मिट्टी में रहने वाले कृमि एलोडिप्लोगैस्टर सुडौसी वैसे भी दैत्य के तौर पर जाने जाते हैं। साइज़ में ये अन्य सम्बंधित जीवों से लगभग दुगने बड़े होते हैं। लेकिन शोधकर्ताओं ने बायोआर्काइव्स प्रीप्रिंट में बताया है कि भूखे होने पर तो ये वास्तव में हैवान बन जाते हैं। इनका मुंह बड़ा हो जाता है और ये तेज़ी से अपने साथियों को खाने लगते हैं।
अन्य नेमेटोड कृमियों में देखा गया था कि जब उन्हें बैक्टीरिया खाने को दिए जाते हैं तो उनका मुंह छोटा ही रहता है, और अन्य कीटों को खाने में उनकी कोई रुचि नहीं होती है। लेकिन जब उन्हें खाने के लिए अन्य कृमियों के लार्वा दिए जाते हैं तो उनका मुंह बड़ा हो जाता है और वे अपने बाकी साथियों को खाने लगते हैं, अपनी संतानों को छोड़कर।
हालिया अध्ययन में शोधकर्ताओं ने ए. सुडौसी में इसी क्रम को दोहराने का प्रयास किया था। इसके लिए उन्होंने इन कृमियों को विभिन्न तरह के खाद्य पदार्थ खाने को दिए। लेकिन जब उन्होंने इन कृमियों को एक फफूंद (पेनिसिलियम कैमेम्बर्टी) खिलाई, जिसका उपयोग विभिन्न चीज़ (cheese) बनाने में किया जाता है, तो इसे खाकर इन कृमियों का मुंह बड़ा हो गया।
अन्य कृमियों में ऐसा नहीं होता। शोधकर्ताओं का ख्याल है कि ऐसा करने में ए. सुडौसी को उनके जीन की अतिरिक्त जोड़ी ने सक्षम बनाया है। मुंह बड़ा होना उनमें तनाव के प्रति प्रतिक्रिया हो सकती है। ऐसा लगता है कि पेनिसिलियम कैमेम्बर्टी इन कृमियों को पर्याप्त पोषण नहीं देती है और स्वजाति भक्षण की यह क्षमता पोषण की क्षतिपूर्ति में उनकी मदद करती है। यानी बड़े जबड़े और मुंह के साथ इनमें से कम से कम कुछ कृमि तो उन परिस्थितियों में जीवित बच सकते हैं, जब अन्य नेमेटोड भूखे मर जाएंगे।(स्रोत फीचर्स)
नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
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