30 अप्रैल 2020 के दिन नासा ने तीन निजी कंपनियों को 2024 का चंद्र अभियान पूरा करने के लिए 96.7 करोड़ डॉलर का एक संयुक्त ठेका दिया था। नासा के प्रशासक जिम ब्राइंडस्टोन ने दावा किया था कि यह वह अंतिम मोहरा है जिसकी ज़रूरत अमेरिका को चंद्रमा तक पहुंचने के लिए थी। इस बात को मीडिया में तो खूब प्रसारित किया गया था लेकिन इस बात पर बहुत कम चर्चा हुई थी कि अंतरिक्ष अभियानों को लेकर जो मौजूदा कानून/संधियां हैं वे निजी कंपनियों के उपक्रमों पर किस हद तक लागू होते हैं। दरअसल, कॉर्पोरेट जगत द्वारा धरती से बाहर कदम जमाने के चलते आशाओं और चिंताओं दोनों को हवा मिली है। चिंताएं और आशाएं अंतरिक्ष में बढ़ते पूंजीगत निवेश के संभावित लाभों को लेकर हैं।
1967 में राष्ट्र संघ बाह्य अंतरिक्ष संधि (OST) मंज़ूर की गई थी। यह यूएस के तथाकथित ‘नव-अंतरिक्ष’ किरदारों के उदय के संदर्भ में विश्लेषण का एक ढांचा माना गया था। इस लेख का तर्क है कि बाह्य अंतरिक्ष में निजी कंपनियों की मौजूदगी को लेकर कई महत्वपूर्ण कानूनी अस्पष्टताएं हैं। इन खामियों की वजह से ही यूएस सरकार को यह गुंजाइश मिली है कि वह OST के अंतर्गत अपने दायित्वों को दरकिनार कर सके और साथ ही संरचना को परिवर्तित करके अंतरिक्ष की ‘वैश्विक साझा संसाधन’ की धारणा को ठेस पहुंचा सके। OST के अंदर अंतरिक्ष के संसाधनों को लेकर निजी संपदा अधिकारों को लेकर विशिष्ट प्रावधान न होने के कारण यह जोखिम पैदा हो रहा है कि धरती के संसाधनों में जो गैर-बराबरी है वह, और अंतरिक्ष में यूएस का दबदबा दोनों अंतरिक्ष के संसाधनों पर भी लागू हो जाएंगे। इस तरह से, अंतरिक्ष के लाभ एक व्यापक विश्व समुदाय की बजाय मुट्ठी भर धनवान अमेरिकी निवेशकों के हाथों में सिमट जाएंगे।
इसके अलावा, OST में अंतरिक्ष निरीक्षण के नियमन को लेकर जो कमज़ोर प्रावधान हैं, उनके चलते यूएस उपग्रहों के नेटवर्क (global panopticon) को बढ़ावा मिलेगा। दोहरे उपयोग वाली टेक्नॉलॉजी के उभार की वजह से सैन्य और नागरिक अवलोकनों के बीच का अंतर धुंधला पड़ रहा है। इसके चलते यूएस द्वारा अंतरिक्ष-आधारित डैटा संग्रह की प्रकृति को लेकर गंभीर नैतिक चिंताएं पैदा हुई हैं।
और, अंतिम बात कि निजी उपग्रहों की बढ़ती संख्या इस बात की संभावना बढ़ा रही है कि अंतरिक्ष में फैले मलबे के बीच भयानक टक्करें होंगी और भू-राजनैतिक तनाव बढ़ेंगे। इस तरह के विकास की वजह से अंतरिक्ष में ऐसे अपमिश्रण की आशंका भी कई गुना बढ़ गई है, जिसकी कल्पना OST में नहीं की गई थी।
राष्ट्र संघ बाह्य अंतरिक्ष संधि और नव–अंतरिक्ष किरदार
