुरुत्वाकर्षण तरंगों का अध्ययन ब्रह्मांड की उत्पत्ति से सम्बंधित अधिक जानकारी देने के अलावा ब्रहमांड को शक्ति देने वाले अदृश्य पदार्थ और घटनाओं को समझने में मदद कर सकता है।
विचारों को पढ़ना
टेक्सास विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने एक ऐसी एआई-आधारित प्रणाली प्रस्तुत की है जो मस्तिष्क की गतिविधियों को इबारत में बदल सकती है और इसके लिए दिमाग में कोई यंत्र वगैरह भी नहीं घुसेड़ना पड़ते। एमआरआई स्कैन का उपयोग करते हुए यह नवाचार पॉडकास्ट या छवियों के प्रति मस्तिष्क की प्रतिक्रियाओं को पकड़ता है। शब्द-दर-शब्द प्रतिलेखन की बजाय, यह मस्तिष्क गतिविधि का पैटर्न बनाता है और विचारों को उन गतिविधियों के साथ जोड़ने के लिए एक शब्दकोश तैयार करता है। वैसे इस अध्ययन ने मानसिक गोपनीयता के लिहाज़ से नैतिक चर्चा को बढ़ावा दिया है लेकिन इन चिंताओं के बावजूद, यह आशाजनक संभावनाएं प्रदान करता है, विशेष रूप से संचार विकारों से जूझ रहे परिवारों को आशा की नई किरण देता है।
प्राचीन व्हेल: विशालतम जंतु
प्राचीन व्हेल जीवाश्मों के एक ताज़ा विश्लेषण से पता चला है कि 3.7 करोड़ वर्ष पहले पेरू के तट पर विचरने वाला जंतु पेरुसेटस कोलोसस पृथ्वी के इतिहास का सबसे बड़ा जीव रहा होगा। अनुमान है कि इसका वज़न 300 टन से अधिक और लंबाई लगभग 60 फीट रही होगी। यह वर्तमान ब्लू व्हेल से भी विशाल है क्योंकि वर्तमान ब्लू व्हेल की लंबाई तो लगभग 100 फीट है लेकिन वज़न मात्र 200 टन है।
टी-रेक्स की दिलचस्प विशेषता
पिछले वर्ष जीवाश्म विज्ञानियों ने टायरेनोसौरस रेक्स और इसी तरह के मांसाहारी डायनासौरों की एक दिलचस्प विशेषता को उजागर किया है। उनका दावा है कि टी-रेक्स के होंठ होते थे जो उनके पैने दांतों को ढंके रहते थे। यह निष्कर्ष डायनासौर की शारीरिक रचना के साथ-साथ पक्षियों और सरीसृपों जैसे आधुनिक प्राणियों के तुलनात्मक अध्ययन से निकला है। इन डायनासौरों के दांतों को ढंकने वाले नरम ऊतक उनके मुंह की सुरक्षा करते थे तथा शिकार और हमला करने के लिए दांतों की सही स्थिति सुनिश्चित करते थे।
लाखों वर्ष पुराने पाषाण औज़ार
दक्षिण-पश्चिमी केन्या में पुरातत्वविदों ने प्राचीन होमिनिन पैरेन्थ्रोपस के जीवाश्मों के साथ पत्थर के औज़ार भी खोजे हैं जो संभवत: 30 लाख वर्ष पुराने हैं। इस खोज से लगता है कि गैर-मानव होमिनिन ने भी पाषाण प्रौद्योगिकियों का विकास किया था। पूर्व में माना जाता था कि पैरेन्थ्रोपस के मज़बूत जबड़ों के कारण ऐसे औज़ार उनके आहार के लिए अनावश्यक रहे होंगे। इस नई खोज से मनुष्यों के प्राचीन रिश्तेदारों के बीच औज़ार अनुमान से भी पहले उभरने के संकेत मिलते हैं।
जटिल जीवन की उत्पत्ति
पिछले वर्ष ऑस्ट्रेलिया में प्राप्त प्राचीन चट्टानों के रासायनिक साक्ष्य 1.6 अरब से 80 करोड़ वर्ष पूर्व जटिल कोशिकाओं की उपस्थिति दर्शाते हैं। यह खोज जटिल जीवन रूपों के जल्दी उद्भव की धारणा से मेल खाती है। इस खोज के लिए शोधकर्ताओं ने यूकेरियोटिक (केंद्रक युक्त) कोशिका में झिल्ली बनाने के लिए ज़रूरी अणुओं का सहारा लिया और 1.6 अरब वर्ष पुराने रासायनिक चिंहों का पता लगाया, जो संभावित रूप से उस समय यूकेरियोट्स के अस्तित्व का संकेत देते हैं। यह खोज रासायनिक साक्ष्यों का तालमेल आनुवंशिक और सूक्ष्म जीवाश्म साक्ष्यों के साथ बनाती है।
बाह्य-ग्रहों की संख्या
