अमेरिका की एडवांस्ड रिसर्च प्रोजेक्ट्स एजेंसी-एनर्जी (एआरपीए-ई) भूमिगत स्वच्छ हाइड्रोजन का पता लगाने के लिए 2 करोड़ डॉलर का निवेश कर रही है। यह निवेश स्वच्छ उर्जा उत्पादन के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी परिवर्तन ला सकता है। एआरपीए-ई उन्नत ऊर्जा प्रौद्योगिकियों के अनुसंधान एवं विकास को वित्तीय सहायता प्रदान करने वाला एक सरकारी संस्थान है।
ऐसा माना जा रहा है कि हाइड्रोजन जीवाश्म ईंधन का एक विकल्प हो सकती है। लेकिन कम ऊर्जा घनत्व, उत्पादन के पर्यावरण प्रतिकूल तौर-तरीकों और बड़ी मात्रा में जगह घेरने के कारण हाइड्रोजन के उपयोग की कई चुनौतियां भी हैं। वर्तमान में हाइड्रोजन का उत्पादन औद्योगिक स्तर पर भाप और मीथेन की क्रिया से किया जाता है जिसमें कार्बन डाईऑक्साइड निकलती है जो एक ग्रीनहाउस गैस है। इससे निपटने के लिए दुनिया भर में ब्लू हाइड्रोजन (जिसमें उत्पादन के दौरान उत्पन्न कार्बन डाईऑक्साइड को कैद कर लिया जाता है) और ग्रीन हाइड्रोजन (पानी के विघटन) जैसे तरीकों से स्वच्छ हाइड्रोजन उत्पादन के प्रयास चल रहे हैं।
हाइड्रोजन उत्पादन की इस दौड़ में अब ‘भूमिगत’ या ‘प्राकृतिक’ हाइड्रोजन को खोजने के प्रयास किए जा रहे हैं। यह सस्ता और पर्यावरण के अनुकूल साबित हो सकता है। हाल ही में पश्चिमी अफ्रीका स्थित माली के नीचे विशाल हाइड्रोजन क्षेत्र की खोज और पुराने बोरहोल में शुद्ध हाइड्रोजन की रहस्यमयी उपस्थिति ने इस क्षेत्र में पुन: रुचि उत्पन्न की है। फिलहाल हाइड्रोजन खोजी लोग महाद्वीपों के प्राचीन, क्रिस्टलीय कोर का अध्ययन कर रहे हैं। इन स्थानों पर लौह-समृद्ध चट्टानों में खोज चल रही है जो सर्पेन्टिनाइज़ेशन नामक प्रक्रिया से हाइड्रोजन उत्पादन को बढ़ावा दे सकते हैं।
गौरतलब है कि एआरपीए-ई कार्यक्रम मौजूदा भंडारों का पता लगाने पर नहीं बल्कि कृत्रिम ढंग से सर्पेन्टिनाइज़शन के माध्यम से हाइड्रोजन उत्पादन में तेज़ी लाने के तरीके खोजने पर केंद्रित है।
विशेषज्ञों का अनुमान है कि हाइड्रोजन उत्पादन दक्षता बढ़ाने के उद्देश्य से एआरपीए-ई फंडिंग का अधिकांश हिस्सा मॉडलिंग और प्रयोगशाला-आधारित अनुसंधान के लिए होगा। इसके अतिरिक्त, इन अभिक्रियाओं को समझने तथा भूपर्पटी में पदार्थों को इंजेक्ट करने से जुड़े जोखिमों का आकलन करने के लिए भी फंड निधारित किया गया है।
पिछले कुछ समय से प्राकृतिक हाइड्रोजन की खोज ने कई स्टार्टअप कंपनियों को जन्म दिया है। ये कंपनियां कम ताप और दाब पर हाइड्रोजन उत्पादन के तरीकों की खोज कर रही हैं जिनकी मदद से ओमान जैसे स्थानों में सतह के पास पाए जाने वाले लौह-समृद्ध भंडार से हाइड्रोजन उत्पन्न की जा सकेगी।
इस क्षेत्र में अपार संभावनाओं को देखते हुए कई प्रमुख तेल कंपनियां भी इस क्षेत्र में प्रवेश कर रही हैं। निवेश के उत्साह को देखते हुए पृथ्वी में छिपे हुए हाइड्रोजन भंडार की खोज में तेज़ी आएगी और हम भविष्य में एक स्वच्छ और लंबे समय तक प्राप्य ऊर्जा स्रोत की उम्मीद कर सकते हैं। (स्रोत फीचर्स)
नोट: स्रोत में छपे लेखों के विचार लेखकों के हैं। एकलव्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।
Photo Credit : https://www.science.org/do/10.1126/science.adk7193/full/_2023_0908_nid_hydrogen-1694099374223.jpg