हालांकि OST 1967 में अस्तित्व में आई थी, लेकिन संभवत: आज भी यही एक प्रासंगिक उपकरण है जिसके तहत बाह्य अंतरिक्ष में राज्य तथा गैर-राज्य गतिविधियों का विश्लेषण किया जा सके। शीत युद्ध के चरमोत्कर्ष पर अंतरिक्ष के सैन्यकरण तथा राष्ट्रों द्वारा आकाशीय पिंडों पर कब्ज़े, दोनों की रोकथाम के संदर्भ में OST का प्रमुख स्थान है। 100 से ज़्यादा राष्ट्रों ने इसका अनुमोदन किया है – जिनमें यूएस, रूस व चीन जैसे प्रमुख अंतरिक्ष यात्री राष्ट्र शामिल हैं – और इस प्रकार से यह संधि एक अधिकारिक दस्तावेज़ के तौर पर व्यापक रूप से मान्य है और यही बाद में बनने वाली अन्य अंतरिक्ष संधियों का आधार रही है। यह संधि बाद के दस्तावेज़ों से इस मायने में भिन्न है कि कई देश इन पर हस्ताक्षर करने से कतराते रहे हैं। उदाहरण के तौर पर 1972 की चंद्रमा संधि जिसका उद्देश्य चंद्र अभियानों और विकास में सहयोग को बढ़ावा देना है।
बाह्य अंतरिक्ष के क्षेत्र में शामिल हो रहे अमेरिकी किरदारों में बहुत विविधता आई है। हालांकि ये 1950 के दशक से ही नासा के साथ काम करते रहे हैं, लेकिन तब व्यावसायिक उद्यम मूलत: रॉकेटों तथा अंतरिक्ष गतिविधियों से सम्बंधित अन्य पुर्ज़ों का उत्पादन किया करते थे। लेकिन, अपोलो 11 के चांद पर उतरने के बाद से नासा के बजट में कुल मिलाकर तेज़ गिरावट देखी गई और इसके साथ ही सरकारी कार्यों के निजीकरण की प्रवृत्ति भी बढ़ी। इसकी वजह से निजी अंतरिक्ष कंपनियों की क्षमताएं और नज़रिया दोनों बदले हैं।
एक ओर अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में विश्व स्तर पर विस्तार हो रहा है, वहीं 2012 से 2013 के दरम्यान सरकारों का खर्च 1.3 प्रतिशत कम हुआ है और व्यावसायिक क्षेत्र में लगभग 7 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। निजी अंतरिक्ष क्षेत्र में विस्तार का प्रमुख ज़ोर तथाकथित ‘नव-अंतरिक्ष’ किरदारों से आया है। ये मूलत: यूएस स्थित उद्यमी हैं जो 30 से अधिक वर्षों से अंतरिक्ष को व्यावसायिक क्षेत्र बनाने का प्रयास करते आए हैं। अर्थव्यवस्था के उदारवादी नज़रिए से चालित और अंतरिक्ष खोजबीन में नासा की ऐतिहासिक पकड़ के आलोचक ये किरदार स्वयं को ‘अंतिम मोर्चे’ के अग्रणि किरदार कहते आए हैं जो निजी वित्तपोषित अंतरिक्ष अभियानों के ज़रिए मानवता को विलुप्ति से बचाएंगे।
पृथ्वी के नज़दीकी पिंड और संसाधन का खनन : अंतरिक्ष में यूएस की निजी संपत्ति
अपोलो अभियानों की मदद से प्राप्त चंद्रमा की चट्टानों के नमूनों में हीलियम-3 जैसे दुर्लभ तत्व हैं जो पृथ्वी पर पारंपरिक नाभिकीय परमाणु बिजली घरों की अपेक्षा ज़्यादा बिजली पैदा कर सकते हैं और इनमें कचरा भी कम पैदा होगा। ऐसे ही संसाधनों ने धरती से परे संसाधनों के खनन के लिए प्रलोभन-प्रोत्साहन प्रदान किया है। इस विचार को और बल मिला जब यह पता चला कि पृथ्वी के नज़दीकी पिंडों (जैसे तथाकथित एंटेरॉस क्षुद्र ग्रह) में शायद पांच खरब डॉलर मूल्य का मैग्नीशियम सिलिकेट और एल्युमिनियम मौजूद है।