पिछले वर्ष अगस्त में वैज्ञानिकों ने छह नए बाह्य-ग्रहों की खोज की है। अब हमारे सौर मंडल के बाहर ज्ञात ग्रहों की संख्या 5500 से अधिक हो गई। यह ट्रांज़िटिंग एक्सोप्लेनेट सर्वे सैटेलाइड (TESS) और जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप से संभव हो पाया है जो आकाशगंगा में विविध की खोज करती रहती हैं। इसमें एक मुख्य खोज के2-18बी नामक बाह्य-उपग्रह की है जो संभवत: घने वायुमंडल के नीचे एक विशाल महासागर को छिपाए है और आकार में पृथ्वी और नेपच्यून के बीच है।
चिम्पैंज़ी में रजोनिवृत्ति
काफी समय से जीवविज्ञानी यह समझने का प्रयास करते आए हैं कि क्यों कुछ जंतु मादाएं प्रजनन काल समाप्त होने (रजोनिवृत्ति) के बाद भी जीवित रहती हैं। यह स्थिति मनुष्यों, व्हेल और ओर्का जैसी मुट्ठी भर प्रजातियों में देखी गई है। युगांडा के किबले नेशनल पार्क में चिम्पैंज़ी के मूत्र में हार्मोन का विश्लेषण करने से पता चला है कि चिम्पैंज़ी भी रजोनिवृत्ति से गुज़रते हैं और 50 वर्ष की आयु के आसपास की मादाओं में प्रजनन रुक जाता है लेकिन वे जीवित रहती हैं। हालांकि, कुछ व्हेल प्रजातियों की बड़ी मादाएं संतान की देखभाल में सहायता करती हैं लेकिन ऐसा व्यवहार चिम्पैंज़ी में नहीं देखा जाता है। एक अनुमान है कि रजोनिवृत्ति प्राइमेट्स के बीच जंतुओं में प्रजनन प्रतिस्पर्धा को कम कर सकती है। वैज्ञानिकों का लक्ष्य आगे इस पर और अधिक अध्ययन करना है।
मगरमच्छों में वर्जिन जन्म
पिछले वर्ष कोस्टा रिका के क्वीन्स नेशनल मरीन पार्क में एक मादा मगरमच्छ (Crocodylus acutus) में पार्थेनोजेनेसिस (अलैंगिक प्रजनन का एक रूप जिसमें नर के बिना संतान पैदा होती है) देखा गया है। मगरमच्छों में यह दुर्लभ है लेकिन जनसंख्या तनाव के तहत अन्य प्रजातियों में देखा गया है। आनुवंशिक विश्लेषण से पता चला कि भ्रूण सचमुच मां का आंशिक क्लोन था। बंदी अवस्था में ही सही, लेकिन यह खोज जंगली अमेरिकी मगरमच्छों के संरक्षण की दृष्टि से महत्व रखती है। गौरतलब है कि जंगली अमेरिकी मगरमच्छों को विलुप्तप्राय जानवरों की श्रेणी में रखा गया है।
सटीक चिकित्सा के लिए जीनोम
अमेरिकी राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान ने पुराने मानव जीनोम की सीमाओं को संबोधित करते हुए एक नया पैन-जीनोम प्रस्तुत किया है। यह नया मॉडल जीनोम विविध जातीय और नस्लीय पृष्ठभूमियों को शामिल करता है और माना जा रहा है कि इससे व्यक्तिगत चिकित्सा को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी। वर्तमान में 47 व्यक्तियों के जीनोम अनुक्रम शामिल किए गए हैं, लेकिन लक्ष्य अंतत: 700 लोगों को शामिल करना है, जो पहले मुख्य रूप से युरोप-केंद्रित था। जीनोम समानताओं के बावजूद, व्यक्तिगत भिन्नताओं का विश्लेषण रोग के प्रति संवेदनशीलता को समझने में महत्वपूर्ण है, जो उचित चिकित्सा हस्तक्षेपों के लिए महत्वपूर्ण होगा।
शनि के चंद्रमा पर जीवन
शनि ग्रह का छठा सबसे बड़ा चंद्रमा एन्सेलाडस जीवन की संभावना के साक्ष्य दर्शाता है। हालिया विश्लेषण से जीवन के लिए आवश्यक कार्बन, हाइड्रोजन, नाइट्रोजन, ऑक्सीजन व सल्फर के साथ एक अत्यंत महत्वपूर्ण तत्व फॉस्फोरस की उपस्थिति का पता चला है। कैसिनी अंतरिक्ष यान के कॉस्मिक डस्ट एनालाइज़र द्वारा बर्फीले कणों में पाए गए। ये तत्व एन्सेलाडस को पृथ्वी से परे जीवन के लिए एक आशाजनक स्थल के रूप में बताते हैं। ऐसा अनुमान है कि उपग्रह की बर्फीली परत के नीचे स्थित महासागर जीवन-निर्वाह की स्थिति पैदा कर सकता है।(स्रोत फीचर्स)
नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
Photo Credit : https://i.natgeofe.com/n/6cbf6fab-7513-4362-9467-341d17356284/F0187830-Black_holes_merging_illustration_2x3.jpg