जलवायु परिवर्तन से निपटने की दिशा में मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलॉजी के वैज्ञानिकों की एक टीम ने कार्बन डाईऑक्साइड (CO2) को एक सौम्य, पावडरी पदार्थ में परिवर्तित करने में सफलता प्राप्त की है। माना जा रहा है कि इस नई खोज से पृथ्वी को कार्बन डाईऑक्साइड के प्रभावों से बचाने और जलवायु परिवर्तन के प्रबंधन में क्रांतिकारी बदलाव लाया जा सकता है।
इस प्रक्रिया में सबसे पहले कार्बन डाईऑक्साइड को एक उत्प्रेरक के संपर्क में लाया जाता है और फिर विद्युतअपघटन के माध्यम से इस गैस को सोडियम फॉर्मेट में परिवर्तित किया जाता है। यह एक सुरक्षित, पावडरनुमा ईंधन है जिसका कई दशकों तक भंडारण किया जा सकता है और इसे स्वच्छ बिजली में परिवर्तित करना भी संभव लगता है।
यह पावडरी उत्पाद सोडियम फॉर्मेट नामक एक लवण जैसा ही है जिसका उपयोग सड़कों और हवाई अड्डों पर बर्फ पिघलाने के लिए होता रहा है। इस पावडर ने असाधारण स्थिरता का प्रदर्शन किया और क्षरण हुए बिना इसे 2000 घंटे तक भंडारित किया जा सका। इसके अलावा, एमआईटी टीम ने इसका उपयोग करके रेफ्रिजरेटर बराबर एक ईंधन सेल का निर्माण किया, जिसने बिना किसी उत्सर्जन के घरेलू स्तर पर बिजली उत्पन्न करने की क्षमता का प्रदर्शन किया।
इस नवाचार की प्रमुख विशेषता अन्य वैकल्पिक ईंधनों की सीमाओं से परे है। विषाक्त मेथनॉल या रिसाव की समस्या से ग्रस्त हाइड्रोजन के विपरीत कार्बन डाईऑक्साइड से उत्पन्न ईंधन दीर्घकालिक ऊर्जा भंडारण का एक सुरक्षित और अधिक कुशल समाधान है।
सेल रिपोर्ट्स फिज़िकल साइंसेज़ में प्रकाशित यह नवाचार काफी आशाजनक प्रतीत होता है लेकिन इसका व्यावसायीकरण चुनौतियों से भरा है। वैज्ञानिकों को इस अभूतपूर्व समाधान को आगे बढ़ाने के लिए विश्वविद्यालय की सीमा से परे संसाधनों और बाहरी समर्थन की आवश्यकता है।
उम्मीद है कि जैसे-जैसे व्यावसायिक संस्थाओं के साथ बातचीत गति पकड़ेगी, वैसे-वैसे यह खोज हमारे ऊर्जा परिदृश्य को भी व्यापक रूप से बदल देगी। यह वैश्विक ऊर्जा मांगों को पूरा करते हुए जलवायु परिवर्तन को थामने का एक शक्तिशाली समाधान साबित हो सकता है। (स्रोत फीचर्स)
नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
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