अंतरिक्ष-यात्री राष्ट्रों द्वारा अंतरिक्ष के संसाधनों पर कब्ज़ा करने के ऐसे संभावित प्रयासों के मद्देनज़र राष्ट्र संघ OST के अनुच्छेद II में घोषित किया गया था कि: “बाह्य अंतरिक्ष पर राष्ट्रीय संप्रभुता के आधार पर, कब्ज़ा करके, उसका उपयोग करके या अन्य किसी तरीके से, अधिग्रहित करने की अनुमति नहीं है।” राष्ट्रीय संप्रभुता के दावों पर ज़ोर देने का मुख्य सरोकार उस समय जारी शीत युद्ध के माहौल से था, जब अंतरिक्ष गतिविधियां पूरी तरह सरकारी संस्थाओं का एकाधिकार थीं और इन्हें सैन्य वर्चस्व या राष्ट्रीय प्रतिष्ठा के उद्देश्य से शुरू किया जाता था।
अलबत्ता, 1980 के दशक से अंतरिक्ष उद्योग के निजीकरण का अर्थ हुआ है कि उक्त कानून में अंतरिक्ष में संसाधनों के निजी दोहन के नियमन को लेकर कई कानूनी अस्पष्टताएं हैं और व्याख्या की गुंजाइश है। जैसा कि एम. शेयर ने दर्शाया है, अनुच्छेद II इस समस्या को संबोधित करने में असफल रहता है कि अंतरिक्ष का दोहन वित्तीय लाभ के लिए करने पर या निजी उद्योग द्वारा उस पर अपना अधिकार जताने पर क्या किया जाएगा।
बहरहाल, राष्ट्र संघ संधि का अनुच्छेद VI कहता है: “राष्ट्रीय अंतरिक्ष गतिविधियों के लिए राज्य ज़िम्मेदार होगा, चाहे वे गतिविधियां सरकारी एजेंसी द्वारा की जाएं या गैर-सरकारी एजंसियों द्वारा।” कई विशेषज्ञों का मानना है कि यह अनुच्छेद निजी अंतरिक्ष कॉर्पोरेशन्स की गतिविधियों पर काफी अंकुश लगा सकता है, क्योंकि इसके अंतर्गत निजी एजेंसियों की गतिविधियों का दायित्व भी राज्य पर होगा। अलबत्ता, यूएस सरकार ने हाल ही में एक कानून लागू किया है जिसमें इस अनुच्छेद का फायदा उठाया गया है ताकि अपने प्रतिबंधों को बायपास कर सके और अंतरिक्ष में यूएस के आर्थिक दबदबे को मज़बूत कर सके। 2015 के यूएस अंतरिक्ष कानून के पारित होने से “यूएस के नागरिकों को अंतरिक्ष से प्राप्त हुए संसाधनों को अपने पास रखने, उनके स्वामित्व, परिवहन और बिक्री” का अधिकार मिल गया है। अर्थात इसमें सावधानीपूर्वक राष्ट्रीय संप्रभुता के दावे को छोड़ दिया गया है।
तो, चाहे वह कोई अमेरिकी निजी कंपनी हो या सार्वजनिक उद्यम हो, यूएस अपने भू-राजनैतिक हितों की पूर्ति कर रहा है जिसके लिए वह अमेरिकी लाभ के लिए अंतरिक्ष के संसाधनों को समेट रहा है। इस तरह से राष्ट्र की सॉफ्ट शक्ति में चीन जैसे अंतरिक्ष-यात्री देशों की कीमत पर इजाफा हो रहा है।
दरअसल, नव-अंतरिक्ष किरदारों ने विधेयक के पारित होने से पहले इन सामरिक सरोकारों को चतुराई से उछाला था। जैसे अरबपति अंतरिक्ष उद्यमी रॉबर्ट बिजलो ने दावा किया था कि सबसे बड़ा खतरा चांद पर निजी उद्यमियों से नहीं है बल्कि इस बात से है कि “अमेरिका सोता रहे, कुछ न करे जबकि चीन आगे आए…सर्वेक्षण करे और [चांद पर] दावा ठोंक दे।”
यूएस सरकार द्वारा निजी कंपनियों को समर्थन से संभावना है कि संपदा में पृथ्वी-आधारित गैर-बराबरी को अंतरिक्ष में मज़बूत किया जाएगा। कई नव-अंतरिक्ष किरदार अंतरिक्ष में अपनी दीर्घावधि महत्वाकांक्षाओं को मानवीय सुर में ढालते हैं। जैसे, वे यह वादा करेंगे कि वे मानव जाति को आसन्न विलुप्ति के खतरे से बचाने के लिए अंतरिक्ष में बस्तियां बनाएंगे। अलबत्ता, इस तरह का विमर्श शायद ही उनकी खालिस निजी प्रकृति को छुपा सके। वे यह कहते नज़र आते हैं कि पूरे मामले में आम नागरिकों का हित जुड़ा है लेकिन हकीकत यह है कि ये अंतरिक्ष अग्रदूत वास्तव में एक छोटे से ब्रह्मांडीय आभिजात्य समूह के सदस्य हैं – Amazon.com, Microsoft, Pay Pal के संस्थापक और तरह-तरह के गेम डिज़ाइनर तथा होटल व्यवसायी।
वास्तव में, निजी अंतरिक्ष उद्यमियों ने स्वयं सुझाव दिया है कि उन पर कोई दायित्व नहीं होना चाहिए कि वे अंतरिक्ष से प्राप्त खनिज संसाधनों को विश्व समुदाय के साथ साझा करें। यह बात नाथन इंग्राहम (टेकसाइट EngadAsteroid mining के वरिष्ठ संपादक) के भाषण में साफ प्रतिबिंबित हुई थी। उन्होंने कहा था कि क्षुद्रग्रह खनन कैसा होगा यह इस बात पर निर्भर है कि “अमेरिका अंतरिक्ष में कैसे आगे बढ़ता है और अगली वेगास स्ट्रिप कैसे विकसित करता है।” ऐसी टिप्पणियां उस चीज़ को रेखांकित करती हैं जिसे बीयरी ‘स्केलर पोलिटिक्स’ कहते हैं। जिस तरह से गैर-बराबर अंतर्राष्ट्रीय सम्बंधों ने बाह्य अंतरिक्ष के साथ हमारे सम्बंधों को ‘वैश्विक साझा संपदा’ की आड़ में छिपाया है, उसी तरह निजी कंपनियां, अपनी मानवीय लफ्फाज़ी के ज़रिए, अंतरिक्ष से संसाधनों का दोहन करके पार्थिव गैर-बराबरियों और सामाजिक सम्बंधों को अंतरिक्ष में पहुंचा रही हैं। नव-अंतरिक्ष किरदार अपने उद्यमों की रचना इस तरह से करते हैं कि वे आम हित लुभाएं, और इसके पर्दे में यह बात छिपा लें कि वास्तव में व्यावसायिक संसाधन दोहन मात्र उनके निजी हितधारकों (शेयरहोल्डर्स) के हितों को पूरा करता है। और यह काम दुनिया के बहुसंख्य लोगों की कीमत पर किया जाता है।
निजी अंतरिक्ष कंपनियां और कक्षीय निगरानी : दोहरे उपयोग वाली टेक्नॉलॉजी
2013 से शुरू होकर, यूएस नेशनल सिक्योरिटी एजेंसी के कर्मचारी एडवर्ड स्नोडेन के द्वारा लीक की गई गोपनीय सूचनाओं से पता चला था कि किस हद तक अमेरिकी गुप्तचर एजेंसियां निगरानी के व्यापक कार्यक्रमों में निजी एजेंसियों के साथ मिलकर काम कर रही हैं। इसे समाज के ‘सुरक्षाकरण’ (securitisation) का नाम दिया गया है और इसके तहत वर्तमान राज्य ‘राजनीति से निगरानी की ओर तथा शासन से (प्रजा के) प्रबंधन की ओर’ बढ़े हैं। और यह परिवर्तन नागरिकों की सहमति के बगैर किया गया है। हालांकि पारंपरिक रूप से ये क्रियाकलाप पृथ्वी-आधारित रहे हैं, लेकिन अंतरिक्ष ने उपग्रहों के ज़रिए निगरानी के रणनीतिक रूप से लाभदायक तरीके उपलब्ध करा दिए हैं।
यह सही है कि कई सारे व्यावसायिक उपग्रह पृथ्वी के पर्यावरण और इंटरनेट के लिहाज़ से महत्वपूर्ण क्षमताएं प्रदान करते हैं, लेकिन साथ ही ये राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से यूएस के दबदबे के लिए अत्यंत ज़रूरी हैं। इसीलिए उपग्रहों की प्रकृति को दोहरे उपयोग की प्रकृति कहा जाता है। इसमें नागरिक उपयोग और सैन्य उद्देश्य एक ही अवलोकन उपकरण में घुल-मिल जाते हैं और इन्हें ज़रूरत के अनुसार अलग-अलग कार्यों में तैनात किया जा सकता है। दोहरे उपयोग उपग्रह टेक्नॉलॉजी यूएस सेना के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण रही है और इसने जंग के मैदानों में विशेष लाभ दिया है। और इसमें से उपग्रह संचार की 80 प्रतिशत ज़रूरतों की पूर्ति व्यावसायिक उपग्रहों द्वारा की जाती है। इन नेटवर्क्स पर निर्भरता यूएस सैन्य दबदबे का एक प्रमुख घटक है जिसे ‘अंतरिक्ष नियंत्रण’ कहा जाता है। इसका एक लक्ष्य यह है कि व्यावसायिक उपग्रह डैटा के संचार को सुरक्षित रखा जाए जिसकी मदद से संवेदनशील सैन्य सूचनाएं उजागर न हों।
बाह्य अंतरिक्ष संधि में ऐसा कोई अनुच्छेद नहीं है जिसमें अंतरिक्ष में डैटा निगरानी के लिए नियम-कानून निर्धारित किए गए हों। फिर भी यह माना जा सकता है कि किसी भी रूप में बदनीयती या गैर-कानूनी ढंग से की गई निगरानी अनुच्छेद XI का उल्लंघन है। अनुच्छेद XI में राज्यों से अपेक्षित है कि वे “अपनी अंतरिक्ष गतिविधियों की प्रकृति, संचालन, भौगोलिक स्थिति और परिणामों के बारे में राष्ट्र संघ के महासचिव के अलावा आम लोगों तथा अंतर्राष्ट्रीय वैज्ञानिक समुदाय को यथासंभव अधिक से अधिक तथा व्यावहारिक रूप से संभव सूचना प्रदान करेंगे।” कानूनी विशेषज्ञों ने मत व्यक्त किया है कि यह अनुच्छेद काफी कमज़ोर है क्योंकि राज्य अपनी अंतरिक्ष गतिविधियों की सूचना यह कहकर रोक सकते हैं कि उसे प्रसारित करना संभव या व्यावहारिक नहीं है। राष्ट्र संघ के किसी स्पष्ट दिशानिर्देश की अनुपस्थिति का मतलब यह भी रहा है कि अमेरिकी उपग्रह कंपनियां बढ़ते क्रम में अपनी मंशाएं उजागर करने से इन्कार कर पा रही हैं। वे यह भी बताने से इन्कार कर पा रही हैं कि उनके ग्राहक कौन हैं। यूएस सरकार ऐसे ही गुप्त ग्राहकों में है।
1994 में यूएस राष्ट्रपति के निर्णय क्रमांक 23 ने यूएस सरकार को यह अधिकार प्रदान किया था कि वह कंपनियों द्वारा कतिपय उपग्रह चित्र बेचने पर प्रतिबंध लगा सके या ऐसी बिक्री को सीमित कर सके। इस प्रक्रिया को ‘शटर कंट्रोल’ कहा जाता है। यह इस मायने में विवादास्पद है कि यह यूएस कार्यपालिका को यह अधिकार देती है कि वह कतिपय परिस्थितियों में सार्वजनिक रूप से उपलब्ध जानकारी को सीमित कर सके, जो संभवत: प्रथम संशोधन में प्रदत्त अधिकारों का उल्लंघन है। 2001 के अफगानिस्तान युद्ध के दौरान यूएस सरकार ने जियोआई उपग्रह से प्राप्त उन समस्त तस्वीरों के अधिकार खरीद लिए थे जो युद्धस्थल के ऊपर से ली गई थीं। इसका कारण राष्ट्रीय सुरक्षा बताया गया था। अलबत्ता, मीडिया समूहों ने सरकार के इस सौदे पर आरोप लगाया था कि इसके ज़रिए उन्हें आम लोगों को महत्वपूर्ण मामलों के बारे में सूचना देने से रोका जा रहा है, जिनमें राष्ट्रीय सुरक्षा का कोई मसला है भी नहीं। उदाहरण के लिए इसमें ऐसी सूचनाएं शामिल थीं कि सिविल इमारतों को कितना नुकसान पहुंचा है या कितने नागरिक मारे गए हैं। लिहाज़ा, इन कदमों ने OST के अनुच्छेद XI का उल्लंघन किया था क्योंकि इनके ज़रिए महत्वपूर्ण सूचनाएं जनता से छिपाई गई थीं जबकि यह व्यावहारिक रूप से संभव था और बहाना राष्ट्रीय सुरक्षा का बनाया गया था। इसके अलावा, इन कदमों से यूएस सरकार उन इलाकों के कवरेज के साथ भी छेड़छाड़ कर सकी जो उसे अफगानिस्तान युद्ध में जनता के समर्थन की दृष्टि से महत्वपूर्ण लगे, और साथ ही अंतरिक्ष में अपना दबदबा भी बढ़ाया। कई मायनों में इसे ‘वैश्विक पैनॉप्टिकल’ खुफिया नेटवर्क को सुगम बनाने की एक रणनीति भी माना जा सकता है।
बाह्य अंतरिक्ष में सार्वजनिक-निजी संकर ढांचे को बढ़ावा देकर कंपनियों और सरकारों को यह अवसर मिल जाता है कि वे किसी भी स्थान पर विश्व भर के करोड़ों नागरिकों की निगरानी, उनके जाने बगैर, कर सकें और इसके ज़रिए विशाल मात्रा में आंकड़े जुटा सकें। यह जानी-मानी बात है कि जियोआई को उसके आईकोनोस चित्रों के लिए यूएस सरकार से लगभग 20 लाख डॉलर मिले थे। इससे व्यावासायिक उपग्रह उद्योग को प्रलोभन मिलेगा कि वह ऐसी जानकारियों को छिपाकर रखे जो दुनिया भर में नागरिकों के हित में काम आ सकती है। इस मायने में, उपग्रह तस्वीरें एक किस्म के कक्षीय डैटा अधिग्रहण का रूप ले सकती हैं जहां कंपनियां अतंरिक्ष में निगरानी करेंगी और अपनी सूचनाएं सबसे ऊंची बोली लगाने वाले को बेच देंगी। और इस प्रक्रिया में निजता वगैरह की कोई परवाह नहीं की जाएगी। कैम्ब्रिज एनालिटिका और फेसबुक से जुड़े मामलों में यह स्पष्ट रूप से सामने आ चुका है कि कंपनियां किस हद तक अपने उपभोक्ताओं की सूचनाओं का मौद्रिकरण कर रही हैं।
कॉर्पोरेट अंतरिक्ष मलबा, सुरक्षा सम्बंधी तनातनी और पर्यावरणीय संदूषण
अंतरिक्ष में विचरती मानव-निर्मित निरुद्देश्य वस्तुओं को अंतरिक्ष मलबा कहा जा सकता है। ये वस्तुएं पहले किए गए अंतरिक्ष अभियानों के निष्क्रिय टुकड़े हो सकते हैं, उपग्रहों के टुकड़े हो सकते हैं। पृथ्वी की कक्षा में लगभग 30,000 मलबा टुकड़े हैं। यह सही है कि अधिकांश मलबे का आकार सेंटीमीटर या मिलीमीटर में ही है लेकिन ये टुकड़े अक्सर बंदूक की गोली की रफ्तार से चलते हैं। अर्थात ऐसे दो टुकड़ों के बीच टक्कर काफी घातक हो सकती है – पर्यावरण, यांत्रिकी और वित्तीय दृष्टि से।
1978 में केसलर सिंड्रोम सिद्धांत का विकास हुआ था – यह सिद्धांत भविष्यवाणी करता है कि अंतरिक्ष मलबा इतना घना हो जाएगा कि एक टक्कर टक्करों के एक सिलसिले को जन्म दे देगी। ऐसा माना जाता है कि अंतरिक्ष मलबा तात्कालिक रूप से सैन्य-अंतरिक्ष गतिविधियों की अपेक्षा ज़्यादा बड़ा खतरा होगा। यह पता करना भी मुश्किल होगा कि कोई टक्कर मात्र एक हादसा थी या जानबूझकर करवाई गई थी। इस अनिश्चितता के चलते समस्या और विकराल हो जाती है क्योंकि कहते हैं कि ‘अंतरिक्ष की हर वस्तु शेष समस्त वस्तुओं के लिए खतरा है।’ इन्हीं बातों के चलते यूएस प्रशासन कक्षीय मलबे के संदर्भ में अधिक से अधिक सुरक्षाकरण का विमर्श अपनाने लगा है। इसका परिणाम यह हो सकता है कि भविष्य में अमेरिकी उपग्रहों की टक्कर के प्रति यूएस की प्रतिक्रिया सैन्य दृष्टिकोण से दी जाएगी।
कई सारे नव-अंतरिक्ष किरदार, हालिया उपग्रह प्रस्तावों के ज़रिए, शायद इस चिंता को और पेचीदा बनाएंगे। एक ओर तो बोइंग लगभग 3000 उपग्रहों का नक्षत्र प्रस्तावित कर रही है वहीं स्पेसएक्स की योजना तो और भी महत्वाकांक्षी है – वह तो 4425 उपग्रह प्रक्षेपित करने की योजना बना रही है और निकट भविष्य में इनकी संख्या 12,000 कर देगी। तुलना के लिए देखें कि फिलहाल पृथ्वी की कक्षा में मात्र करीब 1400 सक्रिय उपग्रह हैं। बताने की ज़रूरत नहीं है कि ये किस तरह के सुरक्षा सम्बंधी खतरों को जन्म दे सकते हैं।
इसके अलावा, व्यावसायिक उपग्रहों की यह बाढ़ महत्वपूर्ण पर्यावरणीय मुद्दे भी उठाती है। OST का अनुच्छेद IX कहता है: ‘राज्य अंतरिक्ष गतिविधियों को इस तरह करेंगे कि उनसे कोई हानिकारक संदूषण अथवा पृथ्वी पर कोई प्रतिकूल पर्यावरणीय परिवर्तन न हो।’ अलबत्ता, ‘हानिकारक’ या ‘प्रतिकूल परिवर्तन’ जैसे शब्दों के इस्तेमाल से इस मामले में अस्पष्टता झलकती है कि पर्यावरणीय परिवर्तन का ठीक-ठीक मतलब क्या है या किसे हानि से बचाया जाना चाहिए। इसमें अंतरिक्ष मलबे की समस्या को संबोधित करने में नाकामी दिखती है क्योंकि पूरा विमर्श रासायनिक प्रदूषण पर केंद्रित है और इसमें अंतरिक्ष में तैरते मलबे को हटाने का कोई ज़िक्र नहीं है।
अंतरिक्ष में पर्यावरणीय सरोकारों को उपयुक्त ढंग से संबोधित करने में OST की नाकामी को नव-अंतरिक्ष समुदाय ने आगे बढ़ाया है जहां पारिस्थितिक मसलों को नकारा गया है: “बाह्य अंतरिक्ष संसाधन विकास सम्बंधी सैकड़ों आलेख और पुस्तकें कभी-कभार ही यह ज़िक्र करती हैं कि ऐसी गतिविधियां पर्यावरण को इस तरह प्रतिकूल प्रभावित कर सकती हैं जो उनके अपने उद्यमों और उन्हें क्रियान्वित करने वाले मनुष्यों को नुकसान पहुंचा सकती हैं।” ऐसे वर्णन उन दिक्कतों को उजागर करते हैं जिनका सामना निजी कंपनियां पृथ्वी पर कर चुकी हैं – पूंजी और पर्यावरण का ऐसा तालमेल बनाना जो उनके मुनाफे को कम न करे। फिर भी ऐसा करते हुए अंतरिक्ष में मलबे का फैलाव अवश्यंभावी है जिसे संबोधित करने में ओएसटी नाकाम रही है। वैसे तो बाह्य अंतरिक्ष बहुत विशाल है लेकिन मानवीय उपयोग अथवा लाभ की दृष्टि से उसका बहुत छोटा हिस्सा ही काम आ सकता है। इसका मतलब होगा कि बढ़ते अंतरिक्ष मलबे के साये में विकासशील देशों के लिए अंतरिक्ष का उपयोग संभव नहीं रह जाएगा।
एलन मस्क की स्पेसएक्स कंपनी ने पृथ्वी पर बैठे खगोलशास्त्रियों की मुश्किलें बढ़ा भी दी हैं। अन्य उपग्रहों के मुकाबले उनके स्टारलिंक उपग्रहों की चमक इतनी है कि वह दूरबीन से ली जाने वाली तस्वीरों को धुंधला कर रही है। उससे भी ज़्यादा चिंता की बात यह है कि स्टारलिंक उपग्रह संभवत: उषाकाल में ज़्यादा नज़र आएंगे और इसका असर खतरनाक धूमकेतुओं के समय रहते अवलोकन करने पर पड़ेगा। इस मायने में, हालांकि निजी अंतरिक्ष उद्यम बड़े-बड़े उपग्रह समूह स्थापित करके अपना मुनाफा तो बढ़ा लेंगे लेकिन ये पृथ्वी पर शोधकर्ताओं के वैज्ञानिक काम को बरबाद कर देंगे।
निष्कर्ष : अंतरिक्ष बतौर एक वैश्विक माल
अंतत: यह लेख उजागर करता है कि कैसे OST निजी अंतरिक्ष उद्यमों का उपयुक्त ढंग से नियमन करने में असफल रही है। मूलत: यह संधि राज्य-केंद्रित नज़रिए से विकसित की गई थी, लेकिन राज्य और निजी क्षेत्र के बढ़ते मेलजोल का परिणाम है कि दोनों ही अपने अंतरिक्ष हितों को साधने में संधि की अस्पष्टताओं का फायदा उठा रहे हैं।
इन प्रक्रियाओं से एक बात और स्पष्ट होती है – कि बाह्य अंतरिक्ष संधि के निर्माताओं की संकल्पना और नव-अंतरिक्ष किरदारों की संकल्पना, दोनों ही पृथ्वी-आधारित सामाजिक सम्बंधों और शक्ति के ढांचों से जुड़ी हैं। चाहे संसाधनों को लेकर दावे-प्रतिदावे हों या पर्यावरण के मुद्दे हों, जो सरोकार पेश हुए हैं वे पृथ्वी पर चल रहे घटनाक्रम को प्रतिबिंबित करते हैं। जिस समय OST विकसित की गई थी, उस समय के अनुरूप यह राज्यों को एक-दूसरे द्वारा किए जा सकने वाले नुकसान से बचाने के लिए बनी थी। उस समय माहौल तीखे अंतर्राष्ट्रीय टकरावों का था और परमाणु युद्ध का खतरा मुंह बाए खड़ा था। तो उस समय अंतरिक्ष के पर्यावरण की रक्षा कोई सरोकार नहीं था। स्वयं को मानवता के रक्षक बताने वाले नव-अंतरिक्ष उद्यमियों का अंतरिक्ष में मुनाफा अधिकतम करने पर ज़ोर है और इसलिए आलोचना वही है जो पृथ्वी के संदर्भ में थी। नासा द्वारा 2020 में स्थापित नज़ीर का मतलब यह होगा कि भविष्य में निजी कंपनियां अंतरिक्ष ‘में सार्वजनिक पहुंच को और कम करेंगी। वास्तव में बाह्य अंतरिक्ष की धारणा ‘वैश्विक साझा संपदा’ से बदलकर ‘वैश्विक माल’ में तबदील होती जा रही है। (स्रोत फीचर्स)
नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
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